अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2022: अंतरास्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 ओक्टुबर को मनाया जाता है| इस दिन का बहुत महत्व है| यह पर्व महिला शशक्तिकरण को बढ़ावा देता है| पूरे विश्व में महिलाओ हर वर्ग में पुरुषो के कंधे से कन्धा मिलाते हुए चल रही है| पर पहले के समय ऐसा नहीं होता था| महिला संरक्षण एक बड़ा मुदा है जो की पूरे विश्व में बड़े जोर शोरे से प्रचलित है| ऐसे में इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है| इस दिन पर बहुत जगह महिला संरक्षण के लिए रैलिया निकाली जाती है| ये कविता खासकर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर कविता
आइये अब हम आपको इंटरनेशनल डे ऑफ़ थे गर्ल चाइल्ड २०१७, इंटरनेशनल बालिका दिवस, इंटरनेशनल डे ऑफ़ गर्ल चाइल्ड पोएम, बालिका दिवस पर निबंध आदि की जानकारी किसी भी भाषा जैसे Hindi, हिंदी फॉण्ट, मराठी, गुजराती, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language व Font में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection जिसे आप अपने स्कूल व सोशल नेटवर्किंग साइट्स जैसे whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|
आने दो इस धरा पे मुझको
नेह भरी निगाह से देख सकूंगी मैं सबको
कसूर क्या है मेरा ये पूछुंगी जग से
भ्रूण हत्या ना करें ये कहूंगी तब जग सेआराध्य से मांगे वरदान
सारे पुण्य व्यर्थ जाएंगे
जब करोगे भ्रूण हत्याएं
सारे जग में कहीं-न कहींभ्रूण हत्याओं की हृदय विदारक
खबरें सुन-सुनकर
सिसक रही हूं मैं गर्भ में
मैं तो अभी भ्रूण हूं
किंतु भ्रूण भी तो सीख जाता
अभिमन्यु-सा चक्रव्यूह
भेदने का राजदुनिया के लोभी चक्रव्यूह
को मैं तोड़ना चाहती हूं
अभी बोल नहीं पाती
लेकिन समझ तो जाती हूंबेटी हूं तो क्या हुआ
धरा पर आकर
उड़ान भरुंगी नभ में
तैरुंगी गहरे जल में
दौड़ूंगी पथरीले थल में
क्योंकि मुझे भी तो
देश की रक्षा व नाम रोशन करने का हक हैकोयल की कूक बन जाउंगी
फूलों की खुशबु बन महक जाउंगी
रिश्तों का अर्थ सबको समझाउंगी
जीने का अधिकार
ईश्वर ने दिया सब को
तो भला क्यों मारते हो हमेंबस आने तो दो इस धरा पे मुझको
नेह भरी निगाह से देख सकुंगी मैं सबको
कसूर क्या है मेरा पुछुंगी ये तब जग से
भ्रूण हत्या ना करे ये कहूंगी तब मैं सब से
International girl child day poem in hindi
कन्या भ्रूण का हो क्यों हनन?
इस पर थोड़ा करो मनन!
जीव का है जीवन अधिकार
फिर क्यों उस पर अत्याचार?जननी जन्मदायिनी कन्या,
इससे चलता है संसार,नाम हो कुल का बेटे से,
तो वंश पनपता बेटी से,बेटी बिना है सूना जीवन,
बिन चिडि़या के जैसे आँगन,
बिन खुशबू के चंदन काठ,
कन्या भ्रूण पर कुठाराघात,है समाज का घोर कलंक,
भर लो उसको अपने अंक।
Balika diwas par kavita
पार्वती माता का प्रतीक
दुर्गा शक्ति का प्रतीक
सीता , मंदोदरी, रुकमनी भार्या का प्रतीक
मीरा , राधा प्रेम का प्रतीक
गंगा , पवित्रता का प्रतीक
सरस्वती , ज्ञान का प्रतीक
लक्ष्मी , धन का प्रतीक
बाजार , वासना का प्रतीक
तीन तत्व , अग्नि , धरती , वायु
International day of the girl child Poem in Hindi
मौत अजन्मी परी की…..”
चांद की चांदनी ले
सूरज की आभा से दमकी
तारोँ की छाँव मेँ
अभी तो उतरी थी
बीज बन वो नन्हीँ परी
एक माँ की कोख मेँ !बीज था वो मानव की उत्पत्ति का
बीज था वो ममता की गंगा का
बीज था वो स्नेह के झरने का
बीज था वो त्याग और बलिदान का
धरती पर मानव के उत्थान का !माँ ने सींचा था उसे अपने ही रक्त मेँ
महसूस किया था स्पंदन जब अपने वजूद मेँ
कितने ही सपने बुन डाले थे पल मेँ
कितने ही रूपोँ मेँ रच लिया था क्षण मेँ
माँ के लिये वो ना नर था ना मादा थी
नर था तो कन्हैया था, मादा थी तो लक्ष्मी थी
गर था तो सिर्फ नव जीवन का एक एहसास वो !कितनी ही बातेँ उससे कर डालीँ थी उसने
कितनी ही बार उसको सहलाया था कोख मेँ
प्यार के पराग से उसे भिगोया था उसने
तभी एक तूफान आया कहीँ से
पूछ बैठा उसकी पहचान को वो
एक माँ की कोख से ही जनमा था जो
कर बैठा नफरत एक माँ की कोख से ही
जनम लेने न पाये कोई कोख दूसरी
उजाड़ दी वो कोख खिलने से पहले ही !पूछे तो कोई इन नादान हत्यारोँ से
चुकाते हैँ ऋण क्या जनमदात्री का ऐसे ही
कौन सुनेगा पुकार उस माँ की
नारी ही बन जाये जब दुश्मन नारी की !सिसक पड़ी वो माँ सुन चीख
कोख मेँ उस अजन्मी परी की
देखी न गई दुर्दशा माँ से
नोच कर कुचली गई कली की
मरती रही है ममता उस माँ की
जब जब पनपी कोख मेँ देह नारी की
कितनी बार चढ़ेगी वो माँ सूली पर
संवेदनहीन समाज के इस विष वृक्ष की !कैसे खिलेंगे गुलाब उस चमन मेँ
बो रखे है जहाँ बीज बिनौले
2020 update