भाई दूज की कहानी – Bhai Dooj Katha – भाई दूज की कथा इन हिंदी – Bhaubij Story in Hindi

Bhai dooj ki katha in hindi

भाई दूज 2021: भाई दूज भारत में मनाए जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है जो की भारत के कोने कोने में मनाया जाता है| भाई दोज एक हिंदू त्यौहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू धर्म के अनुयाई द्वारा मनाया जाता है| यह पर्व भाई और बहन के पावन रिश्ते के महत्व को दर्शाता है| इस दिन के अनुष्ठान और उत्सव ‘रक्षा बंधन’ जैसे लोकप्रिय उत्सव के समान हैं। इस विशेष अवसर पर भाई अपनी बहनों को कई उपहारों देते हैं और बदले में बहनें अपने भाइयों को मिठाई देती हैं|

भाई दूज की कहानी

आइये अब हम आपको bhai dooj vrat katha, bhai dooj katha in hindi, bhai dooj katha story in hindi, भाई दूज की कथा इन हिंदी, bhai dooj katha in hindi pdf, भाई दूज पर कविता, bhai dooj ki lok katha, भैया दूज शायरी, bhai dooj kahani, bhai dooj kahani in hindi, भाई दूज कहानी, भाई दूज कहानी इन हिंदी, bhai dooj ki kahani hindi me, आदि की जानकारी देंगे |

एक बुढ़िया थी| उसके सात बेटे और एक बेटी थी| बेटी की शादी हो चुकी थी| जब भी उसके बेटे की शादी होती, फेरों के समय एक नाग आता और उसके बेटे को डस लेता था| बेटा वही ख़तम हो जाता और बहू विधवा| इस तरह उसके छह बेटे मर गये | सातवे की शादी होनी बाकी थी| इस तरह अपने बेटों के मर जाने के दुख से बुढ़िया रो रो के अंधी हो गयी थी|

भाई दूज आने को हुई तो भाई ने कहा की मैं बहिन से तिलक कराने जाऊँगा| माँ ने कहा ठीक है|

उधर जब बहिन को पता चला की उसका भाई आ रहा है तो वह खुशी से पागल होकर पड़ोसन के गयी और पूछने लगी की जब बहुत प्यारा भाई घर आए तो क्या बनाना चलिए? पड़ोसन उसकी खुशी को देख कर जलभुन गयी और कह दिया कि,” दूध से रसोई लेप, घी में चावल पका| ” बहिन ने एसा ही किया|

उधर भाई जब बहिन के घर जा रहा था तो उसे रास्ते में साँप मिला| साँप उसे डसने को हुआ|

भाई बोला- तुम मुझे क्यू डस रहे हो?

साँप बोला- मैं तुम्हारा काल हूँ| और मुझे तुमको डसना है|

भाई बोला- मेरी बहिन मेरा इंतजार कर रही है| मैं जब तिलक करा के वापस लौटूँगा, तब तुम मुझे डस लेना|

साँप ने कहा- भला आज तक कोई अपनी मौत के लिए लौट के आया है, जो तुम आऔगे|

भाई ने कहा- अगर तुझे यकीन नही है तो तू मेरे झोले में बैठ जा| जब मैं अपनी बहिन के तिलक कर लू तब तू मुझे डस लेना| साँप ने एसा ही किया|

भाई बहिन के घर पहुँच गया| दोनो बड़े खुश हुए|

भाई बोला- बहिन, जल्दी से खाना दे, बड़ी भूख लगी है|

बहिन क्या करे| न तो दूध की रसोई सूखे, न ही घी में चावल पके|

भाई ने पूछा- बहिन इतनी देर क्यूँ लग रही है? तू क्या पका रही है?

तब बहिन ने बताया कि एसे एसे किया है|

भाई बोला- पगली! कहीं घी में भी चावल पके हैं , या दूध से कोई रसोई लीपे है| गोबर से रसोई लीप, दूध में चावल पका|

Bhai dooj katha

Bhai Dooj Katha

बहिन ने एसा ही किया| खाना खा के भाई को बहुत ज़ोर नींद आने लगी| इतने में बहिन के बच्चे आ गये| बोले-मामा मामा हमारे लिए क्या लाए हो?

भाई बोला- में तो कुछ नही लाया|

बच्चो ने वह झोला ले लिया जिसमें साँप था| जेसे ही उसे खोला, उसमे से हीरे का हार निकला|

बहिन ने कहा- भैया तूने बताया नही की तू मेरे लिए इतना सुंदर हार लाए हो|

भाई बोला- बहना तुझे पसंद है तो तू लेले, मुझे हार का क्या करना|

अगले दिन भाई बोला- अब मुझे जाना है, मेरे लिए खाना रख दे| बहिन ने उसके लिए लड्डू बना के एक डब्बे मे रख के दे दिए|

भाई कुछ दूर जाकर, थक कर एक पेड़ के नीचे सो गया| उधर बहिन के जब बच्चों को जब भूख लगी तो माँ से कहा की खाना दे दो|

माँ ने कहा- खाना अभी बनने में देर है| तो बच्चे बोले कि मामा को जो रखा है वही दे दो| तो वह बोली की लड्डू बनाने के लिए बाजरा पीसा था, वही बचा पड़ा है चक्की में, जाकर खा लो| बच्चों ने देखा कि चक्की में तो साँप की हड्डियाँ पड़ी है|

यही बात माँ को आकर बताई तो वह बावड़ी सी हो कर भाई के पीछे भागी| रास्ते भर लोगों से पूछती की किसी ने मेरा गैल बाटोई देखा, किसी ने मेरा बावड़ा सा भाई देखा| तब एक ने बताया की कोई लेटा तो है पेड़ के नीचे, देख ले वही तो नहीं| भागी भागी पेड़ के नीचे पहुची| अपने भाई को नींद से उठाया| भैया भैया कहीं तूने मेरे लड्डू तो नही खाए!!

भाई बोला- ये ले तेरे लड्डू, नहीं खाए मैने| ले दे के लड्डू ही तो दिए थे, उसके भी पीछे पीछे आ गयी|

बहिन बोली- नहीं भाई, तू झूठ बोल रहा है, ज़रूर तूने खाया है| अब तो मैं तेरे साथ चलूंगी|

भाई बोला- तू न मान रही है तो चल फिर|

चलते चलते बहिन को प्यास लगती है, वह भाई को कहती है की मुझे पानी पीना है|

भाई बोला- अब मैं यहाँ तेरे लिए पानी कहाँ से लाउ| देख ! दूर कहीं चील उड़ रहीं हैं,चली जा वहाँ शायद तुझे पानी मिल जाए|

तब बहिन वहाँ गयी, और पानी पी कर जब लौट रही थी तो रास्ते में देखती है कि एक जगह ज़मीन में 6 शिलाए गढ़ी हैं, और एक बिना गढ़े रखी हुई थी| उसने एक बुढ़िया से पूछा कि ये शिलाएँ कैसी हैं|

उस बुढ़िया ने बताया कि- एक बुढ़िया है| उसके सात बेटे थे| 6 बेटे तो शादी के मंडप में ही मर चुके हैं, तो उनके नाम की ये शिलाएँ ज़मीन में गढ़ी हैं, अभी सातवे की शादी होनी बाकी है| जब उसकी शादी होगी तो वह भी मंडप में ही मर जाएगा, तब यह सातवी सिला भी ज़मीन में गड़ जाएगी|

यह सुनकर बहिन समझ गयी ये सिलाएँ किसी और की नही बल्कि उसके भाइयों के नाम की हैं| उसने उस बुढ़िया से अपने सातवे भाई को बचाने का उपाय पूछा| बुढ़िया ने उसे बतला दिया कि वह अपने सातवे भाई को केसे बचा सकती है| सब जान कर वह वहाँ से अपने बॉल खुले कर के पागलों की तरह अपने भाई को गालियाँ देती हुई चली|

Bhai dooj ki katha in hindi

भाई के पास आकर बोलने लगी- तू तो जलेगा, कुटेगा, मरेगा|

भाई उसके एसे व्यवहार को देखकर चोंक गया पर उसे कुछ समझ नही आया| इसी तरह दोनो भाई बहिन माँ के घर पहुँच गये| थोड़े समय के बाद भाई के लिए सगाई आने लगी| उसकी शादी तय हो गयी|

जब भाई को सहरा पहनाने लगे तो वह बोली- इसको क्यू सहरा बँधेगा, सहारा तो मैं पहनूँगी| ये तो जलेगा, मरेगा|

सब लोगों ने परेशान होकर सहरा बहिन को दे दिया| बहिन ने देखा उसमें कलंगी की जगह साँप का बच्चा था| बहिन ने उसे निकाल के फैंक दिया|

अब जब भाई घोड़ी चढ़ने लगा तो बहिन फिर बोली- ये घोड़ी पर क्यू चढ़ेगा, घोड़ी पर तो मैं बैठूँगी, ये तो जलेगा, मरेगा, इसकी लाश को चील कौवे खाएँगे| सब लोग बहुत परेशान | सब ने उसे घोड़ी पर भी चढ़ने दिया|

अब जब बारात चलने को हुई तब बहिन बोली- ये क्यू दरवाजे से निकलेगा, ये तो पीछे के रास्ते से जाएगा, दरवाजे से तो मैं निकलूंगी| जब वह दरवाजे के नीचे से जा रही थी तो दरवाजा अचानक गिरने लगा| बहिन ने एक ईंट उठा कर अपनी चुनरी में रख ली, दरवाजा वही की वही रुक गया| सब लोगों को बड़ा अचंभा हुआ|

रास्ते में एक जगह बारात रुकी तो भाई को पीपल के पेड़ के नीचे खड़ा कर दिया|

बहिन कहने लगी- ये क्यू छाव में खड़ा होगा, ये तो धूप में खड़ा होगा| छाँव में तो मैं खड़ी होगी|

जैसे ही वह पेड़ के नीचे खड़ी हुई, पेड़ गिरने लगा| बहिन ने एक पत्ता तोड़ कर अपनी चुनरी में रख लिया, पेड़ वही की वही रुक गया| अब तो सबको विश्वास हो गया की ये बावली कोई जादू टोना सिख कर आई है, जो बार बार अपने भाई की रक्षा कर रही है| एसे करते करते फेरों का समय आ गया|

जब दुल्हन आई तो उसने दुल्हन के कान में कहा- अब तक तो मैने तेरे पति को बचा लिया, अब तू ही अपने पति को और साथ ही अपने मरे हुए जेठों को बचा सकती है|

फेरों के समय एक नाग आया, वो जैसे ही दूल्हे को डसने को हुआ , दुल्हन ने उसे एक लोटे में भर के उपर से प्लेट से बंद कर दिया| थोड़ी देर बाद नागिन लहर लहर करती आई|

दुल्हन से बोली- तू मेरा पति छोड़|

दुल्हन बोली- पहले तू मेरा पति छोड़|

नागिन ने कहा- ठीक है मैने तेरा पति छोड़ा|

दुल्हन- एसे नहीं, पहले तीन बार बोल|

नागिन ने 3 बार बोला, फिर बोली की अब मेरे पति को छोड़|

दुल्हन बोली- एक मेरे पति से क्या होगा, हसने बोलने क लिए जेठ भी तो होना चाहिए, एक जेठ भी छोड़|

नागिन ने जेठ के भी प्राण दे दिए|

फिर दुल्हन ने कहा- एक जेठ से लड़ाई हो गयी तो एक और जेठ छोड़| वो विदेश चला गया तो तीसरा जेठ भी छोड़|

इस तरह एक एक करके दुल्हन ने अपने 6 जेठ जीवित करा लिए|

उधर रो रो के बुढ़िया का बुरा हाल था| कि अब तो मेरा सातवा बेटा भी बाकी बेटों की तरह मर जाएगा| गाँव वालों ने उसे बताया कि उसके सात बेटा और बहुए आ रही है

तो बुढ़िया बोली- गर यह बात सच हो तो मेरी आँखो की रोशनी वापस आ जाए और मेरे सीने से दूध की धार बहने लगे| एसा ही हुआ| अपने सारे बहू बेटों को देख कर वह बहुत खुश हुई,

बोली- यह सब तो मेरी बावली का किया है| कहाँ है मेरी बेटी?

सब बहिन को ढूँढने लगे| देखा तो वह भूसे की कोठरी में सो रही थी| जब उसे पता चला कि उसका भाई सही सलामत है तो वह अपने घर को चली| उसके पीछे पीछे सारी लक्ष्मी भी जाने लगी|

बुढ़िया ने कहा- बेटी, पीछे मूड के देख! तू सारी लक्ष्मी ले जाएगी तो तेरे भाई भाभी क्या खाएँगे|

तब बहिन ने पीछे मूड के देखा और कहा- जो माँ ने अपने हाथों से दिया वह मेरे साथ चल, बाद बाकी का भाई भाभी के पास रह|

इस तरह एक बहिन ने अपने भाई की रक्षा की|

About the author

admin