साक्षरता दिवस पर निबंध 2022 – World Literacy Day Essay in Hindi, English & Marathi Pdf Download for Students

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर निबंध

World Literacy Day 2022: साक्षरता दिवस अंतरास्ट्रीय स्तर पर पूरे विश्व में मनाया जाता है| प्रत्येक वर्ष पूरे विश्व में साक्षरता दिवस 8 सितम्बर को मनाया जाता है| इस दिन को मनाने की शुरुवात यूएन की संयुक्त राष्ट्र संग की यूनेस्को द्वारा 17 नवम्बर 1965 में हुई थी| यह दिन हमारे समाज में जागरूकता फैलाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है| इस दिन को मनाने का उद्देश्य समाज में लोगो के प्रति शिक्षा को प्राथमिकता देने को बढ़ावा देना है| इस दिन बहुत सी सामाजिक संस्था लोगो से वार्तालाप करके या रैलिया निकालकर समाज में लोगो को शिक्षा को बढ़ावा देने के लिया जागरूकता फैलाती है|

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विश्व साक्षरता दिवस पर निबंध

अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर वर्ष 8 सितम्बर को मनाया जाता है। विश्व संस्था यूनेस्को के द्वारा सन 1966 ई: में विश्वभर में निरक्षता को मिटाने के मकसद से यह अभियान शुरू किया गया। उस दिन यह संकल्प लिया गया के किसी भी देश में 1990 तक कोई भी निरक्षक नहीं रहेगा यह अभियान 1995 तक ऐसे देशों में चलाया गया जो इसमें पिछड़े हुए थे भारत का नाम भी इनमें आता है। यह दिवस विश्वभर में साक्षरता के लिए संदेश देता है। इसका उदेश्य लोगों तक ज्ञान पहुंचाना है क्योंकि निरक्षता अँधेरे के सामान है और साक्षरता प्रकाश के सामान अच्छा जीवन व्यतीत करने के लिए लोगों का साक्षरता होना बेहद जरूरी है क्योंकि एक अनपढ़ आदमी ख़ुद का भला नहीं सोच सकता तो भला वो राष्ट्र के विकास में क्या योगदान देगा।

हमारे देश में शिक्षा को लेकर समय -समय पर कई अभियान चलाए जा रहे हैं जैसे सर्व शिक्षा अभियान , प्रौढ़ शिक्षा अभियान , मिड डे मील योजना और राजीव गांधी साक्षरता मिशन चलाए जा रहे हैं दिनभर दिन शिक्षा के लिए कड़े प्रयास किये जा रहे हैं। आज कल गाँव की छोरियां भी बड़े बड़े शहरों में पढ़ने जाने लगी हैं क्योंकि एक शिक्षित महिला पूरे परिवार को शिक्षित बना सकती है। शिक्षा के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वास से मुक्ति दिलाई जा सकती है शिक्षा के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपयों की योजनाएं चलाई जाती हैं लेकिन नतीजा ज्यादा अच्छा नहीं मिल पाता।

शिक्षा और साक्षरता (Literacy) के नाम पर हमारे भारत में दो प्रकार के अभियान चलते हैं एक तो स्कूलों और विद्यालों में नियमित रूप से दी जाने वाली शिक्षा जिसे औपचारिक शिक्षा कहते हैं और दूसरी अनौपचारिक शिक्षा जिसके अंतर्गत उन लोगों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया जाता है जो स्कूलों और विद्यालों में जाकर शिक्षा हासिल नहीं कर पाते जिसे दो वर्गों में बांटा जाता है जिसमें 15 वर्ष से 35 वर्ष तक की उम्र में आने वालों को प्रौढ़ शिक्षा अभियान के कार्यक्रम में रखा जाता है जबकि 15 वर्ष से कम की उम्र में आने वाले लड़का -लड़की की शिक्षा को अनौपचारिक शिक्षा में रखा जाता है। इस वक्त प्रौढ़ निरक्षकों की संख्या 11 करोड़ से भी अधिक आंकी गयी है। आज़ादी हासिल करने के बाद हमारे देश में अनपढ़ों की संख्या बहुत अधिक थी किन्तु सरकार द्वारा किये गए शिक्षा सबंधी प्रयासों ने साक्षरता दर में काफी बढ़ोतरी की है आज भारत देश के हर नागरिक को शिक्षित करने की तरफ़ बढ़ रहा है।

किन्तु आज भी इतने कड़े प्रयास के बाद देश के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो निरक्षता से लगातार जूझ रहे हैं यहां पर अधिक प्रयास करने की जरूरत है आज भी शिक्षा के आंकड़ों के मुताबिक भारत की साक्षरता दर बाकी देशों की तुलना में कम है इसका सीधा साधा सा कारण है भारत के शिक्षा सबंधी अभियान दुसरे देशों की तुलना में कम प्रभावशाली होना भारत में शिक्षा प्रणाली को लेकर अनेक अभियान चलाए जाते हैं किन्तु वह ज्यादा सफ़ल नहीं हो पाते इसमें सबसे ज्यादा प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ता है खासतौर पर महिलाएं ग्रामीण महिलाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने के मार्ग पर कई बाधायों का सामना करना पड़ता है और जो उन्हें आगे बढने से रोकती हैं

साक्षरता (Saksharta) केवल किताबी ज्ञान हासिल करने तक सीमित नहीं है बल्कि साक्षरता का मुख्य उदेश्य लोगों में उन के अधिकारों के प्रति और उनके कर्तव्यों के प्रति उन्हें जागरूक करना है साक्षरता गरीबी , लिंग अनुपात सुधारने , भ्रष्टाचार और आतंकबाद को खत्म करने में समर्थ है आज भारत की साक्षरता दर में सुधार जरूर हुआ है किन्तु अभी भी यह अपने मकसद से कोसों दूर है।

शिक्षा ही मनुष्य को मनुष्यता की तरफ़ ले जाती है किसी भी देश का सबसे बड़ा अभिशाप वहां के निवासियों की निरक्षता है मनुष्य और पशु में यदि कोई अंतर है तो वो है बुद्धि का संसार के किसी ना किसी हिस्से में निरक्षता रुपी अभिशाप आज भी जड़ों को खोकला कर रहा है।

आज हमें जरूरत है प्राथमिक शिक्षा को प्राथमिकता दी जाए क्योंकि जब पेड़ को जड़ से सींचा जाए तभी पेड़ फलेगा –फूलेगा नई युवा पीढ़ी को प्रेरित करने से ही साक्षरता के सही अर्थ को समझा जा सकता है।

साक्षरता दिवस पर निबंध

International Literacy Day 2021 theme: इस साल की थीम UN ने ‘साक्षरता और कौशल विकास’ है यानी की ‘“Literacy for a human-centered recovery: Narrowing the digital divide”’ है| आइये हम आपको विश्व साक्षरता दिवस पर भाषण, साक्षरता दिवस पर निबंध, राष्ट्रीय साक्षरता दिवस, विश्व साक्षरता दिवस कब मनाया जाता है, saksharta din, वर्ल्ड लिटरेसी डे, अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस, भारतीय साक्षरता दिवस, का full collection जिसे आप अपने अध्यापक, मैडम, mam, सर, बॉस, माता, पिता, आई, बाबा, sir, madam, teachers, boss, principal, parents, master, relative, friends & family whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|

विश्व साक्षरता दिवस हर साल 8 सितम्बर को राष्ट्रिय और अन्तर्राष्ट्रीय डे के रूप में मनाया जाता हैं. इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को साक्षरता (शिक्षा) के प्रति जागरूक कर समाज में शिक्षा के महत्व को प्रदर्शित करना हैं. 8 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने की परम्परा की शुरुआत 17 नवम्बर 1965 को सयुक्त राष्ट्र संघ के यूनेस्को (Educational, Scientific and Cultural Organization) द्वारा की गई. हर साल साक्षरता दिवस को एक नई थीम और लक्ष्य निर्धारित कर मनाया जाता हैं.

शिक्षा और विकास, 21 वी सदी के लिए शिक्षा और शिक्षा व् स्वास्थ्य जैसे विषयों को लेकर साक्षरता दिवस उत्सव पिछले कई वर्षो से मनाया जा रहा हैं. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य समाज के सभी वर्गो तक शिक्षा के संदेश को पहुचाना. उन लोगों को शिक्षा के साथ जोड़ना जो अब तक इससे वाचित रहे हैं. आज के समय में व्यक्ति की प्राथमिक आवश्यकताएं रोटी, कपड़ा और मकान से अधिक महत्वपूर्ण शिक्षा( साक्षरता) को माना जाता हैं.

saakshar bharat mission कई वर्षो से चल रहा हैं. जब तक देश की अधिकांश आबादी साक्षर नही हो जाती हैं. गरीबी, अंधविश्वास, लिंग भेद, जनसंख्या बढ़ोतरी जैसी सामजिक समस्याओं से पार पाना असम्भव हैं. सरकार द्वारा इस दिशा में कई सार्थक कदम उठाने के बावजूद सार्थक परिणाम नजर नही आ रहे हैं. सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मिल प्रोढ़ शिक्षा जैसे साक्षरता कार्यक्रम कई वर्षो से भारत में चल रहे हैं.

वर्ष 2011 में हुई जनगणन के आकड़ो पर हम नजर डाले तो भले ही हमारी पुरुष साक्षरता 80 फिसद से अधिक हो. 2001 से 2011 के मध्य 10 वर्षो की अवधि के दौरान मात्र 4 फीसदी ही महिलाएँ साक्षर हो पाई हैं. जहाँ 2001 की जनगणना में महिलओं की साक्षरता दर 60 फीसदी के आस-पास थी जो अब 64 तक ही बढ़ पाई हैं. बिहार, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में महिला शिक्षा का स्तर बेहद न्यून हैं जो हम सबके लिए चिंता का विषय हैं.

हमारा भारत प्राचीन समय में विश्व गुरु कहलाता था, मगर आज हालत यह हैं कि कुल आबादी का एक चौथाई तक़रीबन 30 करोड़ लोग आज भी अशिक्षित हैं. इस असफलता के पीछे हमारी सरकारों और समाज दोनों की गलतियाँ बराबर जिम्मेदार हैं. सभी सरकारों विद्यालयों में निशुल्क दोपहरी भोजन की योजना निश्चय ही विद्यालय में बच्चो के ठहराव और उपस्थति के आकड़ो को सुधार करने में मदद कर रही हैं. साक्षरता के महत्व को समझते हुए International Literacy Day की पहल शिक्षा के प्रचार-प्रचार में अहम हथियार हैं. शिक्षित युवाओं द्वारा सक्रिय भूमिका निभाने से वर्तमान स्थति में काफी हद तक सुधार लाया जा सकता हैं.

गणतंत्र राष्ट्र के शिक्षित नागरिक ही अपने कर्तव्यो और अधिकारों के लिए जागरूक होकर इनका सही उपयोग कर सकता हैं. सामजिक द्रष्टि से भी शिक्षा जरुरी हैं. पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारियों को समझते हुए सदुपयोग कर सकता हैं. देश की अधिकतर आबादी गाँवों में बस्ती हैं. जहाँ शिक्षा का आज भी निम्न स्तर हैं, जिस कारण लोग जाति धर्म जैसे बन्धनों में खुद को बांधे रखते हैं.

ज्ञान व्यक्ति को अँधेरे से बाहर निकालकर एक उज्जवल भविष्य की राह दिखाने का कार्य करता हैं. आज जो भी देश विकास व् तकनीक के विषय में सर्वोच्च हैं जिनका आधार मूलत शिक्षा ही हैं. असाक्षर व्यक्ति को पशु के समान समझने वाली संभ्यता में आज भी बेटियों की शिक्षा के द्वार पूर्ण रूप से नही खुले हैं. साक्षरता दिवस जैसे अवसर हमारे इस तरह के नासूरो पर फिर से गौर कर नये विचारों के साथ समाज को आगे ले जाने का पथ प्रशस्त करते हैं.

जब हमारा देश अंग्रेजो की गुलामी से आजाद हुआ उस समय हमारी साक्षरता दर मात्र 12-13 फिसद ही थी. आजादी के बाद के इन 70 वर्षो बाद आज हमारी शिक्षा दर 74 प्रतिशत तक पहुच चुकी हैं. मगर वैश्विक साक्षरता दर जो 85 फीसदी के आस-पास हैं. अब भी हम उस लिहाज से काफी पीछे चल रहे हैं.

साक्षरता दर बढ़ाने के लिए किये गये प्रयासों में हमारे देश व् विभिन्न राज्यों की बात करे तो आज की स्थति में लगभग सभी राज्यों में अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम को शिक्षा के अधिकार के रूप में जगह दी गई हैं. एक कानून को मौलिक अधिकार बना देने के बावजूद क्या 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चे स्कुलो तक पहुच पाए. क्या बाल श्रम पर पूर्ण रोक लग पाई. ये सवाल हमारे दिलों दिमाग को तब तक कोसते रहेंगे, जब तक समाज के हर तबके का व्यक्ति शिक्षा के प्रति जाग्रत नही हो जाता. जरुरत हैं इस तरह के कानूनों को आमजन तक पहुचाने की ओर उन्हें इसके प्रति जागरूक करने की. तभी असल में विश्व साक्षरता दिवस मनाने का उद्देश्य सच्चे अर्थो में साकार होगा.

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर निबंध

विश्व साक्षरता दिवस पर निबंध

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का इतिहास
यूनेस्को ने 7 नवंबर 1965 में ये फैसला किया कि अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर वर्ष 8 सितंबर को मनाया जायेगा जोकि पहली बार 1966 से मनाना शुरु हुआ। व्यक्ति, समाज और समुदाय के लिये साक्षरता के बड़े महत्व को ध्यान दिलाने के लिये पूरे विश्व भर में इसे मनाना शुरु किया गया। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिये वयस्क शिक्षा और साक्षरता की दर को दुबारा ध्यान दिलाने के लिये इस दिन को खासतौर पर मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस समारोह
शिक्षा पर वैश्विक निगरानी रिपोर्ट के अनुसार ये ध्यान देने योग्य है कि हर पाँच में से एक पुरुष और दो-तिहाई महिलाएँ अनपढ़ है। उनमें से कुछ के पास कम साक्षरता कौशल है, कुछ बच्चों की पहुँच आज भी स्कूलों से बाहर है और कुछ बच्चे स्कूलों में अनियमित रहते हैं। लगभग 58.6% की सबसे कम वयस्क साक्षरता दर दक्षिण और पश्चिम एशिया के नाम है। बुरकिना फासो, माली और नाइजर वो देश है जहाँ सबसे कम साक्षरता दर है।

यह पूरे विश्व में शिक्षा की खास विषय-वस्तु, कार्यक्रम और लक्ष्य से साथ मनाया जाता है। वर्ष 2007 और 2008 में इस दिन की विषय-वस्तु साक्षरता और स्वास्थ्य था (टीबी, कॉलेरा, एचआईवी और मलेरिया जैसी फैलने वाली बीमारी से लोगों को बचाने के लिये महामारी के ऊपर मजबूत ध्यान देने के लिये)। वर्ष 2009 और 2010 का मुद्दा साक्षरता और महिला सशक्तिकरण था जबकि 2011 और 2012 के इस उत्सव का विषय साक्षरता और शांति था।

समाज की साक्षरता दर को बढ़ावा देने के लिये असाधारण मूल्य के लिखित शब्द और जरुरत के बारे सार्वजनिक चेतना को बढ़ावा देने के लिये इस दिन को मनाने का खास महत्व है। साक्षरता सुधार की मदद करने के लिये कुछ लेखकों ने लेख लिखे हैं वो हैं- मारगरेट एटवुड, पॉलो कोहेलहो, फिलीप डेलर्म, पॉल ऑस्टर, फिलीप क्लॉडेल, फैटेउ डियोम आदि और भी बहुत सारे। कुछ कंपनियाँ, दानी संस्थाएँ, वैश्विक विकास शोध केन्द्र, रोटरी अंतर्राष्ट्रीय, मौंटब्लैंक और राष्ट्रीय साक्षरता संस्थान भी सामाजिक साक्षरत को बढ़ावा देने में शामिल हैं। साक्षरता इंसान के जीवन को आकार देने के साथ ही उनकी सांस्कृतिक पहचान को भी बनाता है।

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस क्यों मनाया जाता है
मानव विकास और समाज के लिये उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। सफलता और जीने के लिये खाने की तरह ही साक्षरता भी महत्वपूर्णं है। गरीबी को मिटाना, बाल मृत्यु दर को कम करना, जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना, लैंगिक समानता को प्राप्त करना आदि को जड़ से उखाड़ना बहुत जरुरी है। साक्षरता में वो क्षमता है जो परिवार और देश की प्रतिष्ठा को बढ़ा सकता है। ये उत्सव लगातार शिक्षा को प्राप्त करने की ओर लोगों को बढ़ावा देने के लिये और परिवार, समाज तथा देश के लिये अपनी जिम्मेदारी को समझने के लिये मनाया जाता है।

World Literacy Day Essay in Hindi

अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (अंग्रेज़ी: International Literacy Day) विश्व में 8 सितंबर को मनाया जाता है। वर्तमान युग में शिक्षा बहुत ज़रूरी है। शिक्षा के बिना किसी कार्यक्रम का नियोजन सम्भव नहीं है। शिक्षा हमारे जीवन का आवश्यक अंग है। सरकार सर्वशिक्षा अभियान चलाकर प्रत्येक व्यक्ति को साक्षर बनाने के लिए विभिन्न योजनायें संचालित कर रही है। एक व्यक्ति का शिक्षित होना उसके स्वयं का विकास है, वहीं एक बालिका शिक्षित होकर पूरे घर को संवार सकती है। जब देश का हर नागरिक साक्षर होगा तभी देश की तरक़्क़ी हो सकेगी। [1]

तात्पर्य
साक्षरता का तात्पर्य सिर्फ़ पढ़ना-लिखना ही नहीं बल्कि यह सम्मान, अवसर और विकास से जुड़ा विषय है। दुनिया में शिक्षा और ज्ञान बेहतर जीवन जीने के लिए ज़रूरी माध्यम है। आज अनपढ़ता देश की तरक़्क़ी में बहुत बड़ी बाधा है। जिसके अभिशाप से ग़रीब और ग़रीब होता जा रहा है।

उद्देश्य
साक्षरता दिवस का प्रमुख उद्देश्य नव साक्षरों को उत्साहित करना है। अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस हमारे लिये अहम दिवस है, क्योंकि हमारे जीवन में शिक्षा का बहुत अधिक महत्त्व है। हमारे देश में पुरुषों की अपेक्षा महिला साक्षरता कम है। हमें आज के दिन यह संकल्प लेना होगा कि हर व्यक्ति साक्षर बनें, निरक्षर कोई न रहे। हमें अपने यहाँ से निरक्षता को भगाना होगा।

शैक्षिक इतिहास
भारत का शैक्षिक इतिहास अत्यधिक समृद्ध है। प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों द्वारा शिक्षा मौखिक रूप में दी जाती थी। शिक्षा का प्रसार वर्णमाला के विकास के पश्चात् भोज पत्र और पेड़ों की छालों पर लिखित रूप में होने लगा। इस कारण भारत में लिखित साहित्य का विकास तथा प्रसार होने लगा। देश में शिक्षा जन साधारण को बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ-साथ उपलब्ध होने लगी। नालन्दा, विक्रमशिला और तक्षशिला जैसी विश्व प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों की स्थापना ने शिक्षा के प्रचार में अहम भूमिका निभाई। लोगों में व्यावसायिक कौशल विकसित करने के लिए साक्षरता एक बड़ी ज़रूरत है।

शिक्षा का प्रसार
भारत में अंग्रेज़ों के आगमन से यूरोपीय मिशनरियों ने अंग्रेज़ी शिक्षा का प्रचार किया। इसके बाद से भारत में पश्चिमी पद्धति का निरन्तर प्रसार हुआ है। वर्तमान समय में भारत में सभी विषयों के शिक्षण हेतु अनेक विश्वविद्यालय और उनसे जुड़े़ हजा़रों महाविद्यालय हैं। भारत ने उच्च कोटि की उच्चतर शिक्षा प्रदान करने वाले विश्व के अग्रणी देशों में अपना स्थान बना लिया है।

शुल्क में वृद्धि
शिक्षा के शुल्क में अनेक कारणों से (विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा) निरन्तर वृद्धि हो रही है। इस कारण ग़रीब परिवार के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई होने लगी है।[2]

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की सभी महिलाओं को अगले पाँच सालों में साक्षर बनाने के लक्ष्य के साथ अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के मौके पर महिलाओं के लिए विशेष तौर पर ‘साक्षर भारत’ मिशन का शुभारंभ किया था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई थी कि ‘साक्षर भारत’ मिशन, राष्ट्रीय साक्षरता मिशन से भी ज़्यादा सफल साबित होगा। उन्होंने कहा था कि- “देश की एक तिहाई आबादी निरक्षर है। देश की आधी महिलाएं अभी भी पढ़-लिख नहीं सकतीं। साक्षरता के मामले में हम विश्व में सबसे पिछड़े देशों में शुमार हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि- “अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और अन्य वंचित व पिछड़े वर्गो की महिलाओं का साक्षर न होना हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती है और हमें इस चुनौती से पार पाना होगा। यदि हमें सभी नागरिकों को सशक्त करना है और तेज़ी से विकास करना है तो देश को पूरी तरह से साक्षर करना होगा। जिस ‘साक्षर भारत’ मिशन की आज हम शुरुआत कर रहे हैं वह साक्षरता के प्रति हमारी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को ज़ाहिर करता है। यह मिशन ख़ासकर महिलाओं में साक्षरता की दर बढ़ाने की हमारी कोशिश में मददगार साबित होगा।”

उन्होंने कहा कि- “साक्षरता के मामले में आज़ादी के बाद से हमने लगातार वृद्धि की है। वर्ष 1950 में साक्षरता की दर 18 फ़ीसदी थी, जो वर्ष 1991 में 52 फ़ीसदी और वर्ष 2001 में 65 फ़ीसदी पहुँच गयी।”[3]

भारत भी बन सकता है, शत प्रतिशत साक्षर
साक्षरता दिवस का दिन हमें सोचने को मजबूर करता है, कि हम क्यो 100% साक्षर नहीं हैं। यदि केरल को छोड़ दिया जाए तो बाकि राज्यों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है। सरकार द्वारा साक्षरता को बढ़ने के लिए सर्व शिक्षा अभियान, मिड दे मील योजना, प्रौढ़ शिक्षा योजना, राजीव गाँधी साक्षरता मिशन आदि न जाने कितने अभियान चलाये गये, मगर सफलता आशा के अनुरूप नहीं मिली। मिड दे मील में जहाँ बच्चो को आकर्षित करने के लिए स्कूलों में भोजन की व्यवस्था की गयी, इससे बच्चे स्कूल तो आते हैं, मगर पढ़ने नहीं खाना खाने आते हैं। शिक्षक लोग पढ़ाई की जगह खाना बनवाने की फिकर में लगे रहते हैं। हमारे देश में सरकारी तौर पर जो व्यक्ति अपना नाम लिखना जानता है, वह साक्षर है। आंकड़े जुटाने के समय जो घोटाला होता है, वो किसी से छुपा नहीं है। अगर सही तरीक़े से साक्षरता के आंकडे जुटाए जाए तो देश में 64.9% लोग शायद साक्षर न हो। सरकारी आंकडो पर विश्वास कर भी लिया जाए तो भारत में 75.3% पुरुष और 53.7% महिलायें ही साक्षर हैं।

साक्षर कैसे बने
भारत 100% साक्षर कैसे बने। भारत में सबसे ज़्यादा विश्वविद्यालय है। हमारे देश में हर साल लगभग 33 लाख विद्यार्थी स्नातक होते हैं। उसके बाद बेरोज़गारों की भीड़ में खो जाते हैं। हम हर साल स्नातक होने वाले विद्यार्थियो का सही उपयोग साक्षरता को बढ़ाने में कर सकते हैं। स्नातक के पाठ्यक्रम में एक अतिरिक्त विषय जोड़ा जाए, जो सभी के लिए अनिवार्य हो। इस विषय में सभी छात्रों को एक व्यक्ति को साक्षर बनाने की ज़िम्मेदारी लेनी होगी। शिक्षकों के द्वारा इसका मूल्यांकन किया जाएगा। अन्तिम वर्ष में मूल्यांकन के आधार पर अंकसूची में इसके अंक भी जोड़े जाए। इससे हर साल लगभग 33 लाख लोग साक्षर होंगे। वो भी किसी सरकारी खर्च के बिना।[4]

World Literacy Day Essay in English

अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है साक्षरता दिवस पर निबंध लिखें| आइये अब हम आपको अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस २०१७, विश्व साक्षरता दिवस पर कविता, साक्षरता पर निबंध, World Literacy Day Quotes in Hindi, अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर निबंध, विश्व साक्षरता दिवस पर भाषण, World Literacy Day Slogans , वर्ल्ड लिटरेसी डे एस्से इन हिंदी, वर्ल्ड लिटरेसी डे एस्से, international literacy day essay, world literacy day essay in urdu, आदि की जानकारी 100 words, 150 words, 200 words, 400 words, किसी भी भाषा जैसे Hindi, हिंदी फॉण्ट, मराठी, हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|

“Education is not preparation for life; Education is life itself.” – John Dewey

With no boundaries or limitation, the only thing that can make you a diamond from coal is Education. There is nothing as powerful as education and we should celebrate the day to revise the goals of distributing this power.
Every year, the World Literacy Day is celebrated on September 8. This year, UNESCO is celebrating the 51tst anniversary of International Literacy Day with the quote “Reading the Past, Writing the Future”. This day was is celebrated all around the world to spread awareness about the importance of the literacy to individuals, society, and communities.

UNESCO Director-General Irina Bokova said, “The world has changed since 1966, but our determination to offer every woman and man with the capacities, skills, and opportunities to become everything they wish, in respect and dignity, remains as firm as ever. Literacy is a foundation to build a more sustainable future for all.”

As per the report of the global monitoring, it has been observed that one among every 5 men and two third women are illiterate. Hence, to increase the literacy rate World Literacy Day is celebrated.

Why We Celebrate International Literacy Day-
The main purpose to celebrate the International Literacy Day is to encourage awareness towards literacy so that everyone can know their social and individual rights. As we need food to be live, we need literacy for social and personal development. Considering the immensely increased rate of poverty, uncontrollable population growth, gender inequality, etc. UNESCO has decided to celebrate the day with a goal to remove these problems. Eliminating them not only helps individuals to grow, but also contributes to the overall growth and upliftment of the nation.

Why Literacy is Important-
Literacy is not only the way to get employment however, it encourages to know human rights so that everyone can get what they deserve. Due to illiteracy, many people face humiliation every day. Moreover, they make their own life full of struggles. Hence, to make a better world and to make use of community resources for gaining information from local and school libraries, literacy is of utmost important.

In the mission to spread literacy around the globe, Robomate+ has taken an initiative. It is the India’s largest video platform that provides easy to understand and interactive video lectures. No matter which class or exam you are preparing for, video lectures on almost every concept are available at Robomate+.

So let’s pledge on this literacy day, we learn, we teach, we inspire, to make our future full of knowledge and success

World Literacy Day Essay in Marathi

“शिक्षण आयुष्यासाठी तयारी नाही; शिक्षण हेच जीवन आहे. “- जॉन डेव्ही

मर्यादा किंवा मर्यादा नसलेल्या, केवळ कोळशापासून हिरा बनविणारी एकमेव गोष्ट म्हणजे शिक्षण शिक्षणासारखी शक्तीशाली काहीही नाही आणि आपण या शक्तीचे वितरण करण्याच्या उद्दिष्टांची पुनरावृत्ती करण्याचा दिवस साजरा केला पाहिजे.
दरवर्षी, 8 सप्टेंबरला जागतिक साक्षरता दिन साजरा केला जातो. यावर्षी, युनेस्को आंतरराष्ट्रीय वाचन दिन 51tst वर्धापनदिन “वाचन पाश्चात्य, लेखन भविष्यातील” सह उद्धरण आहे. आजचा दिवस जगभरात साजरा केला जातो ज्यायोगे व्यक्ती, समाज आणि समुदायांना साक्षरतेचे महत्त्व समजले जाते.

युनेस्कोचे महासंचालक इरीना बोकोवा म्हणाले, “1 9 66 पासून जग बदलले आहे, परंतु प्रत्येक स्त्री आणि पुरुष ज्याची क्षमता, कौशल्य आणि सर्व इच्छा, सन्मान आणि सन्मानात्मक स्थितीत राहण्यासाठी संधी देण्याचे आमचे निश्चय ते आजपर्यंत कायम अवघड आहे. साक्षरता हा सर्वांसाठी एक अधिक शाश्वत भविष्य निर्माण करण्यासाठी पाया आहे. “

जागतिक म्युच्युअलेशनच्या अहवालाप्रमाणे हे दिसून आले आहे की दर पाच पुरुष आणि दोन तृतीयांश स्त्रियांपैकी एक निरक्षर अशिक्षित आहे. म्हणून साक्षरता दर वाढवण्यासाठी जागतिक साक्षरता दिन साजरा केला जातो.

आम्ही आंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिन साजरा का करतो-
आंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिन साजरा करण्याचा मुख्य हेतू म्हणजे साक्षरतेबद्दल जागरुकता वाढवणे जेणेकरून प्रत्येकजण त्यांचे सामाजिक आणि वैयक्तिक अधिकार जाणून घेऊ शकेल. आपल्याला जीवनाची गरज आहे त्याप्रमाणे अन्नासाठी सामाजिक आणि वैयक्तिक विकासासाठी साक्षर्याची आवश्यकता आहे. गरिबीचे अत्यंत वाढीव दर, बेकायदेशीर लोकसंख्या वाढ, लिंग असमानता इत्यादि लक्षात घेता, युनेस्कोने या समस्यांना दूर करण्यासाठी एक दिवस साजरा करण्याचे ठरविले आहे. त्यांना दूर करण्याने केवळ व्यक्तींनाच वाढण्यास मदत मिळत नाही, तर देशाच्या एकूण विकासासाठी आणि उत्थाननास देखील योगदान होते.

साक्षरता महत्त्वाची का आहे?
साक्षरता केवळ रोजगार मिळविण्याचा मार्ग नाही, हे मानवाधिकार जाणून घेण्यास प्रोत्साहन देते जेणे करून प्रत्येकजण जे पात्र असेल ते प्राप्त करू शकेल. निरक्षरता असल्यामुळे बरेच लोक दररोज निराश होतात. याव्यतिरिक्त, ते स्वतःच्या आयुष्यात संघर्षापुढे भरभराट करतात. म्हणून स्थानिक आणि शाळेच्या वाचनालयांमधील माहिती मिळविण्यासाठी एक उत्तम जग निर्माण करण्यासाठी आणि सामुदायिक संसाधनांचा वापर करण्यासाठी, साक्षरता अत्यंत महत्त्वाची आहे

जगभरात साक्षरता प्रसारित करण्याच्या मोहिमेत, रोबोमेट + ने एक पुढाकार घेतला आहे. हे भारतातील सर्वात मोठे व्हिडिओ प्लॅटफॉर्म आहे जे समजण्यास सोपे आणि परस्परसंवादी व्हिडिओ व्याख्यान देते. आपण कोणत्या वर्गापैकी किंवा परीक्षेसाठी तयारी करत आहात हे महत्त्वाचे नाही, जवळजवळ प्रत्येक संकल्पनावर व्हिडिओ व्याख्याने रोबोमेट + येथे उपलब्ध आहेत.

तर आपण या साक्षरता दिवशी प्रतिज्ञा करूया, आपण शिकतो, शिकवतो, आम्ही प्रेरणा देतो, आपले भविष्य ज्ञान आणि यशाने पूर्ण करण्यासाठी.

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