दुर्गा पूजा 2022: दुर्गा पूजा एक हिन्दू पर्व है जिसमे माँ दुर्गा की पूजा की जाती है | दुर्गा पर्व के दौरान लोग माँ दुर्गा के 9 रूपों की 9 दिन तक पूजा-अर्चना करते हैं और दसवे दिन को दशहरे के तौर पर मनाया जाता है | दुर्गा पूजा के पर्व को माँ दुर्गा की बुराई के विरुद्ध जीत के दिन के रूप में भी मनाया जाता है | माँ दुर्गा ने महिषासुर दानव का वध किया था ,इसलिए उन्हें महिषासुर मर्दनी भी कहा जाता है | दुर्गा पूजा का पर्व पश्चिम बंगाल में बहुत प्रसिद्ध है | इस जानकारी को आप इन हिंदी, मराठी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के durga puja competition, निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध खासकर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|
दुर्गा पूजा पर निबंध
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दुर्गा पूजा प्रतिवर्ष हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रसिद्द त्यौहार है। यह भव्य त्यौहार माता दुर्गा की पूजा-आराधना के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर के अंत की ख़ुशी में मनाया जाता है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक माना जाता है। इस त्यौहार के बिच अन्य त्यौहार दशहरा भी बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है।
यह त्यौहार प्रतिवर्ष अश्विन महीने के पहले से दसवें दिन तक मनाया जाता है। दुर्गा पूजा के लिए लोग 1-2 महीने पहले से तैयारियां शुरू कर देते हैं। यह त्यौहार पुरे भारत में धूम-धाम से नाच-गाने के साथ उत्साह के साथ मनाया जाता है। कुछ राज्यों जैसे ओडिशा, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, तथा त्रिपुरा के लोग दुर्गा पूजा को बहुत ही बड़े तौर पर मनाते हैं। लोग जो विदेशों में रहते हैं खासकर दुर्गा पूजा के लिए छुट्टियाँ लेकर आते हैं। दुर्गा पूजा के लिए स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी दफ्तरों में 10 दिनों का अवकास भी होता है।
दुर्गा पूजा में कई प्रकार के रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी दुर्गा पूजा को बहुत ही सुन्दर रूप से मनाया जाता है। भारत के पश्चिम बंगाल का यह मुख्य त्यौहार है।
दुर्गा पूजा त्यौहार का उत्सव
दुर्गा पूजा का उत्सव दस दिनों तक चलता है, परन्तु माँ दुर्गा की मूर्ति को सातवें दिन से पूजा की जाती है। आखरी के तिन दिन पूजा का उत्सव बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। हर गली मोहल्ले में इसकी एक अलग ही झलक दिखती है क्योंकि शहरों और गाँव में कई जगह माँ दुर्गा के बड़े-छोटे मिटटी की मूर्तियों को बनाया और सजाया जाता है जो की देखने में बहुत सुन्दर दीखते हैं।
माँ दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है। देवी दुर्गा के मूर्ति में उनके दस हाथ होते हैं और उनका वाहन सिंह होता है। असुरों और पापियों के विनाश के लिए दुर्गा माँ दस प्रकार के अस्र रखती हैं। लक्ष्मी और सरस्वती माँ उनके दोनों और विराजमान रहते हैं जो उन्हीं के रूप हैं। लक्ष्मी माँ धन और समृद्धि की देवी हैं। सरस्वती माँ शिक्षा और ज्ञान की देवी हैं। उन्ही के पास भगवान कार्तिके और गणेश की मूर्तियाँ भी स्थापित की जाती है।
कई शहरों में दुर्गा पूजा उत्सव के कारण मेला और मीना बाज़ार भी लगता है। कई गाँव में नाटक और रामलीला जैसे कार्यक्रम भी दुर्गा पूजा कके आखरी के 3 दिनों में आयोजित किये जाते हैं। इन तिन दिनों में पूजा के दौरान लोग दुर्गा पूजा मंडप में फूल, नारियल, अगरबत्ती और फल लेकर जाते हैं और माँ दुर्गा से आशीर्वाद लेते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
आखरी दिन माँ दुर्गा के पूजा समापन के बाद मिटटी की मूर्तियों को समुद्रों, तालाबों या नदियों में विसर्जित कर दिया जाता है।
Durga puja nibandh in hindi
प्रस्तावना
भारत त्योहारों और मेलों की भूमि है। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं और वे सभी पूरे साल अपने-अपने त्योहारों और उत्सवों को मनाते हैं। यह इस ग्रह पर पवित्र स्थान है, जहाँ बहुत सी पवित्र नदियाँ हैं और बड़े धार्मिक त्योहारों और उत्सवों को मनाया जाता है। लोगों विशेष रुप से, पूर्वी भारत के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला नवरात्र (अर्थात् नौ रातों का त्योहार) या दुर्गा पूजा एक त्योहार है। यह पूरे देश भर में खुशहाली पूर्ण उत्सवों का वातावरण लाता है। लोग देवी दुर्गा की पूजा के लिए मंदिरों में जाते हैं या घर पर ही पूरी तैयारी और भक्ति के साथ अपने समृद्ध जीवन और भलाई के लिए पूजा करते हैं।
दुर्गा पूजा का उत्सव
नवरात्र या दुर्गा पूजा का उत्सव बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाता है। भक्तों द्वारा यह विश्वास किया जाता है कि, इस दिन देवी दुर्गा ने बैल राक्षस महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। उन्हें ब्रह्मा, भगवान विष्णु और शिव के द्वारा इस राक्षस को मारकर और दुनिया को इससे आजाद कराने के लिए बुलाया गया था। पूरे नौ दिन के युद्ध के युद्ध के बाद, उन्होंने उस राक्षस को दसवें दिन मार गिराया था, वह दिन दशहरा कहलाता है। नवरात्र का वास्तविक अर्थ, देवी और राक्षस के बीच युद्ध के नौ दिन और नौ रात से है। दुर्गा पूजा के त्योहार से भक्तों और दर्शकों सहित विदेशी पर्यटकों की एक स्थान पर बहुत बड़ी भीड़ जुड़ी होती है।
निष्कर्ष
दुर्गा पूजा को वास्तव रूप में शक्ति पाने की इच्छा से मनाया जाता है जिससे विश्व की बुराईयों का अंत किया जा सके। जिस प्रकार देवी दुर्गा ने ब्रह्मा, विष्णु और शंकर की शक्तियों को इकट्ठा करके दुष्ट राक्षस महिषासुर का नाश किया था और धर्म को बचाया था उसी प्रकार हम अपनी बुराईयों पर विजय प्राप्त करके मनुष्यता को बढ़ावा दे सकें। दुर्गा पूजा का यही संदेश होता है। हर पर्व या त्योहार का मनुष्य के जीवन में अपना विशेष महत्व होता है, क्योंकि इनसे न केवल विशेष प्रकार के आनंद की प्राप्ति होती है बल्कि जीवन में उत्साह एवं नव ऊर्जा का संचार भी होता है| दुर्गपूजा भी एक ऐसा ही त्योहार है, जो हमारे जीवन में उत्साह एवं ऊर्जा का संचार करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Durga puja essay in english
Durga Puja, is a Hindu Festival, which is celebrated each year on the occasion of Navaratri. This festival is also called as Durgotsava and during this festival, Goddess Durga is worshipped. This festival is observed according to the Hindu calendar called ‘Ashvin’ and falls mostly in the month of September or October. Durga Puja is celebrated for 10 days, with more enthusiasm in the last 4 days and during this time period, many rituals like decorating the pandals where God and Goddess statue are kept. This festival is widely celebrated in West Bengal, Assam, Tripura, Odisha, Manipur etc.
Durga Puja, is marked as the celebration of Goddess Durga’s victory, during her battle with a deceptive and a shape shifting demon named ‘Mahishasura’. This festival denotes the victory of Good over Evil. Each year Durga Puja dates coincide with another great festival ‘Dusshera’, which is also celebrated by Hindus, celebrating the occasion of Lord Ram’s Victory over Ravana. In Durga Puja, the primarily Goddess Durga is worshipped and occupies the central position in the stage decoration. In addition to Goddess Durga, Goddess Lakshmi, Goddess Saraswati, Lord Kartikeya and Lord Ganesha also occupies the stage.
The first day of this festival begins with Mahalaya, marking the beginning of the destruction of Evil. Following this, on the sixth day of the festival named as ‘Sasthi’, Goddess Durga is welcomed and celebration begins with the decoration of pandals with God statues. The tenth day of the festival is called ‘Vijaya Dashmi’, during this day devotees celebrate with drum beats, music and chants. On this day, statues kept in the pandals are carried to the river and the ocean, where they are immersed. This ritual denotes a form of bidding Good bye to God and Goddesses.
Each God and Goddesses are worshipped for various reasons, during this festival. Goddess Durga is considered to the Goddess of Strength and she rides a lion, holding ten different weapons in her ten hands. Goddess Lakshmi is considered to be the Goddess of Wealth and occupies the position to the side of Goddess Durga. Goddess Saraswati is considered to be the Goddess of Learning and Knowledge and also occupies the position in front of Goddess Durga. Lord Ganesha, is the Lord of Host and known to be riding the mouse. Lord Kartikeya, is the Lord of Heavenly forces and said to ride peacock.
Durga Puja is celebrated with different customs in different states. Since Hinduism is considered to be the flexible religion and allows people to follow numerous custom according to their tradition. In West Bengal, Durga Puja is held for a period of five days, during this time, many pandals are decorated in each area and the city is adorned with many festive lights. Including this, many musical chants, drums, etc. are also organised in this state. In Maharastra and Goa, this grand festival is celebrated by ‘Prabashi’ Bengalis, by setting up new mandals. In Tripura, Durga Puja is celebrated with pride and glory.
In some places, Durga Puja is celebrated twice a year, following the Hindu calender Ashvin and Chitra months. This festival time is considered to be the happiest time for all the people. Even though, the traditions and formalities change, it is considered one of grand festival, followed by the Hindu people.
Essay on Durga Puja in Hindi
प्रस्तावना
दुर्गा पूजा हिन्दुओं के मुख्य त्योहारों में से एक है। यह हरेक साल बहुत सी तैयारियों के साथ देवी दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है। वह हिमालय और मैनका की पुत्री और सती का अवतार थी, जिनकी बाद में भगवान शिव से शादी हुई। यह माना जाता है कि, यह पूजा पहली बार तब से शुरु हुई, जब भगवान राम ने रावन को मारने के लिए देवी दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए यह पूजा की थी।
देवी दुर्गा की पूजा क्यों की जाती है ?
दुर्गा पूजा से जुडी कई कथाये हैं। माँ दुर्गा इस ने इस दिन महिषासुर नमक असुर का संहार किया था जो की भगवान का वरदान पाकर काफी शक्तिशाली हो गया था और आतंक मचा रखा था। रामायण में कहा गया है की भगवान राम ने दस सर वाले रावण का वध इसी दिन किया था, जिसे बुराई पर अच्छाई की जित हुयी थी। इस पर्व को शक्ति का पर्व कहा जाता है। देवी दुर्गा की नवरात्र में पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि, यह माना जाता है कि, उन्होंने 10 दिन और रात के युद्ध के बाद महिषासुर नाम के राक्षस को मारा था। उनके दस हाथ है, जिसमें सभी हाथों में विभिन्न हथियार हैं। देवी दुर्गा के कारण लोगों को उस असुर से राहत मिली, जिसके कारण लोग उनकी पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं।
दुर्गा पूजा
इस त्योहार पर देवी दुर्गा की पूरे नौ दिनों तक पूजा की जाती है। यद्यपि, पूजा के दिन स्थानों के अनुसार अलग-अलग होते हैं। माता दुर्गा के भक्त पूरे नौ दिन तक या केवल पहला और आखिरी दिन उपवास रखते हैं। वे देवी दुर्गा की मूर्ति को सजाकर प्रसाद, जल, कुमकुम, नारियल, सिंदूर आदि को सभी अपनी क्षमता के अनुसार अर्पित करके पूजा करते हैं। सभी जगह बहुत ही सुन्दर लगती हैं और वातावरण बहुत ही स्वच्छ और शुद्ध हो जाता है। ऐसा लगता है कि, वास्तव में देवी दुर्गा आशीर्वाद देने के लिए सभी के घरों में जाती है। यह विश्वास किया जाता है कि, माता की पूजा करने से आनंद, समृद्धि, अंधकार का नाश और बुरी शक्तियों हटती है। आमतौर पर, कुछ लोग 6, 7, 8 दिन लम्बा उपवास करने के बाद तीन दिनों (सप्तमी, अष्टमी और नौवीं) की पूजा करते हैं। वे सात या नौ अविवाहित कन्याओं को देवी को खुश करने के लिए सुबह को भोजन, फल और दक्षिणा देते हैं।
निष्कर्ष
हिन्दू धर्म के हर त्यौहार के पीछे सामाजिक कारण होता है। दुर्गा पूजा भी मनाने के पीछे भी सामाजिक कारण है। दुर्गापूजा अनीति, अत्याचार तथा बुरी शक्तियों के नाश के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है। दुर्गापूजा अनीति, अत्याचार तथा तामसिक प्रवृत्तियों के नाश के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है।
Durga puja essay in bengali language
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প্রতি বছর শরৎ ঋতুতে দুর্গাপূজা সঞ্চালিত হয়। হিন্দুদের জন্য এটি সর্বশ্রেষ্ঠ উৎসব। পূজা তিনদিন ধরে অনুষ্ঠিত হয়: সপ্তমী, অষ্টমী ও নবামি; এবং চতুর্থ দিনে, দশমী, ছবিটি একটি ট্যাংক বা নদীর পানিতে নিমজ্জিত।
ছবিটি লক্ষ্মী, সরস্বতী, গণেশ ও কার্তিক্য প্রভৃতি দেবদেবীদের পাশাপাশি পূজা করা হয়। ফ্রেম, যা উপর স্থাপিত ইমেজ ইনস্টল করা হয়, অসুর (দৈত্য) এবং সিংহ, দেবী দুর্গা গাড়ির ইমেজ রয়েছে। গণেশের পায়ে একটি ইঁদুরও আছে। একটি চাল চিত্রে রয়েছে যা মঠের একটি বৃত্তাকার ক্যানভাস যা মূর্তির পিছনে স্থাপিত স্বর্গীয় দৃশ্যে চিত্রিত। দেবদেবীর সমগ্র ফ্রেমটি একটি উত্থাপিত প্ল্যাটফর্ম বা কাঠের পাত্রের তৈরি বেদীকে স্থাপন করা হয়।
ম্যান্ডাপ সুন্দর আলোকসজ্জা সঙ্গে savilion সজ্জিত করা হয়। প্রতি সন্ধ্যায়, ঋত্বিক অরতি সঞ্চালিত হয়, বা ড্রামের মারাত্মক সঙ্গতির সাথে আলো এবং ধূপকে উপভোগ করে দেবীকে উপাসনা করেন, অথচ পূজা (পূজা) হয়
এই মহান উত্সবটি সুস্থ করা ‘হিন্দুরা তাদের নিকটবর্তী এবং প্রিয়জনদের জন্য নতুন কাপড় কিনে নেয়- তারা তাদের প্রতিদ্বন্দ্বী শত্রুদের সাথে তাদের অতীত পার্থক্য ভুলে যেতে চায়- বিজয়ের পর বিজয়ের দশমী উপলক্ষে হিন্দুরা একে অপরকে ভালবাসার প্রতীক হিসাবে আশ্লিষ্ট করে। এবং স্নেহ, এবং সব মধ্যে মিষ্টি বিতরণ। দুর্গা পূজা এখন ধর্মীয় অনুষ্ঠান চেয়ে একটি উৎসব। কখনও কখনও অ-হিন্দুরা সামাজিক উৎসব হিসাবে উত্সবে অংশগ্রহণের জন্যও পাওয়া যায়।
দুর্গা পূজা বাংলায় বেশি জনপ্রিয়। এটি ভারতের অন্য কোনও রাজ্যের চেয়ে আরও বেশি পম্প এবং মহিমান্বিততার সাথে সম্পাদিত হয়। আকর্ষণীয় পূজা প্যাভিলিয়ন সাক্ষী করার সময় প্রতিবেশী রাজ্যগুলির লোকেরা কলকাতায় এসেছিল। দুর্গা পূজা দিল্লি, বোম্বে, মাদ্রাজে এবং ভারতের গুরুত্বপূর্ণ শহরগুলিতে এবং শহরগুলিতে এবং গ্রামগুলিতেও অনুষ্ঠিত হয়।
দুর্গা পূজার প্রথম জমিদারের জমিদার (জমিদার) দ্বারা সঞ্চালিত হয়। তারপর বারো জমিদারদের যৌথ প্রচেষ্টায় সঞ্চালিত সরোজজনিন পূজা প্রবর্তনের সাথে এটি জনপ্রিয় হয়ে উঠেছিল; এবং তাই এটি বারওয়ারি (বারো বছর বা বন্ধু) বলা হয়। আজকাল, লন্ডন ও নিউইয়র্কে দুর্গা পূজা অনুষ্ঠিত হয়, যেখানে ভারতীয়রা প্রতি বছর পূজা পালন করে।
মাতা দেবী দুর্গাকে সবচেয়ে ক্ষমতাশালী দেবী বলে মনে করা হয় যিনি শক্তি, সমৃদ্ধি এবং জীবনের সকল সেরা উপহার দান করেন। তাই ভক্তেরা বিভিন্ন বরদের জন্য তার কাছে প্রার্থনা করেন। তিনি দানব রাজা মহিশাসুরকে হত্যা করেছিলেন, যিনি দেবতা ও দেবদেবীদের কষ্ট দিয়েছিলেন এবং স্বর্গে ইন্দ্রের সিংহাসন দখল করেছিলেন। তাই দেবতা ও দেবীগণও মহান দেবী দুর্গা উপাসনা করেন। তিনি মহিশাসুরমর্দিনী নামেও পরিচিত। ঋষি মার্কান্দয়ের রচনায় মার্কান্ডেয় পুরাণের একটি অধ্যায় শ্রী শ্রী চন্দিতে কিংবদন্তিটি অন্তর্ভুক্ত করা হয়েছে।
Durga puja essay 500 words
प्रस्तावना
हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक दुर्गा पूजा भी है। यह दुर्गोत्सव या षष्ठोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, जिनमें से छः दिन महालय, षष्ठी, महा-सप्तमी, महा-अष्टमी, महा-नवमी और विजयादशमी के रूप में मनाए जाते हैं। देवी दुर्गा की इस त्योहार के सभी दिनों में पूजा की जाती है। यह आमतौर पर, हिन्दू कैलंडर के अनुसार, अश्विन महीने में आता है। देवी दुर्गा के दस हाथ हैं और उनके प्रत्येक हाथ में अलग-अलग हथियार है। लोग देवी दुर्गा की पूजा बुराई की शक्ति से सुरक्षित होने के लिए करते हैं।
दुर्गा पूजा के बारे में
दुर्गा पूजा अश्विन माह में चाँदनी रात में (शुक्ल पक्ष में) छः से नौ दिन तक की जाती है। दसवाँ दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन देवी दुर्गा ने एक राक्षस के ऊपर विजय प्राप्त की थी। यह त्योहार बुराई, राक्षस महिषासुर पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। बंगाल के लोग देवी दुर्गा को दुर्गोत्सनी अर्थात् बुराई की विनाशक और भक्तों की रक्षक के रुप में पूजा करते हैं।
यह भारत में बहुत विस्तार से बहुत से स्थानों, जैसे- असम, त्रिपुरा, बिहार, मिथिला, झारखंड, उड़ीसा, मणिपुर, पश्चिमी बंगाल आदि पर मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर यह पाँच दिनों का वार्षिक अवकाश होता है। यह धार्मिक और सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जो प्रत्येक साल भक्तों द्वारा पूरी भक्ति के साथ मनाया जाता है। रामलीला मैदान में एक बड़ा दुर्गा मेला का आयोजन होता है, जो लोगों की भारी भीड़ को आकर्षित करता है।
मूर्ति का विसर्जन
पूजा के बाद लोग पवित्र जल में देवी की मूर्ति के विसर्जन के समारोह का आयोजन करते हैं। भक्त अपने घरों को उदास चेहरों के साथ लौटते हैं और माता से फिर से अगले साल बहुत से आशीर्वादों के साथ आने की प्रार्थना करते हैं।
दुर्गा पूजा का पर्यावरण पर प्रभाव
लोगों की लापरवाही के कारण, यह पर्यावरण पर बड़े स्तर पर प्रभाव डालता है। माता दुर्गा की मूर्ति को बनाने और रंगने में प्रयोग किए गए पदार्थ (जैसे- सीमेंट, पेरिस का प्लास्टर, प्लास्टिक, विषाक्त पेंट्स, आदि) स्थानीय पानी के स्रोतों में प्रदूषण का कारण बनते हैं। त्योहार के अन्त में, प्रत्यक्ष रुप से मूर्ति का विसर्जन नदी के पानी को प्रदूषित करता है। इस त्योहार से पर्यावरण पर प्रभाव को कम करने के लिए, सभी को प्रयास करने चाहिए और कलाकारों द्वारा पर्यावरण के अनुकूल पदार्थों से बनी मूर्तियों को बनाना चाहिए, भक्तों को सीधे ही मूर्ति को पवित्र गंगा के जल में विसर्जित नहीं करना चाहिए और इस परंपरा को निभाने के लिए कोई अन्य सुरक्षित तरीका निकालना चाहिए। 20 वीं सदी में, हिंदू त्योहारों का व्यावसायीकरण मुख्य पर्यावरण मुद्दों का निर्माण करता है।
गरबा और डांडिया प्रतियोगिता
नवरात्र में डांडिया और गरबा खेलना बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। कई जगह सिन्दूरखेलन का भी रिवाज है। इस पूजा के दौरान विवाहित औरते माँ के पंडाल में सिंदूर के साथ खेलती है। गरबा की तैयारी कई दिन पहले ही शुरू हो जाती है प्रतियोगिताएं रखी जाती है जितने वलों को पुरस्कृत किया जाता है।
निष्कर्ष
पूजा के अंतिम दिन मूर्तियों का विसर्जन बड़े हर्षोल्लास, धूम-धाम से, जुलूस निकाल कर किया जाता है। नगर के विभिन्न स्थानों से प्रतिमा-विसर्जन के जुलूस निकलते हैं और सब किसी न किसी सरोवर या नदी के तट पर पहुँचकर इन प्रतिमाओं का जल में विसर्जन करते हैं। बहुत से गांवों और शहरों में नाटक और रामलीला जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। इन तीन दिनों में पूजा के दौरान लोग दुर्गा पूजा मंडप में फूल, नारियल, अगरबत्ती और फल लेकर जाते हैं और माँ दुर्गा का आशीर्वाद लेते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
2020 update