अल्लामा इक़बाल शायरी – Allama Iqbal Shayari in Urdu & Hindi Pdf Download

अल्लामा इक़बाल शायरी - Allama Iqbal Shayari in Urdu & Hindi Pdf Download

Muhammad Iqbal Shayari: सर मोहम्मद. इकबाल एक मशहूर कवि व शायर थे | उन्हें अल्लामा इकबाल के नाम से भी जाना जाता था | वे एक प्रसिद्ध कवि, शायर, वकील और राजनीतिज्ञ थे। ऐसा माना जाता है कि वह ऐतिहासिक ‘पाकिस्तान आंदोलन’ का पक्ष उठाने वाले थे| वे कुछ ऐसे नेताओं में से एक थे जिन्होंने सबसे पहले मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान के विचार की कल्पना की थी। आज हम उनकी कुछ मशहूर कविताएं, ग़ज़ल व् कविता New, Best, Latest, Two Line, Hindi, Urdu, Shayari, Sher, Ashaar, Collection, Shyari, नई, नवीनतम, लेटेस्ट, हिंदी, उर्दू, शायरी, शेर, Allama Iqbal Poetry in Urdu, Allama Iqbal Sher in Hindi, in urdu, on namaz, islamic, کلام علامہ محمد اقبال, संग्रह के कुछ अंश पेश कर रहे हैं|

Allama iqbal 2 line shayari

मुहम्मद इक़बाल पुस्तकें बहुत ही मशहूर थीं जिनमे उनकी कुछ मशहूर कविताएँ व शेर-ओ- शायरी थीं| उन्ही के कुछ अंश निचे हमने बताये हैं जिसमे शामिल हैं allama iqbal shayari on imam hussain, मुहम्मद इक़बाल poems from iqbal, मुहम्मद इक़बाल javed iqbal, 14 august, 9 november, collection, jawab e- shikwa, 4 line poetry, muqaddar ka sitara, motivational आदि |

Allama iqbal 2 line shayari

अगर हंगामा-हा-ए-शौक़ से है ला-मकाँ ख़ाली ख़ता किस की है या रब ला-मकाँ तेरा है या मेरा Click To Tweet
आईन-ए-जवाँ-मर्दां हक़-गोई ओ बे-बाकी अल्लाह के शेरों को आती नहीं रूबाही Click To Tweet
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे Click To Tweet
ऐ ताइर-ए-लाहूती उस रिज़्क़ से मौत अच्छी जिस रिज़्क़ से आती हो परवाज़ में कोताही Click To Tweet
अंदाज़-ए-बयाँ गरचे बहुत शोख़ नहीं है शायद कि उतर जाए तिरे दिल में मिरी बात Click To Tweet
अनोखी वज़्अ' है सारे ज़माने से निराले हैं ये आशिक़ कौन सी बस्ती के या-रब रहने वाले हैं Click To Tweet
Allama Iqbal Shayari

Allama iqbal shayari on karbala

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख Click To Tweet
न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने की नशेमन सैकड़ों मैं ने बना कर फूँक डाले हैं Click To Tweet
उरूज-ए-आदम-ए-ख़ाकी से अंजुम सहमे जाते हैं कि ये टूटा हुआ तारा मह-ए-कामिल न बन जाए Click To Tweet
यक़ीं मोहकम अमल पैहम मोहब्बत फ़ातेह-ए-आलम जिहाद-ए-ज़िंदगानी में हैं ये मर्दों की शमशीरें Click To Tweet
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं Click To Tweet
तू ने ये क्या ग़ज़ब किया मुझ को भी फ़ाश कर दिया मैं ही तो एक राज़ था सीना-ए-काएनात में Click To Tweet

अल्लामा इकबाल शायरी इन हिंदी

सितारों से आगे जहां और भी हैं अभी इश्क के इम्तिहां और भी हैं Click To Tweet
दिल की बस्ती अजीब बस्ती है, लूटने वाले को तरसती है। मुमकिन है कि तू जिसको समझता है बहारां औरों की निगाहों में वो मौसम हो खिजां का Click To Tweet
साकी की मुहब्बत में दिल साफ हुआ इतना जब सर को झुकाता हूं शीशा नजर आता है Click To Tweet
सख्तियां करता हूं दिल पर गैर से गाफिल* हूं मैं हाय क्या अच्छी कही जालिम हूं, जाहिल हूं मैं Click To Tweet
तेरी दुआ से कज़ा* तो बदल नहीं सकती मगर है इस से यह मुमकिन की तू बदल जाये तेरी दुआ है की हो तेरी आरज़ू पूरी मेरी दुआ है तेरी आरज़ू बदल जाये Click To Tweet

अल्लामा इक़बाल इन उर्दू

अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे. Click To Tweet
अनोखी वज़्अ' है सारे ज़माने से निराले हैं ये आशिक़ कौन सी बस्ती के या-रब रहने वाले हैं Click To Tweet
बाग़-ए-बहिश्त से मुझे हुक्म-ए-सफ़र दिया था क्यूँ कार-ए-जहाँ दराज़ है अब मिरा इंतिज़ार कर जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी उस खेत के हर ख़ोशा-ए-गंदुम को जला दो Click To Tweet
गुज़र जा अक़्ल से आगे कि ये नूर चराग़-ए-राह है मंज़िल नहीं है Click To Tweet
अल्लामा इक़बाल शायरी

अल्लामा इकबाल इस्लामिक शायरी

अगर न बदलू तेरी खातिर हर एक चीज़ तो कहना

मुहब्बत की तमना है तो फिर वो वस्फ पैदा कर जहां से इश्क़ चलता है वहां तक नाम पैदा कर अगर सचा है इश्क़ में तू ऐ बानी आदम निग़ाह -ऐ -इश्क़ पैदा कर मैं तुझ को तुझसे ज़्यादा चाहूँगा मगर शर्त ये है के अपने अंदर जुस्तजू तो पैदा कर अगर न बदलू तेरी खातिर हर एक चीज़… Click To Tweet
यहाँ अब मेरे राज़दान और भी हैं
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क़ के इम्तेहाँ और भी हैं ताही ज़िंदगी से नहीं यह फिज़ाएँ यहाँ सैंकड़ों कारवाँ और भी हैं अगर खो गया एक नशेमन तो किया गम मक़ामात-ऐ-आह-ओ-फ़िगन और भी हैं तू शाहीन है , परवाज़ है काम तेरा तेरे सामने आसमान और भी हैं इसे रोज़-ओ-शब… Click To Tweet

Famous Shayari of Allama Iqbal

तुझे किताब से मुमकिन नहीं फ़राग़ कि तू किताब-ख़्वाँ है मगर साहिब-ए-किताब नहीं Click To Tweet
तू क़ादिर ओ आदिल है मगर तेरे जहाँ में हैं तल्ख़ बहुत बंदा-ए-मज़दूर के औक़ात Click To Tweet
ज़माम-ए-कार अगर मज़दूर के हाथों में हो फिर क्या तरीक़-ए-कोहकन में भी वही हीले हैं परवेज़ी Click To Tweet
ज़मीर-ए-लाला मय-ए-लाल से हुआ लबरेज़ इशारा पाते ही सूफ़ी ने तोड़ दी परहेज़ Click To Tweet

Allama Iqbal Shayari in Hindi Pdf

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा Click To Tweet
Sare jahan se achcha Hindustan humara Hum bulbulen hai iski, yah gulsita humara Click To Tweet
खुदी को कर बुलन्द इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा* क्या है Click To Tweet
जफा* जो इश्क में होती है वह जफा ही नहीं, सितम न हो तो मुहब्बत में कुछ मजा ही नहीं Click To Tweet
ढूंढता रहता हूं ऐ ‘इकबाल’ अपने आप को, आप ही गोया मुसाफिर, आप ही मंजिल हूं मैं। Click To Tweet

Allama Iqbal Shayari in Urdu Language

अल्लामा इक़बाल शायरी इन उर्दू लैंग्वेज इस प्रकार है|

कभी हम से कभी ग़ैरों से शनासाई है बात कहने की नहीं तू भी तो हरजाई है Click To Tweet
उमीद-ए-हूर ने सब कुछ सिखा रक्खा है वाइज़ को ये हज़रत देखने में सीधे-सादे भोले-भाले हैं Click To Tweet
उरूज-ए-आदम-ए-ख़ाकी से अंजुम सहमे जाते हैं कि ये टूटा हुआ तारा मह-ए-कामिल न बन जाए Click To Tweet
तू है मुहीत-ए-बे-कराँ मैं हूँ ज़रा सी आबजू या मुझे हम-कनार कर या मुझे बे-कनार कर Click To Tweet
ज़िंदगानी की हक़ीक़त कोहकन के दिल से पूछ जू-ए-शीर ओ तेशा ओ संग-ए-गिराँ है ज़िंदगी Click To Tweet
ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें जो हो ज़ौक़-ए-यक़ीं पैदा तो कट जाती हैं ज़ंजीरें Click To Tweet
जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते Click To Tweet
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है Click To Tweet
किसे ख़बर कि सफ़ीने डुबो चुकी कितने फ़क़ीह ओ सूफ़ी ओ शाइर की ना-ख़ुश-अंदेशी Click To Tweet

Allama iqbal 2 line Islamic shayari

अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन Click To Tweet
अक़्ल को तन्क़ीद से फ़ुर्सत नहीं इश्क़ पर आमाल की बुनियाद रख Click To Tweet
अज़ाब-ए-दानिश-ए-हाज़िर से बा-ख़बर हूँ मैं कि मैं इस आग में डाला गया हूँ मिस्ल-ए-ख़लील Click To Tweet
एक सरमस्ती ओ हैरत है सरापा तारीक एक सरमस्ती ओ हैरत है तमाम आगाही Click To Tweet
इश्क़ भी हो हिजाब में हुस्न भी हो हिजाब में या तो ख़ुद आश्कार हो या मुझे आश्कार कर Click To Tweet
इश्क़ तिरी इंतिहा इश्क़ मिरी इंतिहा तू भी अभी ना-तमाम मैं भी अभी ना-तमाम Click To Tweet
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में कि हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं मिरी जबीन-ए-नियाज़ में Click To Tweet

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