बास्योड़ा 2023: हिन्दू धर्म में कई ऐसे त्यौहार या व्रत हैं जिन्हे हिन्दू समाज बड़ी श्रद्धा और विशवास से मनाता है| इन विभिन्न त्योहारों के पीछे उनकी सच्ची श्रद्धा और आस्था छिपी हुई है| कुछ ऐसे व्रत भी होते हैं जिन्हे भगवान् या देवी देवताओ को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है| शीतला अष्टमी भी उन्ही त्यौहार में से एक हैं जिसे शीतला माता को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है| आज के इस पोस्ट में हम आपको शीतला अष्टमी का महत्व, basoda ki kahani, sheetala ashtami wishes basoda kyu manaya jata hai, why is basoda celebrated, शीतला पूजन विधि इन हिंदी,उर्दू,गुजरती,मराठी,तमिल और तेलगु, शीतला अष्टमी पूजा सामग्री आदि की जानकारी देंगे|
शीतला अष्टमी कब है – sheetala saptami 2023 date
हिन्दू धर्म में शीतला अष्टमी के व्रत का बहुत महत्व है| बहुत से लोग इसे होली के अगले हफ्ते पर बनाते हैं पर कुछ लोग होली के त्यौहार के बाद अगले सोमवार अथवा गुरूवार को मनाते हैं| इस दिन शीतला माता को नरसंण करने के लिए व्रत रखा जाता हैं और उनकी पूजा की जाती हैं| शीतला माता की पूजा कृष्ण पक्ष की अष्टमी को चैत्र मास को की ती हैं| प्राचीन काल से इनकी पूजा करने का रिवाज़ और विधान हैं|उज्जैन मंदिर के अनुसार आप शीतला अष्टमी यानी की बसोडा 25 मार्च, बुधवार को मना सकते हैं|
शीतला माता की पूजा-महत्व

इस व्रत के एक दिन पूर्व भोजन बनाया जाता हैं और व्रत वाले दिन उसी बासे खाने का भोग लगाया जाता हैं| व्रत वाले दिन बासी खाना ही देवी को समर्पत किआ जाता हैं और इसका प्रसाद भक्तो को दिया जाता हैं| यह एक महत्वपूर्ण कारण है जिसकी वजह से इस व्रत या त्यौहार को बासोड़ा नाम से भी जाना जाता हैं| यह एक मानता हैं की यह दिन बासी खाना खाने का आंखरी दिन होता हैं| इस दिन के बाद से बासी खाना खाना बंद हो जाता हैं| भारत के प्राचीन काल से ही इस व्रत का बहुत महत्व हैं| कहा जाता हैं की अगर आपने कुछ भी पाप किया हैं तो इस व्रत को रखके सारे गलत काम त्याग सकते हैं और सब रुका हुआ काम भी बन आता हैं|
शीतला माता की कथा – basoda mata ki kahani
basoda ki katha: शीतला माता की कथा बहुत पुरानी हैं| एक बार शीतला माता धरती पर यह जानने के लिए प्रकट हुई की उनकी पूजा कौन करता हैं| इसी वजह से वे एक गांव में बुढ़िया के रूप में जाकर भोजन मांगती हैं पर उन्हें किसी ने भी भोजन नहीं दिया| एक कुमारी ने उन्हें बासी खाना खिलाया और उनके जुए भी निकाल दिए| इसके बाद माता ने उसे साक्षात दर्शन दिए और अपना आशीर्वाद दिया| इस घटना के बाद उस गांव में आग लग गई पर कुमारी का घर बचा रहा| इसी घटना की वजह से बासोड़ा बनाया जाता हैं|
शीतला माता पूजन विधि -basoda pujan vidhi
basoda recipes: इस दिन सबसे पहले अष्टमी से एक दिन पहले सूर्यास्त होने के बाद तेल और गुड़ में मीठे चावल, मीठी रोटी, गुलगुले, आदि मीठा खाना माँ के बोघ के लिए मनाया जाता हैं| इसके बाद अष्टमी वाले दिन प्रातकाल उठकर मंदिर जाकर गाय के कच्चा दूध से बानी लस्सी और सभी मीठे भोजन का माँ को बोघ लगाना होता हैं| इसके बाद मंदिर के पंडित और सभी भगवान् को प्रसाद का बोघ लगाया जाता हैं| इसके बाद गाय और कुत्ते को भी प्रशाद खिलाया जाता हैं|