दुर्गा अष्टमी व्रत कथा 2022 -23 Durga Ashtami Vrat Katha in Hindi & Puja Vidhi

दुर्गा अष्टमी व्रत कथा

नवरात्रि भारत के भव्य धारिक त्यौहार में से एक है जो की साल में दो बार आता है| इस त्यौहार का इंतज़ार हर कोई हिन्दू धर्म का अनुयाई बेसब्री से करता है| नवरात्रि का मतलब है नौ रात यानि कि यह पर्व नौ दिन चलता है| हर दिन देवी शक्ति के प्रत्येक स्वरुप को समर्पित किया जाता है| इस त्यौहार का सब्वसे अहम् दिन गुर्गा अष्टमी है जिसे महा अष्टमी भी कहा जाता है| वैसे तो अष्टमी हर माह आती है परन्तु नवरात्रि के समय पड़ने वाली दुर्गा अष्टमी का बहुत महत्व है| यह दिन देवी दुर्गा को समर्पित किया जाता है|

दुर्गा अष्टमी की व्रत कथा

दुर्गा अष्टमी कब है 2022: हिंदी कलैंडर के मुताबिक यह दिन इस साल 06 अक्टूबर 2022 के दिन है| आइये अब हम आपको durga puja vrat katha, दुर्गा अष्टमी व्रत कथा, महा अष्टमी व्रत कथा, durga ashtami ki vidhi in hindi pdf, आदि की जानकारी देंगे| साथ ही आप दुर्गा पूजा पंडाल फोटो भी देख सकते हैं|

हिन्दू ग्रंथो के तहत यह दिन बहुत पवित्र एवं शुभ दिन होता है| इस दिन पर माँ गौरी की आराधना करि जाती है| देवी गौरी आदि शक्ति का स्वरुप है| उन्हें आदि शक्ति इसलिए भी कहा जाता है क्युकी जब शुम्ब और निशुंभ ने देवताओ पर प्रकोप ढहाया था तब माँ दुर्गा के एक अंश से कौशिकी का जन्म हुआ था जिसने उन दोनों का अंत किया था| इस दिन पर बहुत सी महिलाए व्रत रखकर माँ गौरी को प्रसन्न करती है| इस दिन पर बहुत से घर में कंजक के रूप में छोटी कन्याओ को माँ का स्वरुप मानकर उनके पैर धुलाकर उन्हें चने एवं हलुवे का भोग लगाया जाता है| आप सभी को दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

Durga puja ki katha

Durga ashtami vrat vidhi

दुर्गा अष्टमी के पूजा के पीछे एक पौराणिक कथा है| ग्रंथो के अनुसार की महादेव को अपने पति में रूप में प्राप्त करने के लिए देवी सटी ने माँ गौरी के रूप में शिव को प्रसन्न करने का सोचा पर महादेव के वचनो से वे उदास हो गई एवं शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए देवी शक्ति ने घोर तपस्या की थी जिसके पारिणाम स्वरुप उनका शरीर काला पड़ गया| उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव उनसे प्रसन्न हो जाते उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लेते है और उसका शरीर गंगा जल से धो देते है|

Durga ashtami vrat vidhi – Durga Ashtami Puja Vidhi in Hindi

हिंदी शास्त्रों के मुताबिक़ महा गौरी आदि शक्ति थी और उनकी पूजा करने से भक्तो को बहुत लाभ होता है| उनकी सारी कामना पूरी हो जाती है| इस दिन का चैत्र नवरात्रि पर विशेष महत्व है|

  • इस दिन अविवाहित कन्याओ को भोजन करवाने की परम्परा है|
  • इस दिन का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्युकी इस दिन विवाहित महिलाए अपने सुहाग की रक्षा की कामना के लिए माँ गौरी की पूजा करती है|
  • इस दिन कन्याओ को आमंत्रित करते है और उन्हें प्रशाद के रूप में कंजक भी दी जाती है|
  • इसके बाद कन्याओ के पार धुलाके उन्हें कुमकुम का तिलक लगाया जाता है|
  • कहा जाता है की कन्या देवी माँ का रूप होती है इसलिए उन्हें कंजक के रूप में प्रशाद का भोग दिया जाता है|

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