बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध | Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (मतलब है कि लड़की को बचाएं और लड़की को शिक्षित करें) 2015 में जनवरी के महीने में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है। इस योजना को लॉन्च करने का उद्देश्य भारतीय समाज में महिलाओं और बालिकाओं के लिए सेवाएं के लिए जागरूकता पैदा करना और कल्याण की दक्षता में सुधार करना था। इस योजना को शुरू करने के लिए आवश्यक प्रारंभिक पूंजी 100 करोड़ रुपये थी।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध

पूरे भारत में लड़कियों को शिक्षित बनाने और उन्हें बचाने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नाम से लड़कियों के लिये एक योजना की शुरुआत की। इसका आरंभ हरियाणा के पानीपत में 22 जनवरी 2015, गुरुवार को हुआ। पूरे देश में हरियाणा में लिंगानुपात 775 लड़कियाँ पर 1000 लड़कों का है जो बेटीयों की दयनीय स्थिति को दर्शाता है इसी वजह से इसकी शुरुआत हरियाणा राज्य से हुई। लड़कियों की दशा को सुधारने के लिये पूरे देश के 100 जिलों में इसे प्रभावशाली तरीके से लागू किया गया है, सबसे कम स्त्री-पुरुष अनुपात होने की वजह से हरियाणा के 12 जिलों (अंबाला, कुरुक्षेत्र, रिवारी, भिवानी, महेन्द्रगण, सोनीपत, झज्जर, रोहतक, करनाल, यमुना नगर, पानीपत और कैथाल) को चुना गया।
लड़कियों की दशा को सुधारने और उन्हें महत्व देने के लिये हरियाणा सरकार 14 जनवरी को ‘बेटी की लोहड़ी’ नाम से एक कार्यक्रम मनाती है। इस योजना का उद्देश्य लड़कियों को सामाजिक और आर्थिक रुप से स्वतंत्र बनाना है जिससे वो अपने उचित अधिकार और उच्च शिक्षा का प्रयोग कर सकें। आम जन में जागरुकता फैलाने में ये मदद करता है साथ ही महिलाओं को दिये जाने वाले लोक कल्याणकारी सेवाएँ की कार्यकुशलता को भी बढ़ाएगा। अगर हम 2011 के सेंसस रिपोर्ट पर नजर डाले तो हम पाएँगे कि पिछले कुछ दशकों से 0 से 6 वर्ष के लड़कियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। 2001 में ये 927/1000 था जबकि 2011 में ये और गिर कर 919/1000 पर आ गया। अस्पतालों में आधुनिक लक्षण यंत्रों के द्वारा लिंग पता करने के बाद गर्भ में ही कन्या भ्रूण की हत्या करने की वजह से लड़कियों की संख्या में भारी कमी आयी है। समाज में लैंगिक भेदभाव की वजह से ये बुरी प्रथा अस्तित्व में आ गयी।
जन्म के बाद भी लड़कियों को कई तरह के भेदभाव से गुजरना पड़ता है जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, खान-पान, अधिकार आदि दूसरी जरुरतें है जो लड़कियों को भी प्राप्त होनी चाहिये। हम कह सकते हैँ कि महिलाओं को सशक्त करने के बजाय अशक्त किया जा रहा है। महिलाओं को सशक्त बनाने और जन्म से ही अधिकार देने के लिये सरकार ने इस योजना की शुरुआत की। महिलाओं के सशक्तिकरण से सभी जगह प्रगति होगी खासतौर से परिवार और समाज में। लड़कियों के लिये मानव की नकारात्मक पूर्वाग्रह को सकारात्मक बदलाव में परिवर्तित करने के लिये ये योजना एक रास्ता है। ये संभव है कि इस योजना से लड़कों और लड़कियों के प्रति भेदभाव खत्म हो जाये तथा कन्या भ्रूण हत्या का अन्त करने में ये मुख्य कड़ी साबित हो। इस योजना की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने चिकित्सक बिरादरी को ये याद दिलाया कि चिकित्सा पेशा लोगों को जीवन देने के लिये बना है ना कि उन्हें खत्म करने के लिये।

Essay in punjabi

22 ਜਨਵਰੀ 2015 ਨੂੰ, ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਨਰਿੰਦਰ ਮੋਦੀ ਵੱਲੋਂ ਹਰਿਆਣਾ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਸਕੀਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ. ਹਰਿਆਣਾ ਦੇ ਪਾਣੀਪਤ ਵਿਚ ਲੜਕੀ ਬਚਾਓ-ਬੇਟੀ ਟੇਕਾ ਦੇ ਨਾਂ ‘ਤੇ ਇਕ ਸਰਕਾਰੀ ਯੋਜਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ. ਇਹ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਭਾਰਤੀ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਲੜਕੀਆਂ ਦੀ ਮੰਦਭਾਗੀ ਹਾਲਤ ਦੇ ਮੱਦੇਨਜ਼ਰ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ. ਅੰਕੜਿਆਂ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, 1991 (0-6 ਸਾਲ ਦੀ ਉਮਰ) ਵਿਚ ਹਰ 1,000 ਮੁੰਡਿਆਂ ਤੇ 945 ਲੜਕੀਆਂ ਹਨ, ਜਦੋਂ ਕਿ 2001 ਵਿਚ 927 ਅਤੇ ਫਿਰ 2011 ਵਿਚ ਲੜਕੀਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ, 1000 ਮੁੰਡਿਆਂ ‘ਤੇ 918 ਪਹੁੰਚਣ ਦੇ ਬਾਅਦ ਇਹ ਘਟਦੀ ਹੈ. ਜੇ ਅਸੀਂ ਜਨਗਣਨਾ ਦੇ ਅੰਕੜਿਆਂ ਤੇ ਨਜ਼ਰ ਮਾਰੀਏ ਤਾਂ ਸਾਨੂੰ ਪਤਾ ਲੱਗੇਗਾ ਕਿ ਹਰੇਕ ਦਹਾਕੇ ਵਿਚ ਲੜਕੀਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿਚ ਲਗਾਤਾਰ ਗਿਰਾਵਟ ਆਈ ਹੈ. ਇਹ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਜੀਵਨ ਦੀਆਂ ਸੰਭਾਵਨਾਵਾਂ ਲਈ ਖ਼ਤਰਾ ਵੀ ਹੈ. ਜੇ ਮੁੰਡਿਆਂ ਨਾਲ ਸਬੰਧਿਤ ਅਜਿਹੇ ਮਸਲੇ ਛੇਤੀ ਹੱਲ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ, ਤਾਂ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ ਧਰਤੀ ਅਣਵਿਆਹੀ ਬਣ ਜਾਵੇਗੀ ਅਤੇ ਨਵਾਂ ਜਨਮ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ.
ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਲੜਕੀਆਂ ਦੇ ਮਾੜੇ ਅੰਕੜਿਆਂ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ, ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਨਰਿੰਦਰ ਮੋਦੀ ਨੇ ਬੇਟੀ ਬਚਾਓ-ਬੇਟੀ ਪਚਾਓ ਸਕੀਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ. ਇਹ ਇਕ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਯੋਜਨਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਲੜਕੀਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ, ਸਿੱਖਿਆ, ਮਾਦਾ ਭਰੂਣ ਹੱਤਿਆ ਦਾ ਨਿਕਾਸ ਆਦਿ, ਨਿੱਜੀ ਅਤੇ ਪੇਸ਼ੇਵਰ ਵਿਕਾਸ ਆਦਿ ਕਰਨਾ ਹੈ. ਸਮੁੱਚੇ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਇਹ ਸਕੀਮ ਦੇਸ਼ ਦੇ 100 ਚੁਣੇ ਗਏ ਸ਼ਹਿਰਾਂ (ਮਨੁੱਖੀ ਸਰੋਤ ਵਿਕਾਸ ਮੰਤਰਾਲੇ ਮੰਤਰਾਲੇ, ਸਿਹਤ ਅਤੇ ਔਰਤਾਂ ਅਤੇ ਬਾਲ ਵਿਕਾਸ ਵਿਭਾਗ) ਵਿੱਚ ਲਾਗੂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਸਾਰੇ ਰਾਜਾਂ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਿਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਇਸ ਨੂੰ ਲਾਗੂ ਕਰਨ ਲਈ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਮੁਹਿੰਮ ਰਾਹੀਂ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ. ਇਸ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਸਕਾਰਾਤਮਕ ਪਹਿਲੂ ਹਨ ਕਿ ਇਹ ਸਕੀਮ ਲੜਕੀਆਂ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਗਲਤ ਕੰਮਾਂ ਅਤੇ ਗਲਤ ਪ੍ਰਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਹਟਾਉਣ ਦੇ ਲਈ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਕਦਮ ਸਾਬਤ ਹੋਵੇਗੀ. ਅਸੀਂ ਉਮੀਦ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ, ਸਮਾਜਿਕ-ਆਰਥਿਕ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ, ਕਿਸੇ ਵੀ ਕੁੜੀ ਨੂੰ ਗਰਭ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਮਾਰਿਆ ਜਾਵੇਗਾ, ਉਹ ਅਨਪੜ੍ਹ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ, ਅਸੁਰੱਖਿਅਤ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ, ਬਲਾਤਕਾਰ ਇੰਜ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ. ਇਸ ਲਈ, ਦੇਸ਼ ਭਰ ਵਿੱਚ ਲਿੰਗ ਭੇਦਭਾਵ ਨੂੰ ਖਤਮ ਕਰਕੇ, ਲੜਕੀਆਂ ਦੀ ਬੱਚਤ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਪੁੱਤਰੀ ਤੋਂ ਸਕੂਲ ਸਕੀਮ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਹੈ ਕਿ ਲੜਕੀਆਂ ਨੂੰ ਆਰਥਿਕ ਅਤੇ ਸਮਾਜਕ ਦੋਵੇਂ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਸੁਤੰਤਰ ਬਣਾਉਣਾ.

बेटी पढ़ाओ देश बचाओ पर निबंध Pdf

हरियाणा के पानीपत में 22 जनवरी 2015 को पीएम नरेन्द्र मोदी के द्वारा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नाम से एक सरकारी योजना की शुरुआत हुई। भारतीय समाज में लड़कियों की दयनीय दशा को देखते हुए इस कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। आँकड़ों के अनुसार, 1991 में (0-6 वर्ष के उम्र के) हर 1000 लड़कों पर 945 लड़कियाँ है, जबकि 2001 में लड़कियों की संख्या 927 पर और दुबारा 2011 में इसमें गिरावट होते हुए ये 1000 लड़कों पर 918 पर आकर सिमट गयी। अगर हम सेंसस के आँकड़ों पर गौर करें तो पाएँगे कि हर दशक में लड़कियों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज हुई है। ये धरती पर जीवन की संभावनाओं के लिये भी खतरे का निशान है। अगर जल्द ही लड़कियों से जुड़े ऐसे मुद्दों को सुलझाया नहीं गया तो आने वाले दिनों में धरती बिना नारियों की हो जायेगी और तथा कोई नया जन्म नहीं होगा।
देश में लड़कियों के बुरे आँकड़ों को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की। ये बेहद प्रभावकारी योजना है जिसके तहत लड़कियों की संख्या में सुधार, इनकी सुरक्षा, शिक्षा, कन्या भ्रूण हत्या का उन्मूलन, व्यक्तिगत और पेशेवर विकास आदि का लक्ष्य पूरे देश भर में है। इसे सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू करने के लिये एक राष्ट्रीय अभियान के द्वारा देश (केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय, स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय) के 100 चुनिंदा शहरों में इस योजना को लागू किया गया है। इसमें कुछ सकारात्मक पहलू ये है कि ये योजना लड़कियों के खिलाफ होने वाले अपराध और गलत प्रथाओं को हटाने के लिये एक बड़े कदम के रुप में साबित होगा। हम ये आशा करते हैं कि आने वाले दिनों में सामाजिक-आर्थिक कारणों की वजह से किसी भी लड़की को गर्भ में नहीं मारा जायेगा, अशिक्षित नहीं रहेंगी, असुरक्षित नहीं रहेंगी, बलात्कार नहीं होगा आदि। अत: पूरे देश में लैंगिक भेदभाव को मिटाने के द्वारा बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ योजना का लक्ष्य लड़कियों को आर्थिक और सामाजिक दोनों तरह से स्वतंत्र बनाने का है।

निबंध मराठी

Essay in punjabi

22 जानेवारी 2015 रोजी पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी हरियाणातील पानिपत येथील मुलगी बचाओ-बेटी टीचो यांच्या नावावर एक सरकारी योजना सुरू केली. भारतीय समाजातल्या मुलींच्या दुःखद परिस्थितीमुळे हा कार्यक्रम सुरू झाला. आकडेवारी नुसार, मध्ये 1991 (वय 0-6 वर्षे) प्रत्येक 1000 मुले, मुली 945, 2011 मध्ये 927 आणि पुन्हा 2001 मध्ये मुलींची संख्या, तो खाली 918 कमी होते, तर 1000 मुले पडतो तेव्हा. आम्ही जनगणना डेटा पाहिल्यास, आपल्याला आढळेल की प्रत्येक दशकात मुलींची संख्या सतत कमी होत आहे. पृथ्वीवरील जीवनाची ही धोक्याची भीती आहे. जर मुलींशी संबंधित अशा समस्या लवकरच सोडल्या नाहीत तर मग भविष्यात, पृथ्वी अविवाहित होईल आणि कोणताही नवीन जन्म होणार नाही.
देशातील मुलींच्या वाईट आकडेवारी लक्षात घेऊन पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी बेटी बचाओ-बेटी पाचओ योजना सुरू केली. ही एक प्रभावी योजना आहे, ज्यायोगे मुलींची संख्या, त्यांचे संरक्षण, शिक्षण, स्त्री भ्रूणहत्या निर्मूलन, वैयक्तिक आणि व्यावसायिक विकास इत्यादी सुधारणेचा हेतू आहे. संपूर्ण देश लक्ष्य आहे. ही योजना देशातील सर्व निवडक शहरांमध्ये (मानव संसाधन विकास मंत्रालय, आरोग्य आणि महिला व बाल विकास मंत्रालय) राबविण्यात येत आहे. त्यात काही सकारात्मक पैलू आहेत की ही योजना मुलींच्या चुकीच्या गोष्टी आणि चुकीच्या पद्धती दूर करण्याच्या दृष्टीने एक प्रमुख पाऊल ठरेल. आम्ही कारण हे दिवस सामाजिक-आर्थिक कारणे कोणत्याही मुलगी येत पोटातील ठार जाणार नाही, अशी आम्हाला आशा आहेत अशिक्षित नाही, असुरक्षित होणार नाही, बलात्कार असे नाही. म्हणूनच देशभरात लैंगिक भेदभाव दूर करून बेटी-स्कूली मुलींना आर्थिक आणि सामाजिक दोन्ही मुलींना स्वतंत्र बनवण्याचा हेतू आहे.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान निबंध

भूमिका : पृथ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व , आदमी और औरत दोनों की समान भागीदारी के बिना संभव नहीं होता है। दोनों ही पृथ्वी पर मानव जाति के अस्तित्व के साथ-साथ किसी भी देश के विकास के लिए समान रूप से जिम्मेदार है। महिलाएं पुरुषों से अधिक महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि महिलाओं के बिना मानव जाति की निरंतरता के बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं क्योंकि महिलाएं ही मानव को जन्म देती हैं।
लडकियाँ प्राचीनकाल से भारत में बहुत प्रकार के अपराधों से पीड़ित हैं। सबसे बड़ा अपराध कन्या भ्रूण हत्या है जिसमें अल्ट्रासाउंड के माध्यम से लिंग परीक्षण के बाद लडकियों को माँ के गर्भ में ही मार दिया जाता है। बेटी बचाओ अभियान को सरकार द्वारा कन्या भ्रूण हत्या के साथ-साथ बालिकाओं के विरुद्ध अन्य अपराधों को समाप्त करने के लिए शुरू किया गया है।
भारतीय समाज में लडकियों की स्थिति बहुत समय से विवाद का विषय बनी हुई है। आमतौर पर प्राचीन समय से ही देखा जाता है कि लडकियों को खाना बनाने और गुड़ियों के साथ खेलने में शामिल होने की मान्यता होती है जबकि लडके शिक्षा और अन्य शारीरिक गतिविधियों में शामिल होते हैं। ऐसी पुराणी मान्यताओं की वजह से लोग महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने को आतुर हो जाते हैं। इसके परिणाम स्वरूप समाज में बालिकाओं की संख्या लगातार कम होती जा रही है।
कन्या भ्रूण हत्या का कन्या शिशु अनुपात कमी पर प्रभाव : कन्या भ्रूण हत्या अस्पतालों में लिंग परीक्षण के बाद गर्भपात के माध्यम से किया जाने वाला एक बहुत ही भयानक अपराध है। यह भयानक कार्य भारत में लडकियों की अपेक्षा लडकों की अधिक चाह की वजह से उत्पन्न हुआ है। इस समस्या ने भारत में बहुत हद तक कन्या शिशु लिंग अनुपात में कमी की है।
यह समस्या देश में अल्ट्रासाउंड तकनीकी की वजह से ही संभव हो पाया है। इस समस्या ने समाज में भयानक दानव का रूप ले लिया है। भारत में महिला लिंग अनुपात में भारी कमी 1991 की राष्ट्रिय जनगणना के बाद देखी गई थी।
बाद में 2001 की राष्ट्रिय जनगणना के बाद इसे समाज की एक बिगडती हुई समस्या के रूप में घोषित किया गया था। महिलाओं की आबादी में 2011 तक कमी जारी रही थी। बाद में कन्या शिशु के अनुपात को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा इस प्रथा पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया गया था।
सन् 2001 में मध्य प्रदेश में लडकियों/लडकों का अनुपात 932/1000 था और 2011 में यह अनुपात 912/1000 तक कम हो गया था। इसका अर्थ यह है कि यह समस्या आज तक जारी है और अगर इसी तरह भ्रूण हत्या होती रही तो आने वाले 2021 तक यह समस्या 900/1000 तक कम हो जाएगी।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ जागरूकता अभियान : बेटी बचाओ बेटी पढाओ एक ऐसी योजना है जिसका अर्थ होता है कन्या शिशु को बचाओ और इन्हें शिक्षित करो। इस योजना को भारतीय सरकार के द्वारा 22 जनवरी , 2015 को कन्या शिशु के लिए जागरूकता का निर्माण करने के लिए और महिला कल्याण में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध in hindi

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हमें हमारे देश और हमारी संस्कृति पर हमेशा गर्व रहा है | हजारों वर्षों से हमारे देश ने किसी दूसरे देश पर आक्रमण नहीं किया | हम शांतिप्रिय रहे हैं | जिन लोगों को दुनिया में कहीं स्थान नहीं मिला, चाहे यहूदी हो या पारसी, उन्हें भारत ने गले लगाया | ऐसी महान सांस्कृतिक विरासत होने के बावजूद हमारे समाज में एक ऐसी बुराई है जो आज पूरे संसार के सामने हमें हमारी नजरें नीची करने के लिए मजबूर कर देती हैं | वो बुराई है पुरुषों की तुलना में स्त्री को दोयम दर्जे का स्थान देना | हमारा समाज इतना ज्यादा पुरुषप्रधान हो गया है कि आज देश की जनसँख्या का बड़ा हिस्सा बेटी पैदा ही नहीं करना चाहता | इसीका नतीजा है कि हमारे देश में पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों की संख्या घटती जा रही है | 0-6 साल की उम्र के बीच प्रति 1000 लड़कों के अनुपात में लड़कियों की संख्या में वर्ष 1961 से लगातार गिरावट आ रही है| वर्ष 1991 में लड़कियों की संख्या जहाँ 945 थी वहीँ 2001 में यह घटकर 927 और 2011 में 918 हो गई | यह हम सब के लिए एक भयंकर चिंता का विषय है | इसी वजह से हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने “बेटी बचाओ, बेटी पढाओ” ( Beti Bachao essay in Hindi ) योजना की शुरुआत २२ जनवरी २०१५ को हरियाणा के पानीपत से की |
“बेटी बचाओ, बेटी पढाओ” योजना को एक राष्ट्रीय अभियान के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा | सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से उन 100 जिलों का चयन किया जाएगा जहाँ बाल लिंग अनुपात सबसे कम है और फिर वहां विभिन्न क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित कर कार्य किया जाएगा | यह योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है । इसका मुख्य उद्देश्य है कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम, बालिकाओं के अस्तित्व को बचाना, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा बालिकाओं की शिक्षा और भागीदारी सुनिश्चित करना | यह योजना न केवल लड़कियों बल्कि पूरे समाज के लिए एक वरदान साबित हो सकती है । इतना ही नहीं, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” ( Beti Bachao essay in Hindi ) योजना ऐसे वक्त आई है जब देश महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं जैसे- दुष्कर्म और अन्य तरह के हमलों का सामना कर रहा है | इसलिए इस योजना का महत्व और भी बढ़ जाता है |
वर्तमान समय में अजन्मे बच्चे के लिंग का पता लगाने की सुविधा आसानी से उपलब्ध है | इस वजह से कन्या भ्रूण हत्या के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है | लोग सोचते हैं कि लड़का बड़ा होकर पैसा कमाएगा । लड़की इसके विपरीत, दहेज़ लेकर घर से जाएगी | इस तरह के आर्थिक कारणों से लड़कियों के विरुद्ध सामाजिक पक्षपात होता रहा है | समाज में गहरे तक यह बात बैठी हुई है कि लड़कियाँ पैदा होते ही बड़ी जिम्मेदारी गले आ जाती है | इन कारणों से लिंगानुपात को नुकसान पहुँचा है | महिलाओं के जन्म से पहले ही उनके अधिकारों का हनन शुरू हो जाता है तथा जन्म के बाद भी उनके साथ भेदभाव नहीं थमता | स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा की जरूरतों को लेकर उनके साथ कई तरह से पक्षपात होता है | लड़कियों को बोझ की तरह देखा जाता है जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है | महिला सशक्तिकरण से समाज को पिछड़ेपन से मुक्ति मिलती है | एक शिक्षित महिला अपने साथ अपने पूरे परिवार को आगे ले जाती है | इसलिए आज के समय में यह जरूरी है कि लड़कियों को लेकर शहरी तथा ग्रामीण भागों के लोगों के बीच फैली अंधविश्वासी मान्यताओं और प्रथाओं को ख़त्म किया जाए | इसके लिए मीडिया और संचार के नए तरीकों का पूरी तरह से इस्तेमाल करने की आवश्यकता है | बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ ( Beti Bachao essay in Hindi ) अभियान इसी लक्ष्य को हासिल करने, इसके बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने के लिए शुरू किया गया है |
“बेटी बचाओ, बेटी पढाओ” ( Beti Bachao essay in Hindi ) सिर्फ एक योजना नहीं बल्कि देश के हर नागरिक की सामूहिक जिम्मेदारी है । यदि एक समाज के रूप में हम इस समस्या के प्रति संवेदनशील नहीं होंगे, जागरूक नहीं होंगे, तो हम अपनी ही नहीं, आने वाली पीढ़ी के लिए भी एक भयंकर संकट को निमंत्रण देंगे | इसलिए यह आवश्यक है कि एक नागरिक के रूप में हम सचेत रहे | कहीं पर भी कन्या भ्रूण हत्या हो रही हो तो तुरंत इसकी जानकारी पुलिस को दें | लोगों को इस बारे में सजग करे | हमारा समाज अबोध बालिकाओं की हत्या का पाप और नहीं झेल सकता |

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