Diwali ki Kavita: दिवाली हमारे भारत का एक प्रमुख त्योहार है यह अक्टूबर और नवंबर के महीने धूम धाम से मनाया जाता है । इस त्योहार को हिंदू कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। इस दिन को प्रमुख रूप से भगवान श्री राम के 14 साल के वनवास से वापिस लौटने की ख़ुशी में मनाया जाता है| त्योहारों पर कविताएं सबको अच्छी लगतीं हैं|आइये दीपावली से सम्बंधित कुछ कविताएँ जानते हैं|
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दीवाली पर छोटी कविता
दीप जलाओ दीप जलाओ
आज दिवाली रे
खुशी-खुशी सब हँसते आओ
आज दिवाली रे।
मैं तो लूँगा खील-खिलौने
तुम भी लेना भाई
नाचो गाओ खुशी मनाओ
आज दिवाली आई।
आज पटाखे खूब चलाओ
आज दिवाली रे
दीप जलाओ दीप जलाओ
आज दिवाली रे।
नए-नए मैं कपड़े पहनूँ
खाऊँ खूब मिठाई
हाथ जोड़कर… Share on X
वह दीपों का आना
पाहुन-सा
फिर लक-दक करना
आंगन में
आस्वादन कुछ मीठा-मीठा
वह खुशी भरा आशियाना
वह किलकारी नूतन वय की
किसलय-सी
युवकों का उल्लास निरंतर
अनवरत झरते निर्झर-सा
बालाओं का सजना-धजना
वह चम-चम
चमकीली बिन्दिया
ओ कंगना हूर परी-सा
नूतन प्रकाश का… Share on X
दिया जलता रहे
यह ज़िन्दगी का कारवाँ, इस तरह चलता रहे
हर देहरी पर अँधेरों में दिया जलता रहे
आदमी है आदमी तब ,जब अँधेरों से लड़े
रोशनी बनकर सदा ,सुनसान पथ पर भी बढ़े
भोर मन की हारती कब, घोर काली रात से
न आस्था के दीप डरते, आँधियों के घात से
मंज़िलें उसको… Share on X
दिवाली पर एक कविता
दीपावली मनाऊँ जिस दिन सारा जग प्रकाश से सराबोर हो जी में है उस दिन ही दीपावली मनाऊँ रहे न कोई कोना जब तम से आच्छादित मन करता है उस दिन ही मैं दीप जलाऊँ।। मानवता का चिर प्रकाश फैले हर उर में, मानव कोई हीन भावना से न ग्रसित हो अंतर में हो देश प्रेम की… Share on Xदीपावली कविताएं
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है।
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है।
आभारी हूँ तुमने आकर
मेरा ताप-भरा तन देखा,
आभारी हूँ तुमने आकर
मेरा आह-घिरा मन देखा,
करुणामय वह शब्द तुम्हारा–
’मुसकाओ’ था कितना प्यारा।
मैं दीपक हूँ, मेरा… Share on X
आज फिर से
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
है कंहा वह आग जो मुझको जलाए,
है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए,
रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी,
नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी,
आज तुम मुझको जगाकर… Share on X
दीपोत्सव कविता
एक दीपक
जूझ कर कठिनाइयों से
कर सुलह परछाइयों से
एक दीपक रातभर जलता रहा
लाख बारिश आँधियों ने सत्य तोड़े
वक्त ने कितने दिए पटके झिंझोड़े
रौशनी की आस पर
टूटी नहीं
आस्था की डोर भी
छूटी नहीं
आत्मा में डूब कर के
चेतना अभिभूत कर के
साधना के मंत्र को जपता… Share on X
दीपावली
तुमने दीपावली मनाई है
दीपावली के सुख ख़रीदे हैं
दीपक की ज्योति से
मिष्ठानों से
नए वस्त्र, आभूषण, उपहारों से
ख़रीदे हुए सुख
न फलते हैं
न फूलते हैं।
मैंने दीपावली जी है
हर बार
जब मेरे बच्चे
होस्टल से लौटते हैं।
घर- बाहर
लॉन- दालान
जगमगा उठता… Share on X
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