विश्व ऊर्जा दिवस पर कविता 2022 –23 International Energy Day Poem In Hindi- वर्ल्ड एनर्जी डे पर कविता

International Energy Day Poem In Hindi

International Energy Day 2022: विश्व ऊर्जा दिवस या राष्ट्रीय ऊर्जा दिवस एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है| इस पर्व की शुरुवात 2001 में भारत के ऊर्जा दक्षता ब्यूरों द्वारा हुई थी| वे एक संवैधानिक संस्ता है| यह संस्ता भारत सरकार के अंतर्गत आती है| इस संस्ता का काम ऊर्जा के उपयोग काम करने के लिए विभिन प्रकार की नीतिया बनाने का है| इस पर्व को मनाने का मकसत फ़ालतू की ऊर्जा के उपयोग कम करने का है| आज के इस पोस्ट में हम आपको विश्व ऊर्जा संरक्षण दिवस, ऊर्जा संरक्षण पर निबंध, ऊर्जा संरक्षण पर निबंध इन संस्कृत, ऊर्जा संरक्षण के लाभ, ऊर्जा बचाओ, ऊर्जा संरक्षण के उपाय, ऊर्जा संरक्षण चित्र, आदि की जानकारी देंगे|

विश्व ऊर्जा दिवस कविता

अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है विश्व ऊर्जा दिवस पर कविता लिखें| जिसके लिए हम पेश कर रहे हैं vishwa urja diwas Par Kavita, International Energy Day Hindi Poem with images, विश्व ऊर्जा दिवस पर निबंध जो की आप Hindi, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Kannada, Malayalam, Nepali के Language व Font, pdf में देख सकते हैं|यह 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017,2018,2019,2020,2021,2022 का full collection है|

पानी और कोयले से हम,
बिजली खूब बनाते।
और रोशनी करके घर को,
चम-चम-चम चमकाते।।

डीजल या पेट्रोल डाल हम,
वाहन खूब चलाते।
कारों से लेकर बाइक तक,
सड़कों पर दौड़ाते।।

बच्चो ! अणु , परमाणु आदि भी,
बिजली लगे बनाने।
लेकिन ये सब घातक होते,
सारा जग पहचाने।।

मिल, आफिस या सड़कें, गलियाँ,
बिजली सबको प्यारी।
बिजली गुल, तो रूक जाती है,
इस जीवन की गाड़ी।।

जनसंख्या बढ़ने के कारण,
बोझ बढ़ रहा भारी।
फि्रज, एसी, कम्प्यूटर जी भी,
खाते बिजली सारी।।

बिजली के ये साधन सीमित,
इसको समझो भार्इ।
आज अभी से इन्हें बचाओ,
चाहो अगर भलार्इ।।

बच्चो ! आओ अब हम तुमको,
एक बात बतलाते।
होती नहीं खतम जो बिजली,
ऐसा राज बताते।।

सूरज और हवा ये दोनों,
बिजली खूब बनाते।
कारों से लेकर एसी तक,
सबको खूब चलाते।।

इनसे अगर बनाते बिजली,
नहीं प्रदूषण होता।
धरती हरी-भरी रहती है,
कभी नहीं कुछ खोता।।

सूरज और हवा से लेकर,
बिजली खूब बनाओ।
ये असीम बिजली के साधन,
अब इनको अपनाओ।।

Poem on International Energy Day in Hindi

विश्व ऊर्जा दिवस पर कविता 2018

नष्ट कभी नहीं होती
होती जाती है सिर्फ रूपान्तरित
ऊर्जा!

रूपान्तरित होती है बैटरी की ऊर्जा
बजाते बजाते अश्लील गीत
कुसंस्कारों में!

फरफराते पंखों से मीठी नींद
यों रूपान्तरित होती है विद्युत् ऊर्जा
सपनों में!

सूर्य की ऊर्जा से खौलता है मजदूर का खून
बहता है पसीना
और बन जाती हैं बहुमंजिला इमारतें
रक्त के उमड़ते प्रवाह से
जन्मती है मृग-मरीचिका
और अन्तत: सीमावाद, प्रांतवाद या जातिवाद
के दंगे
और तोड़ता है इस तरह रक्त का प्रवाह
जिस्म के बांध को
और विचार ऊर्जा
चढ़ जाती है दिमाग की ट्यूब्स में
और फिर होता है धमाका
-चेरनोबिल जैसा!
और बैठाया जाता है साईकियाट्रिस्ट्स का आयोग
दुर्घटना के कारणों की जाँच के लिए!
अनंत है अमर है है ऊर्जा
किन्तु क्यों स्वयं ही रूपान्तरित होती रहती है
भद्दे आकारों में
हम ढाल नहीं पाते
इस ऊर्जा से
मोनालिसा की एल मुस्कान
क्यों?

विश्व ऊर्जा दिवस हिंदी कविता

वर्ल्ड एनर्जी डे पर कविता

सोचते हुये,,
मेरा स्वभाव उल्टा हो जाता है
हर रोज

मैं उल्टा चलते हुये,, तुम्हारी देहरी तक
पहुँचता हूँ
रोज
पत्ते जमीन से उठकर डालों से जुड़ने लगते हैं।

रफ्तारें अपनी आवृति में मानो जम जाती हैं,, तब
ठहराव ही ठहराव दौड़ता है,
वक्त की साँसो में

“बाहर”,, बाहर की ओर सुकुड़ने लगता है,, जैसे
“भीतर” फैलता चला जाता है मेरा
भीतर की ओर

इसी भीतर के भीतर है समय,
समय के भीतर हूँ मैं

मेरे भीतर है “ये बाहर”,, जिसके कि भीतर
मैं चले चला जाता हूँ
उल्टे कदम।

तमाम मंदिरों से,, मैं
ईश्वर को “मरा मरा” सुनता चलता हूँ।

कुछ बच्चे खिलौने वापस करके,, अपने घरों में चले जाते हैं
उल्टे कदम
तुम भी अपने स्वर-शब्द वापस ले लेती हो
रोज।

Vishv Urja Divas Poem

मैंने औरों के प्रति बरती ईमानदारी
इसमें अपने प्रति ग़द्दारी छिपी थी |

वे प्रेम जैसा कोई शब्द पुकारते हुए मेरे पीछे दौड़े
मैं यातना नाम का शब्द चिल्लाते हुए उनसे बचकर भागा |

गिड़गिड़ाते हुए लोगों की आँखों में झाँककर देखा जाना चाहिए
वे बचाना चाहते हैं कुछ ऐसा
जो जीवन भर सालता रहेगा |

कहानियाँ बस शुरू होती हैं,ख़त्म कभी नहीं
ख़त्म हम होते हैं |

और मैं कहना बस यह चाहता था कि
मैं उन्हें ज़रूर पहचानता हूँ
लेकिन उनके लिए या अपने लिए क्या हूँ
मैं नहीं जानता |

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