बैसाखी पर निबंध 2022 – Essay on Vaisakhi in Hindi – Short Essay on Baisakhi in Punjabi Language

Short Essay on Baisakhi in Punjabi Language

Baisakhi 2022 : बैसाखी का त्यौहार एक बहुत की पावन और पवित्र त्यौहार है| यह पर्व रबी की फसल काटने की ख़ुशी में मनाया जाता है| इस त्यौहार को सबसे ज्यादा पंजाब में और हरयाणा राज्य में मनाया जाता है| यह सिख धर्म का त्यौहार है| इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है इसी दिन दसवे गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्तापना करि थी| आज के इस पोस्ट में हम आपको बैसाखी का त्यौहार, paragraph on baisakhi, बैसाखी पर्व का महत्व, बैसाखी का महत्व निबंध, essay on baisakhi in english, बैसाखी 200 वर्ड्स एस्से, आदि की जानकारी देंगे|

हिस्ट्री ऑफ़ बैसाखी इन पंजाबी

आज हम आपके लिए लाये हैं बैसाखी एस्से इन हिंदी,बैसाखी पर विचार, महत्व व शायरी, Essay on Baisakhi in Hindi, speech on Baisakhi, Baisakhi Nibandh यानी की बैसाखी पर निबंध हिंदी में 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं| साथ ही आप बैसाखी शायरीBaisakhi Status for WhatsApp भी देख सकते हैं| यह त्यौहार Punjab, Haryana, Himachal Pradesh, Bihar, Chhattisgarh, Delhi, Gujarat, Haryana, Jharkhand, Karnataka, Maharashtra, Meghalaya, Madhya pradesh, Panjab, Rajasthan, Tamil Nadu, Uttarakhand, Uttar Pradesh सहित अन्य राज्यों में बहुत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है|साथ ही यह पर्व Canada, UK, USA में भी पंजाबी समूह में मनाया जाता है|आप सभी को बैसाखी की बधाई |

बैसाखी का त्यौहार फसल का त्यौहार है । इस त्यौहार को समूचे पंजाब और हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निवासी बड़े उत्साह से मनाते हैं ।इस त्यौहार में हिन्दू, मुसलमान और सिक्ख सभी लोग समान रूप से भाग लेते हैं । यह त्यौहार हर वर्ष 13 अप्रैल को पड़ता है । यह बैसाख माह के पहले दिन होता है । इस दिन लोग नए-नए वस्त्र पहनते हैं । घरो मे हलवा तथा अरर मिठाइयां आदि स्वादिष्ट पदार्थ बनते हैं ।

बैसाख का त्यौहार मनाने के लिए हर शहर क२चे या मुहल्ले में एक मेला लगता है । आमतौर से ऐसे स्थान पर बैसाखी मेला लगता है, जिसका कुछ धार्मिक महत्त्व हो । साधारणतौर पर नदी या नहर अथवा तालाब के किनारे या मंदिर के प्रांगण मे यह मेला लगता है । बैसाखी पर्व के एक दिन पूर्व यहां बाजार लगता है । मिठाई, चाट, खिलौनों, फलों आदि की अनेक दुकानें लगाई जाती हैं । लोग बडी संख्या में आकर खरीदारी करते हैं ।

मेले में तरह-तरह की दुकाने होती हैं । इसमे अनेक प्रकार के झूले और चर्खियाँ लगाई जाती हैं । लड़के-बच्चे और स्त्रिया विशेष रूप से घूमते झूलों में बैठते हैं और हवा में तेजी से ऊपर-नीचे होते हुए प्रफुल्लित होते हैं । बच्चे इनमें बैठकर विशेष आनन्द मनाते हैं ।

मेले में अनेक नट और बाजीगर भी आ जाते हैं । वे दर्शकों को तरह-तरह के खेल दिखाकर अच्छी आमदनी कर लेते हैं । मेले में कहीं मदारी बदंरों का नाच दिखाते हैं, तो कहीं भालू का नाच होता है । चाट-पकौडी की दुकानो पर बच्चों और रियो की भीड़ दिखाई देती है । बैसाखी के दिन मेले में बड़ी भीड़ हो जाती है । चारों ओर आदमी-ही-आदमी दिखाई देते है । कहीं तिल रखने को स्थान नहीं होता ।

बैसाखी मेले में लोक-जुटा का प्रदर्शन भी किया जाता है । मेले के एक भाग में बहुत-से लोग घेरा बनाकर खडे दिखाई देगे । बीच में ग्रामीण पुरुषों और महिलाओ की एक टोली होगी । ये आमतौर पर आस-पास के गाँवों के किसान होते हैं । वे ढोल-नगाडों की तान पर अपने लोक-नृत्यों का प्रदर्शन करते है ।

हाथों में वे लम्बे-लम्बे डंडे लिये होते हैं । उन्हें हवा में उछाल कर कूदते है और डंडे लपक लेते हैं । हाथ-पैरों को हवा मे उछाल कर वे जोर-जोर से “बैसाखी आई रे, बैसाखी आई रे” लय से चिल्लाते हैं । सभी नर्तक खुशी से झूमते हैं । बहुत-से दर्शक भी अपने आपको नहीं रोक पाते और स्वय नाचने लगते हैं ।

मेले में एक ओर आमोद-प्रमोद के अनेक साधन होते हैं और दूसरी ओर अनेक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति अपने धर्म के प्रचार का काम करते है । वे बड़े-बड़े शामियाने लगाते हैं । हिन्दुओं, सिक्स तथा आर्यसमाजियों के अलग शामियाने लगाते हैं । इनमे भजन गाये जाते हैं और धार्मिक प्रवचन होते हैं । यही बैठकर लोग सांसारिक वैभव भूल कर ईश्वर का ध्यान करते हैं ।

बैसाखी पर हिंदी निबंध

Vaisakhi 2021 date: इस साल बैसाखी 13 april 2021,को पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाएगी|अगर आप बैसाखी के लिए हर साल 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2022 के लिए Message, SMS, Quotes, Whatsapp Status, the baisakhi fair essay, Few lines on Baisakhi in Hindi, Sayings, Slogans, बैसाखी पर कविता, Jokes 140 120 Words Character तथा भाषा Hindi, English, Urdu, Punjabi, Haryanvi, Malayalam, Kannada, English, Bengali, Tamil, Telugu, Marathi, Nepali के Language Font के 3D Image, HD Wallpaper, Photos, Pictures, Pics, Greetings, Free Download जानना चाहे तो यहाँ से जान सकते है| बैसाखी इन पंजाबी लैंग्वेज इस प्रकार है:

Essay on Vaisakhi in Hindi

बैसाखी त्यौहार पर निबंध

बैसाखी’ को ‘वैसाखी’ के नाम से भी जाना जाता है। बैसाखी प्रायः प्रति वर्ष 13 अप्रैल को मनायी जाती है किन्तु कभी-कभी यह 14 अप्रैल को पड़ती है। बैसाखी का त्यौहार एक मौसमी त्यौहार है। यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है किन्तु पंजाब एवं हरियाणा में इसका विशेष महत्त्व है। यह त्यौहार सभी धर्मों एवं जातियों के द्वारा मनाया जाता है। बैसाखी मुख्यतः कृषि पर्व है। यह त्यौहार फसल कटाई के आगमन के रूप में मनाया जाता है।

बैसाखी सिखों का प्रसिद्द त्यौहार है। सिखों के लिए यह पर्व मात्र फसल कटाई आगमन का द्योतक ही नहीं बल्कि सिख भाईचारे और एकता का प्रतीक भी है। वर्ष 1699 में इसी दिन अंतिम सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखों को खालसा के रूप में संगठित किया था। सिख इस त्यौहार को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं।

बैसाखी पर्व के दिन समस्त उत्तर भारत की पवित्र नदियों में स्नान करने का माहात्म्य माना जाता है। बैसाखी के पर्व पर लोग नए कपड़े धारण करते हैं। वे घर में हलवा एवं अन्य प्रिय व्यंजनों को बनाते हैं। बैसाखी के पर्व पर लगने वाला बैसाखी मेला बहुत प्रसिद्द है। प्रायः यह मेला नदी के किनारे लगता है। बैसाखी के दिन मेले में बहुत भीड़ होती है। हिंदुओं के लिए यह त्यौहार नववर्ष की शुरुआत है। हिंदु इसे स्नान, भोग लगाकर और पूजा करके मनाते हैं। इस दिन सिख गुरुद्वारों में विशेष उत्सव मनाए जाते हैं। सिख इस त्यौहार को विशेष तरीके से मनाते हैं। वे मंदिर, गुरुद्वारा में जाकर दर्शन करते हैं और पवित्र ग्रन्थ का पाठ करते हैं।

Nibandh on Vaisakhi

बैसाखी त्यौहार को इस दिन इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन खालसा पन्त की स्थापना हुई थी। बैसाखी के दिन इस पवित्र समाज की शुरुवात सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने की थी। उससे पहले तीसरे एख गुरु ने पहले ही बैसाखी के उत्सव की शुरुवत कर दी थी।चाहे गाओं हो यह शहर हर जगह सिख समुदाय के लोग इस त्यौहार को बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं। यह उनके समाज का एक मुक्जय त्यौहार है और इस दिन को बहुत ही रीती रिवाज़ के साथ मनाया जाता है।

इस दिन सिख लोग अपने परिवार जनों के साथ नाचते हैं, स्वादिष्ट खाना खाते हैं और मज़ा करते हैं। इस दिन वे सभी रंगीन कपडे पहनते हैं और भंगड़ा नृत्य करते हैं जो देखने में बहुत ही अच्छा होता है।

गाओं के क्षेर्रों में यह सिख खेती किसान लोगों के लिए खुशियों भरा होता है। अपने फसल ले लोए कड़ी मेहनत के बाद वो सफलता से अपने फसलों ली कटाई करते हैं। ना सिर्फ पंजाब में उत्तर भारत में दिल्ली, हरयाणा, में भी इस त्यौहार को जगह-जगह उत्साह के साथ मनाया जाता है।

जैसे जैसे दिन बदलते जा रहा है अब बैसाखी त्यौहार को भी थोड़ा नया होते जा रहा है। अब बैसाखी के त्यौहार मेकन लोग एक दुसरे को अच्छे तौफे देते हैं और ख़ुशी प्यार को बंटाते हैं।

पारंपरिक रूप से कई जगह मेला भी लगाये जाते हैं जिसे “बैसाखी मेला” कहा जाता है। वहां बच्चों के लिए सुन्दर खिलौने, स्वादिस्ट मिठाई, और चटपटे खाना, भी मिलता है। इन मेलों में सभी लोग अपने परिवार के लोगों के।साथ घूमने जाते हैं और मज़े करते हैं।

सिख समुदाय के लोगों के लिए यह दिन बहुत मायने रखता है। वहीँ पश्चिम बंगाल में भी इस दिन को अपने नए साल (नव वर्ष) के रूप में मनाते हैं। बौद्ध समुदाय के लोगों का मानना है की इसी दिन भगवान् बुद्ध ने आत्म ज्ञान की प्राप्ति की थी।

Essay on baisakhi in Hindi

अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है baisakhi festival essay, लेख एसेज, anuched, short paragraphs, pdf, Composition, Paragraph, Article हिंदी, निबन्ध (Nibandh), बैसाखी का त्यौहार व बैसाखी पर्व का महत्व पर निबंध लिखें| जिसके लिए हम पेश कर रहे हैं Vaisakhi essay hindi Me. साथ ही आप बैसाखी इमेज देख सकते हैं| आप सभी को Baisakhi diyan lakh lakh vadhaiyan in Punjabi.

बैसाखी एक ऐसा त्योहार है जिसे विभिन्न लोगों द्वारा विभिन्न कारणों से मनाया जाता है। किसानों के लिए यह बेसाख सीज़न का पहला दिन है जो वर्ष का वह समय होता है जब सभी को उनकी कड़ी मेहनत का नतीज़ा मिलता है। इसका कारण यह है कि इस समय के दौरान सभी फसलों को परिपक्व और पोषित किया जाता है। वे इस दिन भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं और फसल को काटने के लिए इकट्ठा होते हैं।

यह दिन सिख और हिंदू समुदायों के लोगों के लिए नए साल की शुरुआत का प्रतीक है और यही इस दिन को मनाने का एक और कारण भी है। नए साल की अच्छी शुरूआत के लिए प्रार्थना की जाती है। बैसाखी, जो हर साल 13 या 14 अप्रैल को आती है, और देश भर के स्कूलों और कार्यालयों की छुट्टी होती है। यह कुछ भारतीय त्योहारों में से एक है जो एक निश्चित तिथि पर मनाए जाते हैं।

पंजाब में और देश के अन्य हिस्सों में लोग अपनी पारंपरिक पोशाक में जश्न मनाने के लिए तैयार होते हैं। पंजाब में लोगों को भांगड़ा और गिद्दा (पंजाब के लोक नृत्य) करते हुए इस दिन का जश्न मनाते हुए देखा जा सकता है। इस अवसर का जश्न मनाने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में बैसाखी मेले आयोजित किए जाते हैं और जुलूस आयोजित किए जाते हैं।

Essay on baisakhi in punjabi – बैसाखी एस्से इन पंजाबी लैंग्वेज

बैसाखी पर निबंध 2018

बैसाखी, जिसे वैसाखी या वसाखी भी कहा जाता है, हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। अन्य भारतीय त्यौहारों की तरह सभी वर्ग विशेषकर सिख समुदाय से संबंधित लोगों द्वारा बैसाखी की प्रतीक्षा की जाती है क्योंकि यह उनके मुख्य उत्सवों में से एक है। न केवल यह उनके लिए नए साल की शुरुआत को चिन्हित करता है बल्कि यह फसलों की कटाई का जश्न मनाने का भी समय है।

मूल रूप से एक हिंदू त्यौहार बैसाखी, गुरु अमर दास द्वारा एक मुख्य सिख त्योहार के रूप में शामिल किया गया था और तब से पूरे विश्व के सिख समुदाय के लोगों द्वारा इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। दसवें सिख गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 में खालसा पंथ की नींव रखी थी। उसी दिन खालसा पंथ का गठन किया गया था और यही कारण है सिख समुदाय के पास इस दिवस को मनाने का।

पूरे भारत के गुरूद्वारे, विशेष रूप से पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों में, इस दिन के लिए सजाए जाते हैं और बड़ी संख्या में लोग इस दिन पूजा करने के लिए आते हैं। नगर कीर्तन गुरुद्वारों से किया जाता है और लोग जुलूसों के दौरान आनंद लेने के लिए नाचते, गाते और पटाखे छुड़ाते हैं।

बहुत से लोग अपने रिश्तेदारों, मित्रों और सहकर्मियों के साथ इस दिन को मनाने के लिए घर पर इक्कठा होते हैं।

जहाँ बैसाखी का मेला और जुलूस दुनिया भर के कई स्थानों पर आयोजित किया जाता है वहीँ स्वर्ण मंदिर में मनाए गये जश्न से कोई भी जश्न मेल नहीं खा सकता।

स्वर्ण मंदिर, जिसे श्री हरमंदिर साहिब के रूप में भी जाना जाता है, सिख समुदाय के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। विश्व के विभिन्न जगहों से सिख यहां आयोजित भव्य दिव्य समारोह में भाग लेने के लिए स्वर्ण मंदिर की यात्रा करते हैं।

सिख समुदाय के लोगों को उनके मज़ेदार स्वभाव के लिए जाना जाता है और बैसाखी के त्योहार के अवसर पर सिख समुदाय के लोगों की ख़ुशी देखते ही बनती है।

Vaisakhi da mela lekh in punjabi

ਵਿਸਾਖੀ ਦਾ ਮੇਲਾ ਤੇ ਲੇਖ ਪੰਜਾਬੀ

ਵਿਸਾਖੀ ਭਾਰਤੀਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ, ਜੋ ਹਰ ਸਾਲ ਵਿਸਾਖ ਮਹੀਨੇ ਦੀ ਸੰਗ੍ਰਾਦ ਨੂੰ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਬੜੀ ਧੂਮਧਾਮ ਨਾਲ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਤਿਹਾਸ ਵਿਚ ਅਨੇਕਾਂ ਪ੍ਰਸੰਗ ਜੁੜ ਜਾਣ ਨਾਲ ਇਸ ਦਾ ਮਹੱਤਵ ਪਹਿਲੇ ਨਾਲੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕਿਵੇਂ ਹੋਈ, ਇਸ ਬਾਰੇ ਕੁਝ ਕਹਿ ਸਕਣਾ ਤਾਂ ਸੰਭਵ ਨਹੀਂ। ਅਸਲ ਵਿਚ ਪਹਿਲੇ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਇਕ ਰੁੱਤ ਸਬੰਧੀ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ। ‘

ਵਿਸਾਖ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਆਉਣ ਤੇ ਹੀ ਗਰਮੀ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਖੇਤਾਂ ਵਿਚ ਫਸਲਾਂ ਪੱਕ ਕੇ ਤਿਆਰ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਕਿਸਾਨ ਆਪਣੀਆਂ ਫਸਲਾਂ ਨੂੰ ਤਿਆਰ ਦੱਖਕੇ ਖੁਸ਼ੀ ਨਾਲ ਨੱਚ ਉਠਦਾ ਹੈ। ਇਹਨਾਂ ਫਸਲਾਂ ਨਾਲ ਉਹ ਮਾਲਾਮਾਲ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਵਿਸਾਖੀ ਦੇ ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਦੇ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਅਨੇਕਾਂ ਪੰਨੇ। ਜੁੜੇ ਹੋਏ ਹਨ। ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਅੱਜ ਦੇ ਦਿਨ ਹੀ ਅਨੰਦਪੁਰ ਵਿਖੇ। ਭਾਰੀ ਦੀਵਾਨ ਲਗਾਇਆ ਸੀ। ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਇਕੱਠ ਵਿਚ ਨੰਗੀ ਤਲਵਾਰ ਲੈ ਕੇ ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਚੇਲਿਆਂ ਨੂੰ ਸਿਰਦੋਣ ਲਈ ਕਿਹਾ ਸੀ। ਇਕ-ਇਕ ਕਰ ਕੇ ਪੰਜ ਵੀਰ ਉਠੇ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਆਪਣਾ ਸਿਰ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਅੱਗੇ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਪੰਜਾਂ ਵੀਰਾਂ ਨੂੰ ਪੰਜ ਪਿਆਰੇ’ ਦਾ ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਅੱਜ ਦੇ ਦਿਨ ਖਾਲਸਾ ਪੰਥ ਸਾਜਿਆ।

ਵਿਸਾਖੀ ਦੇ ਪਵਿਤ੍ਰ ਦਿਨ 13 ਅਪ੍ਰੈਲ 1919 ਨੂੰ ਅਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੇ ਜਿਲ੍ਹਿਆਂ ਵਾਲੇ ਬਾਗ ਵਿਚ ਭਿਆਨਕ ਹਿੰਸਾਕਾਂਡ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਇਸ ਬਾਗ ਵਿਚ ਇਕੱਠੇ ਹੋਏ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਨਿਹੱਥੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਜਨਰਲ ਡਾਇਰ ਨੇ ਗੋਲੀ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਬਣਾਇਆ। ਇਸ ਭਿਆਨਕ ਅਤਿਆਚਾਰ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸੈਂਕੜੇ ਲੋਕ ਮਾਰੇ ਗਏ ਅਤੇ ਜ਼ਖਮੀ ਹੋ ਗਏ। ਇਹਨਾਂ ਵੀਰਾਂ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਲਈ ਆਪਣੀਆਂ ਜਾਨਾਂ ਗਵਾਂ ਕੇ ਭਾਰਤਵਾਸੀਆਂ ਲਈ ਮੁਕਤੀ ਦਾ ਰਸਤਾ ਖਲ਼ ਦਿੱਤਾ। ਵਿਸਾਖੀ ਦੇ ਦਿਨ ਹਰ ਸਾਲ ਇਹਨਾਂ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਨੂੰ ਸਾਰਾ ਰਾਸ਼ਟਰ ਸ਼ਰਧਾਂਜਲੀ ਭੇਂਟ ਕਰਦਾ ਹੈ।

ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਵਿਚ ਇਸ ਦਿਨ ਨੂੰ ਵਿਕ੍ਰਮੀ ਸੰਮਤ ਦਾ ਆਰੰਭ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਲੋਕ ਇਸ ਦਿਨ ਭਗਵਾਨ ਦਾ ਭਜਨ ਕਰਦੇ ਅਤੇ ਦਾਨ ਆਦਿ ਦਿੰਦੇ ਹਨ। ਵਪਾਰੀ ਲੋਕ ਵਿਸਾਖੀ ਤੇ ਆਪਣਾ ਬਹੀ-ਖਾਤਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਦੇ ਹਨ।

ਹਰੇਕ ਛੋਟੇ ਵੱਡੇ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਇਸ ਦਿਨ ਅਨੇਕ ਸਮਾਰੋਹ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਮੇਲੇ ਲਗਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਕੁਸ਼ਤੀਆਂ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਲੋਕ ਨਵੇਂ-ਨਵੇਂ ਕਪੜੇ ਪਾ ਕੇ ਇਹਨਾਂ ਸਮਾਰੋਗਾਂ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਭਾਰੀ ਗਹਿਮਾ-ਗਹਮੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਵਿਸਾਖੀ ਦਾ ਮੇਲਾ ਦੇਖਣ ਯੋਗ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਆ ਕੇ ਲੋਕ ਮਿਠਾਈਆਂ, ਕੁਲਫ਼ੀ, ਗੋਲਗੱਪੇ ਆਦਿ ਖਾਂਦੇ ਅਤੇ ਆਪਣੀ ਖੁਸ਼ੀ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਕਿਸਾਨ ਖੇਤਾਂ ਦੇ ਕੰਮ ਤੋਂ ਵਿਹਲੇ ਹੋ ਕੇ ਖੁਸ਼ੀ ਨਾਲ ਨੱਚ ਉੱਠਦੇ ਹਨ। ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਇਸ ਨਾਚ ਨੂੰ ਭੰਗੜਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਿਸਾਨ ਅਨੇਕਾਂ ਬੋਲੀਆਂ ਬੋਲਦੇ ਹੋਏ ਢੋਲ ਦੀ ਥਾਪ ਦੇ ਨਾਲ। ਭੰਗੜਾ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਅਨੇਕਾਂ ਪਹਿਲਵਾਨ ਕੁਸ਼ਤੀਆਂ ਲੜਦੇ ਹਨ। ਇਸਦੇ ਇਲਾਵਾ ਕੱਬਡੀ, ਫੁਟਬਾਲ ਆਦਿ ਮੈਚ ਹੁੰਦੇ ਹਨ।

ਕੁਝ ਲੋਕ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀ ਕੇ ਇਸ ਦਿਨ ਲੜ ਪੈਂਦੇ ਹਨ। ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਅਨੇਕਾਂ ਵਿਅਕਤੀ ਜ਼ਖਮੀ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਇਹਨਾਂ ਪਵਿਤ੍ਰ ਦਿਹਾੜਿਆਂ ਤੇ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀ। ਕੇ ਦੰਗੇ ਕਰਨਾ ਸੁਤੰਤਰ ਭਾਰਤ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸੋਭਾ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦਾ। ਸਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਤਿਉਹਾਰ ਬੜੀ ਸ਼ਾਨ ਨਾਲ ਮਨਾਉਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਮਹੱਤਵ ਵੀ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

बैसाखी का त्यौहार पर निबंध

इस उत्सव को एक प्रमुख त्यौहार की तरह गुरु अमरदास द्वारा शामिल किया गया था। तब से लेकर आज तक सम्पूर्ण सिख समुदाय के लोग इसे उत्साह से मनाते है। गुरु गोबिंद सिंह ने भी खालसा पंथ की नींव सन 1699 में रखी थी। यही वजह है सिख समुदाय के लोग इस दिन को विशेष तरीके से मनाते है।

इस दिन पंजाब और हरियाणा के सभी गुरुद्वारों को भव्य तरीके से सजाया जाता है। बहुत बड़े पैमाने पर इस दिन पूजा होती है। इस दिन गुरुद्वारों में भक्ति गीत और कीर्तन होते है। सम्पूर्ण राज्य में लोग झूमते, गाते हुए नज़र आते है। सभी अपने परिवार और दोस्तों के साथ यह उत्सव मनाते है।

[su_spoiler title=”Related Search:”]Baisakhi story in hindi, Baisakhi in hindi poem, Baisakhi in hindi 2017, 2016, 2022 , some lines on vaisakhi in hindi, 10 lines on Baisakhi in hindi, short essay on Baisakhi in punjabi, few lines on Baisakhi in hindi, some lines on Baisakh[/su_spoiler]

About the author

admin