सच्चिदानंद रूपाय श्लोक – श्लोक का अर्थ – Meaning in Hindi – ॐ सचिदानंद रूपया

सच्चिदानंद रूपाय श्लोक

आज के समय में हिन्दू धर्म में कई ऐसी मानता या रीति रिवाज़ हैं जिसे भारत के लोग सच्चे दिल से मानते और निभाते हैं| हिन्दू धर्म के लोग भगवान् को इंसान से ज्यादा अहमियत देते हैं क्योकि भगवान् से उनकी सच्ची आस्था जुडी हुई हैं| अगर आप भगवान् को प्रसन्न कर लेते हैं तो आपके सारे रुके हुए काम बन जाते हैं| सच्चिदानंद रूपाय हिन्दू धर्म में एक प्रकार का मंत्र या श्लोक हैं जिसे भगवान् को प्रसन्न करने के लिए बोला जाता हैं| आज के इस पोस्ट में हम आपको भागवत श्लोक का सारांश, ॐ सचिदानंद रूपया का अर्थ, श्रीमद्भागवत महापुराण श्लोक, सच्चिदानंद अर्थ आदि के बारे में जानकारी देंगे|

सचिदानंद रूपाय श्लोक

यह एक प्रकार का मंत्र हैं जिसमे तीन मंत्र जुड़े हुए हैं| इसमें सभी धर्मो के भगवान् का मंत्र हैं| कहा जाता हैं की अगर आप इस मंत्र का 100 बार जाप करते हैं तो भगवान् आपसे प्रसन्न रहते हैं| आपके सारे रुके हुए काम बन जाएंगे और आपकी कुंडली में से दोष मिट जाएगा| इस मंत्र के प्रारम्भ में जैन धर्म का मंत्र हैं| इसके बाद इस मंत्र के अंदर वासुदेव यानिकि भगवान् श्री कृष्ण जी का मंत्र हैं इसके बाद महादेव का मंत्र हैं| इस मंत्र में सच्चिदानंद शब्द में मुस्लिम, हिन्दू, सिख और विदेशी सभी धर्म के मंत्र के मंत्र का अनुवाद हैं|

सचिदानंद रूपया मंत्र इन हिंदी

आइये अब हम आपको सचिदानंद रूपया मंत्र का सारांश और इसके अर्थ के बारे में बताते हैं|

सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे!
तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: !!

सच्चिदानंद रूपाय श्लोक Meaning

ॐ सचिदानंद रूपया

हे सत् चित्त आनंद! हे संसार की उत्पत्ति के कारण! हे दैहिक, दैविक और भौतिक तीनो तापों का विनाश करने वाले महाप्रभु! हे श्रीकृष्ण! आपको कोटि कोटि नमन.
हे लीलाधर! हे मुरलीधर! संसार आपकी लीलामात्र का प्रतिबिंब है.
हे योगेश्वर! आप अनन्त ऐश्वर्य, अनन्त बल, अनन्त यश, अनन्त श्री के स्वामी हैं लेकिन इसके साथ साथ आप अनंत ज्ञान और अनंत वैराग्य के भी दाता हैं.
हे योगिराज कृष्ण! आपके महान गीता ज्ञान का आलोक आज तक हमारा पथप्रदर्शक है लेकिन हम मर्त्य प्राणी आपके इस अपार सामर्थ्य को भूलकर उस माया में डूबे हुए हैं जो हमें आपके वास्तविक स्वरुप का भान नहीं होने देती है.
हे अनंत कोटि ब्रह्मांड के स्वामी! इस बार जन्माष्टमी पर हम भक्तजन आपके योद्धा कृष्ण, नीतीज्ञ केशव, योगिराज माधव स्वरुप की शपथ लेते हैं, कि हम सदैव आपके चरणकमलों का अनुगमन करते हुए धर्म के मार्ग पर चलेंगे.

सच्चिदानंद रूपाय अर्थ

श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारे..हे नाथ नारायण वासुदेवाय…
पितु मात स्वामी सखा हमारे..हे नाथ नारायण वासुदेवाय…

सच्चिदानंद का अर्थ

“कृष्णा के दरबार में,
दुनियां बदल जाती है,

“रहमत से हाथ की,
लकीर बदल जाती है,

लेता है जो भी दिल से,
कृष्णा का नाम. . . . ,

पल भर में उसकी….,,
तकदीर बदल जाती है”!

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