पितृ पक्ष पूजा विधि – पितृ तर्पण विधि – Pitru Paksha Puja Vidhi at Home in Hindi

पितृ तर्पण विधि

Pitru Paksha 2018: यह माना गया है की ब्रह्म पुराण के अनुसार जो भी वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम सही विधि द्वारा ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक दिया जाए वह श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध के माध्यम से हम अपने पितरों को तृप्ति के लिए भोजन पहुँचाते है। पिण्ड रूप में पितरों को दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम हिस्सा होता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों यानि पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए। पितरों की शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के समय में पितृ पक्ष श्राद्ध किये जाते हैं। यह भी माना गया है कि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं ताकि वह अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें।

Pitru paksha puja vidhi

Pitru paksha 2018 dates: पितृ पक्ष श्राद्ध 24 सितम्बर (सोमवार) से शुरू हो रहे है जो की 8 अक्टूबर (सोमवार) को समाप्त हो रहे हैं| आज हम आपको बताएंगे pitru paksha pooja, पितृपक्ष की पूजा व pitru paksha puja kaise kare की जानकारी| आइये अब जानते हैं की पितृ पक्ष की पूजा किसी तरीके से की जाती है | साथ ही आप पितृ पक्ष रूल्स भी जान सकते हैं|

  • सबसे पहले हमें सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और उसके तुरंत बाद ही पितृ और देव स्थान को गाय के गोबर से लीपना चाहिए और गंगाजल से पवित्र करना चाहिए |
  • श्राद्ध को सूर्योदय से 12 बजे की मध्य ही कर लेना चाहिए और इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की भ्रामण से तर्पण आदि कार्य भी इसी बीच करा लेने चाहिए |
  • घर की महिलायें भी स्नान करने के बाद ही ब्राह्मण के लिए भोजन तैयार करें, और श्रेष्ठ ब्राह्मण को ही आमंत्रित किया जाए और उनके पैर धोएं | अब ब्राह्मण द्वारा पितरों की पूजा तर्पण आदि कराया जाये |
  • पितरों के निमित अग्नि में गाय का दूध, दही ,घी एवं खीर को अर्पण करें | ब्राह्मण भोजन निकलने से पहले गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकाल लें |
  • दक्षिण की तरफ मुख करके और कुश ,तिल और जल लेकर पितृतीर्थ से संकल्प करें और एक या फिर तीन ब्राह्मण को भोजन कराएं | तर्पण आदि करने के पश्चात ही ब्राह्मण को भोजन ग्रहण कराएं और भोजन के बाद दक्षिणा और अन्य सामान दान करें और ब्राह्मण द्वारा आशीर्वाद प्राप्त करें |
    पितृ पक्ष पूजा विधि

पितृ पक्ष पूजा सामग्री

पितृ पक्ष पूजा के लिए हमें जिस-जिस सामान की जरूरत पड़ेगी उस सामान के बारे में सबसे पहले हम उन भ्रामण से पूछ लें जिनको हमने आमंत्रित किया है | श्राद्व के लिए पूजा सामग्री निम्नलिखत है –

  • पीपल या पलाश के पत्ते -7 नंग
  • गंगाजल
  • तुलसी दल -30 नंग (स्याम तुलसी हो तो ज्यादा अच्छा)
  • फूल -20 नंग (सफेद ज्यादा)
  • काला तिल -25 ग्राम
  • सफेद तिल -5 ग्राम
  • जव -25 ग्राम
  • यज्ञोपवीत -1 नंग (बहनों को नहीं देना है)
  • कच्चा सूत -10 टुकड़ा (३ इंच का)
  • नाड़ाछड़ी -1 बित्ता का 1 नंग
  • सुपारी – 1 नंग (विष्णु पूजन हेतु)
  • कंकु, अबीर, गुलाल, सिंदुर – 10 ग्राम(2-2 ग्राम सब)
  • चंदन -10 ग्राम
  • चावल (अक्षत) -20 ग्राम
  • मिश्री -20 ग्राम
  • किशमिश -20 ग्राम
  • कपूर (२ टुक‹डा – आरती)
  • माचिस, गौ-चंदन धूपबत्ती (2)
  • दिया-बत्ती (तिल का तेल 20 ग्राम)
  • फल – केला – 2 नंग
  • पिड़ (चावल के आटे के) -(500 ग्राम) (घी, तिल, गंगाजल, शक्कर, दूध-दही, शहद, चंदन, पुष्प आदि ।)
  • पत्तल -1 नंग (पलाश)
  • दोना -1 नंग (पलाश)
  • दूध -(100 ग्राम)
  • इत्र (रूई में भीगोकर)
  • दर्भ (कुशा)- चट -10 (5 इंच का 10-10, धागे में लपेट कर रखना है।)
  • (पितर-3, वैश्वदेव -2, विष्णुजी -1)
  • 8-8 इंच का 8 कुशा लेकर उसको कलावा लपेट कर एक बनायें – तर्पण हेतु
  • 8-8 इंच का ३ कुशा (पिण्ड के नीचे डालने हेतु)
  • एक अंगूठी (कुश की बनी हुई)
  • गाँठ बँधा हुआ कुशा । – मार्जन के लिए – 1 नंग
  • 3 इंच का 15 कुशा (विधि में अलग-अलग स्थानों पर चढाने हेतु)

एक सामान्य थाल व एक परात जैसा, तर्पण हेतु), कटोरी-2 (दूध और स्वयं के आचमनादि उपयोग के लिए), ताम्बे का लोटा -1 नंग, चम्मच – 1 नंग), कंधे पर रखने हेतु उत्तरीय वस्त्र (अँगोछा) -1 यजमान को अपने साथ लाना है ।

Pitru paksha puja mantra

अपने पितरों को प्रसन्न करना ही पितृ श्राद्ध का महत्वपूर्ण उदेश्य होता है | यज्ञोपवीत को दाएं कंधे पर डालकर एवं बाएं घुटने पर बैठकर पवित्र भाव से हाथों में कुश लेकर स्वर्गवासी पिता, दादा या दादी आदि को नाम व गोत्र बोते हुए तिल व चन्दनयुक्त जल से तर्पण करें। तर्पण के समय इस मंत्र को बोलें व जल छोड़ दें –

ये बान्धवा बान्धवा वा ये न्यजन्मनि बान्धवा:।

ते तृप्तिमखिला यान्तु यश्र्चास्मत्तो भिवाञ्छति।।

इसका अर्थ है मेरे अर्पण किए जल से जो मेरे बान्धव हो, जो बान्धव न हो, किसी दूसरे जन्म में बान्धव रहे हों तृप्त हों। इनके अलावा वे सभी प्राणी जो मुझसे जल की आशा रखें वे भी तृप्ति प्राप्त करें।

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