आमलकी एकादशी 2022 – Amalaki Ekadashi Vrat Katha In Hindi – Story, Wishes, Shayari, SMS, Puja Vrat Vidhi, Benefits, Significance

आमलकी एकादशी 2018

भारत एक हिंदुत्व देश है जिसमें कि हिंदुओं के अलावा कई अन्य धर्म के लोग भी रहते हैं लेकिन इसमें हिंदू धर्म अधिक निवास करते हैं इसलिए यह हिंदुत्व देश कहलाता है | जिसकी वजह से इसमें लगभग कई करोड़ देवी देवताओं की पूजा की जाती है जिसमें से कि भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है जो कि सृष्टि के रचयिता के नाम से भी जाने जाते हैं | उन्हीं के लिए हम एकादशी का व्रत भी रखते हैं प्रत्येक साल में 24 एकादशियों पड़ती है जिसमें कि हर एकादशी का अपना अलग अलग महत्व तथा फल मिलता है | इसलिए हम आपको आमलकी एकादशी के व्रत के बारे में जानकारी देते हैं कि आमलकी एकादशी का व्रत किस वजह से रखा जाता है तथा इस व्रत का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है |

Amalaki Ekadashi In Hindi

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आमलकी एकादशी का व्रत हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकाधी तिथि को रखे जाने का प्रावधान होता है | लेकिन इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार हर साल इसकी तारीख अलग-2 होती है इसीलिए साल 2022 में इसकी तारीख 14 MARCH  है इसी दिन सभी भक्तगणों को आमलकी एकादशी का व्रत रखना है |

Amalaki Ekadashi Vrat Vidhi – पूजा विधि

  1. सबसे पहले एकादशी के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर पवित्र जल में स्नान करके स्वेच्छा वस्त्र धारण कर ले |
  2. उसके बाद अपने पूजा स्थल को पवित्र करे व हाथ में तिल, कुश, सिक्के लेकर प्रार्थना करे – “मैं भगवान श्री हरि की प्रसन्न्ता एवं मोक्ष की कामना के साथ इस आमलकी या आमला अथवा आंवला एकादशी के व्रत का संकल्प करता हूँ। भगवान श्री हरि इस व्रत को सफलता पूर्वक करने में मेरी सहायता करें। ”
  3. उसके बाद भगवान् विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करे उन्हें भोग लगाए, धुप तथा दीप दिखाए व उन्हें पुष्प-माला अर्पित करे |
  4. उसके बाद आंवले के वृक्ष के पास जाकर उसे स्वच्छ करे व उसके आसपास गाय के गोबर से उसे पवित्र करे |
  5. उसके बाद वृक्ष के पास एक वेदी बनाये व उस वेदी पर आपको जल से भरा हुआ कलश रखना है उस कलश में गंगाजल, पंचरत्न और सुगंधी भी रखे फिर आपको कलश पर चन्दन लगाना है तथा वस्त्र अर्पित करने है |
  6. उसके बाद वहां आपको भगवान विष्णु के छठवे अवतार परशुराम जी की मूर्ति स्थापित करनी है तथा विधिपूर्वक उसकी पूजा करनी है |
  7. उसके बाद आंवले के वृक्ष की १०८ या २८ बार परिक्रमा करे तथा रात्रि में जागरण करे |
  8. फिर आपको अगले दिन द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भगवान् परशुराम की मूर्ति को दान करना है तथा अपनी श्रद्धानुसार ब्राह्मण को दान करे व भोजन करे उसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करे |

Amalaki Ekadashi Vrat Katha In Hindi

Amalaki Ekadashi Story – Amalaki Ekadashi Katha

प्राचीन समय की बात है उस समय वैदिक नाम का एक नगर था जिसमें की राजा चैत्ररथ का राज्य था राजा चैत्ररथ एक विद्वान तथा धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति था | उसकी साधना भगवान विष्णु के लिए बहुत थी उसके राज्य में लगभग हर धर्म जैसे ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र, वैश्य सभी तरह के लोग निवास करते थे | उस राजा के राज्य में किसी भी तरह का कोई भी पाप नहीं हुआ था वह राज्य पूर्ण रूप से पाप मुक्त राज्य बन चुका था | उस राज्य में किसी भी तरह का कोई भी गरीब व्यक्ति नहीं था क्योंकि उस राज्य का राजा बहुत दानी था और वह वहां के लोगों को दान भी किया करता था |

आमलकी एकादशी व्रत कथा

एक बार की बात है फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी आई इसलिए उस राज्य के राजा समेत बाकी अन्य लोगों ने भी व्रत रखा इस व्रत को पूर्ण करने के लिए राजा अपनी प्रजा के साथ वहां के भगवान विष्णु के मंदिर में पधारें तथा वहां उनकी पूरे भक्ति भाव से साधना करने लगे | उन्होंने भगवान विष्णु से प्रार्थना की हे दात्री आप ब्रह्म स्वरूप है आप ब्रह्मा जी द्वारा उत्पन्न हो तथा सभी पापों को नष्ट करने वाले हैं मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कृपया मेरे सभी तरह के पापों को हरण कर ले | उसके बाद रात में वह जागरण का भी प्रावधान किया गया था |

उसी समय वहां पर एक बहुत पापी दुराचारी बहेलियां आ गया जो की महा पापी था जिसमें लगभग हर तरह के कुकर्म किए हुए थे वह वह चोरी के मकसद से घुसा था लेकिन मंदिर में अधिक भीड़ भाड़ हो जाने की वजह से उसे वहीं पर ठहरना पड़ा | उसे बहुत भूख लगी थी उस रात कुछ भी नहीं खाया जिसकी वजह से उसने भगवान विष्णु की आमलकी एकादशी के दिन पूरे भक्ति भाव से जागरण का आनंद लिया तथा आमलकी एकादशी की कथा सुनी | इस तरह से जाने अनजाने में उसका आमलकी एकादशी का व्रत भी पूर्ण हो गया |

Amalaki Ekadashi Mahatmya – Amalaki Skadashi Significance | Importance | Benefits

कुछ समय बाद बहेलिया मर जाता है उसके बाद उसका जन्म पुनः राजा वसुरथ के यहां पर हुआ था तथा वह एक वीर सूर्य के सामान तेज रखने वाला व्यक्ति बना | अंततः इस एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य के सभी तरह के पाप भी नष्ट हो जाते हैं तथा वह मोक्ष में बैकुंठ धाम पाता है तथा उसे उसके हर कार्य में सफलता मिलती है वह बहेलिया जहां कहीं भी जाता था वह बहेलिया जो की राजा बन चुका था वह जिस भी युद्ध में जाता हर युद्ध में उसे विजय प्राप्त होती थी |

About the author

admin