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गुढीपाडवा वर निबंध 2023 – Gudi Padwa Nibandh in Marathi – गुड़ी पड़वा पर निबंध Hindi Essay

Gudi Padwa Nibandh in Marathi

गुड़ी पड़वा 2022 : भारत में कई ऐसे त्यौहार या उत्सव होते हैं जो पौराणिक जमाने से चले आ रहे हैं और उन त्योहारों से हिन्दू समाज की श्रद्धा जुडी हुई हैं| गुड़ी पड़वा का यह त्यौहार उन्ही पूजाओ में से एक हैं|इस त्यौहार पर भगवान् शिव और देवी पार्वती की पूजा करि जाती हैं| इस त्यौहार का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व हैं| कहा जाता हैं की इसी दिन ब्रहम्मा ने इस दुनिया की रचना करि थी| आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए गुड़ी पड़वा शार्ट एस्से, गुड़ी पड़वा मायती, गुड़ी पड़वा हिंदी निबंध, गुड़ी पड़वा मारथी एस्से फॉर क्लास 6, 7, 8, 9, 10, 11 गुढीपाडवा आदि की जानकारी देंगे|

गुड़ी पड़वा निबंध 2023

Gudi Padwa Date 2023 इस साल 22 march 2023 को मनाया जाएगा जो की रविवार के दिन पड़ रहा है|आज हम आपके लिए लाये हैं गुड़ी पड़वा पर विचार, महत्व, विचार व शायरी, Essay on Gudi Padwa in Hindi, Gudi Padwa Nibandh यानी की हिन्दू नव वर्ष पर निबंध हिंदी में 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं| साथ ही आप Gudi Padwa Imagesगुड़ी पड़वा की हार्दिक शुभकामनाएं भी देख सकते हैं|

गुड़ी पड़वा को हिन्दू नववर्ष की शुरुआत माना जाता है, यही कारण है कि हिन्दू धर्म के सभी लोग इसे अलग-अलग तरह से पर्व के रूप में मनाते हैं। सामान्य तौर पर इस दिन हिन्दू परिवारों में गुड़ी का पूजन कर इसे घर के द्वार पर लगाया जाता है और घर के दरवाजों पर आम के पत्तों से बना बंदनवार सजाया जाता है। ऐसा मान जाता है कि यह बंदनवार घर में सुख, समृद्धि और खुशि‍यां लाता है। गुड़ी पड़वा के दिन खास तौर से हिन्दू परिवारों में पूरनपोली नामक मीठा व्यंजन बनाने की परंपरा है, जिसे घी और शक्कर के साथ खाया जाता है। वहीं मराठी परिवारों में इस दिन खास तौर से श्रीखंड बनाया जाता है, और अन्य व्यंजनों व पूरी के साथ परोसा जाता है। आंध्रप्रदेश में इस दिन प्रत्येक घर में पच्चड़ी प्रसाद बनाकर वितरित किया जाता है। गुड़ी पड़वा के दिन नीम की पत्त‍ियां खाने का भी विधान है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर नीम की कोपलें खाकर गुड़ खाया जाता है। इसे कड़वाहट को मिठास में बदलने का प्रतीक माना जाता है। हिन्दू पंचांग का आरंभ भी गुड़ी पड़वा से ही होता है। कहा जाता है के महान गणितज्ञ- भास्कराचार्य द्वारा इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, मास और वर्ष की गणना कर पंचांग की रचना की गई थी।

Gudi Padwa Nibandh In Marathi

गुढीपाडवा पर निबंध

गुढीपाडवा पर मराठी में निबंध

चैत्र शुद्ध प्रतिपदेला आपण सकाळी सूर्योदयापूर्वी मुखशुद्धी नंतर कडू निंबाचे पान तोंडात चघळतो. शुद्धी साठी. स्नान करताना कडू निंबाची पाने आंघोळीचा पाण्यात टाकली जातात. कारण उन्हाळा सुरु होतो. यात आपल्या त्वचेचे त्वचा रोगांपासून संरक्षण होण्यासाठी. याच प्रमाणे लहान मुलांना उन्हाने तापलेल्या पाण्यापासून अंघोळ घालतात.
गुढी उभा करण्याची जागा स्वच्छ करून तिथे रांगोळी काढली जाते.
उंच बांबूची काठी स्वच्छ धुऊन त्यावरती साडी किंवा रेशमी वस्त्र टोकावर परिधान करतात. तांब्याचा किंवा चांदीचा कलशाने साखरेची गाठी, कडू निंबाची डहाळी, आंब्याची पाने, तसेच फुले एकत्र बांधून पाटावरती गुढी उभारली जाते. गुढीची पूजा केली जाते.
साखरेची गाठी मित्र परिवाराला वाटली जाते. सार्वजन तोंड गोड करतात.
सूर्यास्त झाल्यानंतर गुढीला नैवद्य दाखऊन गुढी खाली उतरवली जाते.
आपण गुढी पाडवा सण का साजरा करतो ? या मागे वेगवेगळी कारणे आहेत.
गुढी का उभारतात. प्रभू श्री रामांनी चौदा वर्षाचा वनवास पूर्ण केला. लंकापती रावणाचा पराभव केल्यानंतर ते अयोध्याला परत आले. त्यांचे स्वागत लोकांनी विजयी गुढी उभारून केले होते.
शकांचा पराभव करण्यासाठी शालिवाहन या कुंभाराच्या मुलाने सहा हजार मातीचे पुतळे तयार केले व प्राण फुंकून त्यांच्या साह्याने याच दिवशी शकांचा पराभव केला ही आख्यायिका पूर्वापार प्रचलित आहे. पुढे याच शालिवाहन नावाने नवीन कालगणना शालिवाहन शक चालू झाले. असा गुढीपाडवा इतिहास आहे

Gudi Padwa Nibandh – गुड़ी पड़वा पर निबंध

अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है गुड़ी पड़वा पर निबंध लिखें| जिसके लिए हम पेश कर रहे हैं Gudi Padwa essay in Marathi.

गुडी पडवा भारत के महाराष्ट्र राज्य में नए साल का दिन मनाता है। यह एक हिंदू त्योहार है यह चैत्र के हिंदू महीने के पहले दिन मनाया जाता है।
त्यौहार आम तौर पर आंध्र प्रदेश में उदगी उत्सव के साथ मेल खाता है, जो दक्कन के लोगों के लिए नया साल का जश्न है।
कस्टम: पेस्ट बनाने का एक कस्टम है नीम के पत्ते, जिगरी, इमली और नमक का प्रयोग पेस्ट बनाने के लिए किया जाता है। वे इस पेस्ट खाने के बाद त्योहार शुरू करते हैं।
किसानी का त्यौहार: गुढीपाडवा एक फसल उत्सव है। भारत काफी हद तक एक कृषि देश है। त्योहार आम तौर पर कृषि मौसम की शुरुआत और समापन से संबंधित हैं गुड़ी पड़वा रबी मौसम के अंत के निशान हैं।
महत्त्व: विशेष रूप से हिंदुओं के बीच इस दिन का अपना विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि इस दिन, भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड बनाया इसलिए, भक्त एक पवित्र तेल स्नान लेते हैं, जो शुभ माना जाता है यह दिन भी भगवान राम के राज्याभिषेक समारोह को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। 14 वर्ष के निर्वासन में रहने के बाद भगवान राम वापस अयोध्या लौट आए।
समारोह: गुड़ी पड़वा महोत्सव का उत्सव समृद्धि और कल्याण से संबंधित है। सब कुछ उज्ज्वल और जीवंत दिखता है लोग इस दिन पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं। दिन प्रार्थना के साथ शुरू होता है फिर, संबंधों और मित्रों के बीच मिठाई और उपहार का आदान-प्रदान होता है यह दावत का दिन भी है यह दावत का दिन भी है

गुड़ी पड़वा एस्से 2023

आप सभी को हमारी तरफ से चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!

Gudi_Padwa Hindi Nibandh Essay

कहा जाता है कि ब्रह्मा ने सूर्योदय होने पर सबसे पहले चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि की संरचना शुरू की। उन्होंने इसे प्रतिपदा तिथि को सर्वोत्तम तिथि कहा था इसलिए इसको सृष्टि का प्रथम दिवस भी कहते हैं।इस दिन से संवत्सर का पूजन, नवरात्र घटस्थापन, ध्वजारोपण आदि विधि-विधान किए जाते हैं। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा वसंत ऋतु में आती है। इस ऋतु में संपूर्ण सृष्टि में सुन्दर छटा बिखर जाती है। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा कहा जाता है। इस दिन हिन्दू नववर्ष का आरंभ होता है। शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है। जीवन का मुख्य आधार सोमरस चंद्रमा ही औषधियों-वनस्पतियों को प्रदान करता है इसीलिए इस दिन को वर्षारंभ माना जाता है।प्रतिपदा’ के दिन ही पंचांग तैयार होता है। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग’ की रचना की। इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है। आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यावहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है।चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को महाराष्ट्र में ‘गुड़ी पड़वा’ कहा जाता है। गुड़ी का अर्थ ‘विजय पताका’ होता है।

Gudi Padwa पर निबंध

गुढी पाडवा म्हणजे काय? | गुड़ी पड़वा का महत्व

गुड़ी पड़वा शब्द में गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका और पड़वा प्रतिपदा को कहा जाता है। गुड़ी पड़वा को लेकर यह मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने दक्षिण के लोगों को बाली के अत्याचार और शासन से मुक्त किया था जिसकी खुशी के रूप में हर घर में गुड़ी अर्थात विजय पताका फहराई गई। आज भी यह परंपरा महाराष्ट्र और कुछ अन्य स्थानों पर प्रचलित है जहां हर घर में गुड़ी पड़वा के दिन गुड़ी फहराई जाती है।

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