दीपावली की कविताएं 2022-23

दीपावली की कविताएं 2017

Diwali ki Kavita: दिवाली हमारे भारत का एक प्रमुख त्योहार है यह अक्टूबर और नवंबर के महीने धूम धाम से मनाया जाता है । इस त्योहार को हिंदू कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। इस दिन को प्रमुख रूप से भगवान श्री राम के 14 साल के वनवास से वापिस लौटने की ख़ुशी में मनाया जाता है| त्योहारों पर कविताएं सबको अच्छी लगतीं हैं|आइये दीपावली से सम्बंधित कुछ कविताएँ जानते हैं|

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दीवाली पर छोटी कविता

दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली रे खुशी-खुशी सब हँसते आओ आज दिवाली रे। मैं तो लूँगा खील-खिलौने तुम भी लेना भाई नाचो गाओ खुशी मनाओ आज दिवाली आई। आज पटाखे खूब चलाओ आज दिवाली रे दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली रे। नए-नए मैं कपड़े पहनूँ खाऊँ खूब मिठाई हाथ जोड़कर… Click To Tweet
वह दीपों का आना पाहुन-सा फिर लक-दक करना आंगन में आस्वादन कुछ मीठा-मीठा वह खुशी भरा आशियाना वह किलकारी नूतन वय की किसलय-सी युवकों का उल्लास निरंतर अनवरत झरते निर्झर-सा बालाओं का सजना-धजना वह चम-चम चमकीली बिन्दिया ओ कंगना हूर परी-सा नूतन प्रकाश का… Click To Tweet
दिया जलता रहे यह ज़िन्दगी का कारवाँ, इस तरह चलता रहे हर देहरी पर अँधेरों में दिया जलता रहे आदमी है आदमी तब ,जब अँधेरों से लड़े रोशनी बनकर सदा ,सुनसान पथ पर भी बढ़े भोर मन की हारती कब, घोर काली रात से न आस्था के दीप डरते, आँधियों के घात से मंज़िलें उसको… Click To Tweet

दिवाली पर एक कविता

दीपावली मनाऊँ जिस दिन सारा जग प्रकाश से सराबोर हो जी में है उस दिन ही दीपावली मनाऊँ रहे न कोई कोना जब तम से आच्छादित मन करता है उस दिन ही मैं दीप जलाऊँ।। मानवता का चिर प्रकाश फैले हर उर में, मानव कोई हीन भावना से न ग्रसित हो अंतर में हो देश प्रेम की… Click To Tweet

दीपावली कविताएं

मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है। मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है। आभारी हूँ तुमने आकर मेरा ताप-भरा तन देखा, आभारी हूँ तुमने आकर मेरा आह-घिरा मन देखा, करुणामय वह शब्द तुम्हारा– ’मुसकाओ’ था कितना प्यारा। मैं दीपक हूँ, मेरा… Click To Tweet
आज फिर से आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । है कंहा वह आग जो मुझको जलाए, है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए, रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ; आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी, नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी, आज तुम मुझको जगाकर… Click To Tweet

दीपोत्सव कविता

एक दीपक जूझ कर कठिनाइयों से कर सुलह परछाइयों से एक दीपक रातभर जलता रहा लाख बारिश आँधियों ने सत्य तोड़े वक्त ने कितने दिए पटके झिंझोड़े रौशनी की आस पर टूटी नहीं आस्था की डोर भी छूटी नहीं आत्मा में डूब कर के चेतना अभिभूत कर के साधना के मंत्र को जपता… Click To Tweet
दीपावली तुमने दीपावली मनाई है दीपावली के सुख ख़रीदे हैं दीपक की ज्योति से मिष्ठानों से नए वस्त्र, आभूषण, उपहारों से ख़रीदे हुए सुख न फलते हैं न फूलते हैं। मैंने दीपावली जी है हर बार जब मेरे बच्चे होस्टल से लौटते हैं। घर- बाहर लॉन- दालान जगमगा उठता… Click To Tweet
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