संकष्टी चतुर्थी 2022-23 संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

संकष्टी चतुर्थी

Sankashti chaturthi 2022: हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश को प्रथम पूज्य देवता का स्थान प्राप्त है और इन्हे अनेकों नाम से जाना जाता है, जिनमे से एक है विघ्नहर्ता अर्थात कष्टों और संकटों को हरने वाले | हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पूर्णिमा के बाद आने काली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है और इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है | इस दिन लोग व्रत रखते और शाम के समय गणेश जी की पूजा-अर्चना कर उनसे अपने कष्टों को हरने और सुख -समृद्धि की कामना करते हैं |

संकष्टी गणेश चतुर्थी

Sankashti chaturthi 2022 date: इस बार संकष्टी चतुर्थी 26 नवंबर सोमवार के दिन पड़ रही है | आइये अब हम आपको sankashti chaturthi 2022 timings, संकष्टी चतुर्थी कथा, संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा, संकष्टी चतुर्थी चंद्रोदय, संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा, sankashti chaturthi fast benefits, sankashti chaturthi in hindi, आदि की जानकारी देंगे|

संकटों को हरने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है | इस दिन भगवान श्री गणेश जी की पूजा की जाती है | हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर चंद्र मास में दो चतुर्थी होती हैं, एक शुक्ल पक्ष की और एक कृष्ण पक्ष की | पूर्णिमा के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है | इस दिन लोग प्रातः काल उठकर गणेश जी की पूजा का संकल्प लेते हैं और संध्या में उनकी पूजा विधि-पूर्वक करते हैं और चंद्र देव को जल अर्पण करते हैं | इस दिन लोग भगवान श्री गणेश से अपने दुखों और संकटों को हरने की कामना करते हैं |

Sankashti chaturthi vrat katha in hindi

भगवान शिव और माता पार्वती एक बार नदी किनारे बैठे हुए थे. तभी मां पार्वती को चोपड़ खेलने का मन करता है, लेकिन इस खेल को खेलने के लिए एक सदस्य की आवश्यकता होती है. क्योंकि हार जीत का फैसला तीसरा सदस्य करता है. इसलिए मां पार्वती ने मिट्टी से एक मूरत बना कर उसमें जान फूंक दी. और उस बालक को बोला तुम खेल का फैसला करना. खेल में हर बार मां पार्वती जीत जाती है. लेकिन बालक ने गलती से भगवान शिव का नाम ले लिया. जिसके पश्चात मां पार्वती ने कोध्रित होते हुए उस बालक को लंगड़ा बना दिया. उसके बाद बालक मां से क्षमा मांगने लगा. मां पार्वती ने बालक को उपाय बताया की संकष्टी व्रत के दिन यहां कन्याएं गणेश जी की पूजा करने आती है. उन कन्याओं से से व्रत और पूजा की विधि पूछना और पूरी श्रद्रा से वर्त रखना.

Sankashti chaturthi vrat katha in hindi

बालक पूरे विधि विधान व्रत वा पूजा पाठ करता है. एक दिन भगवान गणेश जी बालक को दर्शन देते हुए वरदान देते है. बालक गणेश जी से अपने माता पिता शिव पार्वती से मिलने वरदान मांगते है. जिसके बाद बालक कैलाश पर्वत माता पिता से मिलने पहुंच जाता है, लेकिन वहां मां पार्वती शिवजी से नाराज होकर कैलाश छोड़कर चली जाती है. शिव उस बालक से पुछते है कि श्राप से मुक्ति कैसे मिली बालक शिव को सब बताते हैं. उसके बाद शिवजी भी इस व्रत को करते है. मां पार्वती एक दिन अपने आप कैलाश लोट आती हैं. इस तरह गणेश जी व्रत करने से सभी मनोकामना पूरी होती है |

संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि

  • इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और गणेश जी की पूजा का संकल्प लें |
  • इस दिन लाल रंग के वस्र्ट पहने |
  • पूरे दिन जल, दूध-निर्मित मिठाई और साबूदाने की खीर के आलावा कुछ और ग्रहण न करें |
  • संध्या काल के समय भगवान गणेश जी की विधिवत उपासना करें |
  • पूजा के समय
    ”गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
                                            उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।”
    मंत्र का जाप करें |
  • पूजा में गणेश जी मूर्ति के साथ माँ दुर्गा की भी मूर्ति रखें, ऐसा करना सुबह मन जाता है |
  • पूजा में जल से भरा कलश, तिल या गुड़ के लड्डू, पीले फूल, चन्दन, धुप, केला, नारियल आदि रखें |
  • संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें और भगवान गणेश को तिल के लड्डू , धुर्वा और पीले फूल अर्पण करें |
  • पूजा के बाद प्रसाद बाटें |

संकष्टी चतुर्थी मराठी

सकाळची चतुर्थी व्रत पाहणार्या भाविक सकाळी लवकर उठतात आणि पवित्र स्नान करतात. ते संपूर्ण दिवस व्रत व उपवास पाळण्याचे दृढनिश्चय करतात. सांकशती चतुर्थी पूजा साधारणतः संध्याकाळी केली जाते. भगवान गणेशची मूर्ती सजवली आहे आणि दुर्व घास आणि ताजे फुले दिली जातात. या प्रसंगी तयार केलेल्या प्रसादमध्ये मोडक आणि त्या वस्तू गणेशने पसंत केल्या आहेत. पूजाच्या शेवटी वाचलेल्या महिन्यासाठी एक व्रत कथा आहे. भक्तांनी भगवान गणेश यांना समर्पित मंत्र आणि स्तोत्रांचा जप केला पाहिजे. पूजा केल्यानंतर चंद्र निघून गेले. चंद्राच्या देवतेला दिलेल्या अर्पणांमध्ये चंदे पेस्ट, पाणी, तांदूळ आणि फुले यांचा समावेश आहे.

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