वीर कुंवर सिंह पर कविता – Veer Kunwar Singh Par Kavita – Poem on Veer Kunwar Singh in Hindi

वीर कुंवर सिंह पर कविता

वीर कुंवर सिंह कविता: वीर कुंवर सिंह का पूरा नाम बाबू कुंवर सिंह था| उनका जन्म 23 अप्रैल 1777 में बिहार के भोजपुर जिले में हुआ था| वे भारत के सबसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही के स्थान पर थे| कुछ लोग उन्हें महानायक भी कहते थे| उन्हें सब लोग उनकी वीरता और पराक्रम की वजह से जानते थे| उनकी वीरता को इस बात से भी जाना जा सकता है की उन्हें 80 साल की उम्र में भी युद्ध में हिस्सा लेने का शौक था और उस समय भी वे विजय होते थे| उनकी जयंती के उपलक्ष में आज हम आपके लिए वीर कुंवर सिंह पर हिंदी कविताए, वीर कुंवर सिंह पोयम्स इन हिंदी, आदि की जानकारी लाए है|

वीर कुंवर सिंह की जयंती पर कविता

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कहते हैं एक उमर होती, दुश्मन से लड़ भिड़ जाने की
कहते हैं एक उमर होती, जीवन में कुछ कर जाने की।
लेकिन है ये सब लफ़्फ़ाज़ी, कोई उम्र नहीं कुछ करने की
गर बात वतन की आये तो, हर रुत होती है मरने की।
ये सबक हमें है सिखलाया, इक ऐसे राजदुलारे ने
सन सत्तावन की क्रांति में, जो प्रथम था बिगुल बजाने में।
अस्सी की आयु थी जिसकी, पर लहू राजपूताना था
थे कुँवर सिंह जिनको सबने, फिर भीष्म पितामह माना था।
जागीरदार वो ऊँचे थे, अंग्रेजों का मन डोला था
उस शाहाबाद के सिंहम पर, गोरों ने हमला बोला था।
फ़रमान मिला पटना आओ, गोरे टेलर ने बोला था
पटना ना जाकर सूरा ने, खुलकर के हल्ला बोला था।
सन सत्तावन की जंग अगर, इतनी प्रचंड हो पाई थी
था योगदान इनका महान, जमकर हुड़दंग मचाई थी।
नाना टोपे मंगल पांडे, वो सबके बड़े चहेते थे
भारत माता की अस्मत के, सच्चे रखवाले बेटे थे।
चतुराई से मारा उनको, गोरे बर्षों कुछ कर ना सके
छापेमारी की शैली से, अंग्रेज फ़िरंगी लड़ ना सके।
वन वन भटका कर लूटा था, सालों तक उन्हीं लुटेरों को
है नमन तुम्हें हे बलिदानी, मारा गिन गिन अंग्रेजों को।

Veer Kunwar Singh Par Kavita

Babu Veer kunwar singh ki kavita

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कुँवर सिंह के माटी जहवाँ
भोजपुर जहां के नाम भईल
ओही माटी पर हई देखs
कतना बाउर काम भईल
भोजपुरी के पढ़ाई रुकल
कतना उमेद के साँझ भईल ॥
मिलल खबर भोजपुरिया के
सबके बुद्धि जाम भईल
जेकरा के बल बना के
आन्दोलन के इंतजाम भईल
माई माटी के कमजोर करत
कईसन जयचंदी काम भईल ॥
उठs भोजपुरिया पूत लोग
माई के आह्वान भईल
भोजपुरी अपना घरही में
सांस टुटल मान गईल
उठी, जागी, दऊरी भागी
बहुत अब आराम भईल ॥

वीर कुंवर सिंह पर कविता इन हिंदी

असे म्हटले जाते की शत्रूविरुद्ध लढण्यासाठी एक उमर असावा
असे म्हटले जाते की आयुष्यात काहीतरी करण्याची उरमर असणार आहे.
परंतु हे सर्व फायदेशीर आहे, काहीही करण्याची कोणतीही वय नाही
आपण काळजीत असाल, तर प्रत्येक विधी मरणे आहे
अशा राजदुल्लारने हा धडा शिकवला आहे
सनी पावर क्रांतीमध्ये, रणशिंग वाजवणारे सर्वप्रथम कोणते.
एली हा वयाच्या होता, पण रक्त राजपुताना होते
कुन कुं सिंग, ज्याला प्रिय वडील मानले जाते.
ते उच्च होते, इंग्रजांचे हृदय कंटाळवाणे होते
त्या शाहबच्या मालकावर गोरीने हल्ला केला.
पैशानाला पटना मिळाला, तर सुनंदाचा टेलर म्हणाला
पटना जातांना, सुलावाने उघडपणे बोलले.
जर सुनीसचे युद्ध इतके दुर्मिळ होते, तर ते इतके दुखद होते
योगदान त्यापैकी उत्तम होते, हूडदांग मचाचा
नाना टोपे मंगल पांडे, ती सर्व त्यांना आवडतात
भारत माता च्या अनुपस्थितीत, खरे keepers पुत्र होते.
ते काहीतरी स्मार्ट करून काहीतरी करू शकत नाहीत
छापे घालण्याच्या शैलीतून ब्रिटिश सैनिक लढू शकले नाहीत.
एक जंगलात भटकणारा होता, कित्येक वर्षांपासून त्याच लुटारूंसाठी
नम्मन आपल्या त्याग आहे, ब्रिटिश मोजण्यासाठी, आपल्या बलिदान आहे

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