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नवरात्रि पर निबंध 2023 – Short Navratri Essay in Hindi, Marathi & English Pdf Download – Navaratri par Nibandh

नवरात्रि पर निबंध

नवरात्रि में 9 दिनों तक माता(शक्ति) के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं | इन दिनों लोग माता की पूजा-अर्चना करते हैं और माता के भजन गाते हैं | नवरात्री के अंतिम दिन पर लोग 9 कन्यांओं को माता के 9 रूप मानकर पूजते हैं और भोजन भी कराते हैं और इस दिन माता के लिए हलवा-चने का प्रसाद भी बनाते हैं | नवरात्री को परम शक्ति की साधना का पर्व भी कहा जाता है | श्रद्धा और विशवास के साथ लोग माता के इस पर्व पर उनका पूजन करते हैं | इस जानकारी को आप इन हिंदी, मराठी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के नवरात्रि competition, निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध खासकर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

Navratri Nibandh in Hindi

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Navratri Nibandh in Hindi

भारतीय हिंदू समाज में जितने पर्व और उत्सव मनाए जाते हैं, उनमें नवरात्र का विशिष्ट स्थान है । नवरात्र शक्ति की उपासना का पर्व है । शक्ति ही विश्व का सृजन करती है, शक्ति ही उसका संचालन करती है, शक्ति ही उसका संहार करती है ।

इस प्रकार शक्ति ही सबकुछ है । शक्ति ब्रह्मा की सक्रिय अवस्था है । ब्रह्मा की क्रिया का नाम ही शक्ति है । जिस प्रकार उष्णता अग्नि से सर्वथा अभिन्न है उसी प्रकार शक्ति से ब्रह्मा अभिन्न है । माया, महामाया आदि शक्ति कै पर्यायवाची हैं । महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली शक्ति के तीन व्यक्त स्वरूप हैं ।

नवरात्र पर्व पर शक्ति के इन्हीं व्यक्त स्वरूपों की उपासना की जाती है । हमारे देश में नवरात्र-पर्व वर्ष में दो वार मनाया जाता है । नवरात्र का पहला पर्व चैत्र मास में मनाया जाता है । इसका आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है । हिंदू जन अपने-अपने घरों में कलश स्थापना कर दुर्गा-पाठ या तो स्वयं करते हैं या अपने कुल पुरोहित से करवाते हैं ।

वे आठ दिन फलाहार करते है । आठवें दिन दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाता है । दुर्गा-पाठ के पश्चात् हवन आदि होना है । नौवें दिन रामनवमी मनाई जाती है । इसी तिथि पर भगवान् राम ने माता कौशल्या के गर्भ से जन्म लिया था । इस दिन भी लोग व्रत रखकर फलाहार करते हैं ।

नवरात्र का दूसरा पर्व आश्विन मास में मनाया जाता है । इसका आरंभ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है । नवमी को दुर्गा-पाठ तथा हवन के पश्चात् इसका समापन होता है । यह उत्तर भारत में ही नहीं, गुजरात, बंगाल, महाराष्ट्र आदि राज्यों में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है । आश्विन शरद् ऋतु का महीना है ।

शरद् ऋतु में प्रकृति की छटा दर्शनीय होती है । शक्ति की उपासना के लिए यह सर्वोत्तम समय होता है । इसलिए लोग शरद् की स्वच्छ चाँदनी में शक्तिवर्धक खेलों का आयोजन करते हैं । गुजरात में गरबा नृत्य का आयोजन नवरात्र पर्व का मुख्य आकर्षण है ।

रात होने पर चारों ओर से छेदवाले मिट्‌टी के मटके में घी का दीपक जला दिया जाता है और फिर गाँव के मुख्य चौक में उस मटके को ऊँचे स्थान पर रखकर उसके चारों ओर स्त्री-पुरुष एक साथ अथवा अलग-अलग नृत्य करते हैं; देवियों की स्तुति करते हैं और तालियाँ बजा-बजाकर अपना हर्ष-उल्लास प्रकट करते हैं । वे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और फलाहार करते हैं ।

इन दिनों आवागढ़ पहाड़ पर स्थित कालिका माता तथा आबू पहाड़ पर स्थित अंबाजी माता के मंदिरों में उपासकों की विशेष चहल-पहल रहती है । महाराष्ट्र में भी यह पर्व घर-घर बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है; परंतु बंगाल में यह पर्व जितनी धूमधाम से मनाया जाता है उतना भारत के अन्य किसी भी राज्य में नहीं मनाया जाता ।

बंगाली शक्ति के उपासक हैं, इसलिए आश्विन मास का नवरात्र उनका मुख्य पर्व है । यह दुर्गा-पूजा के नाम से प्रसिद्ध है । बंगाली लोग दशभुजी दुर्गा की पूजा करते हैं । दशभुजी दुर्गा की छोटी-बड़ी मूर्तियाँ प्रत्येक घर में ही नहीं, सार्वजनिक स्थानों में भी सजाई जाती हैं । माँ काली की स्तुति से बंगाल के गाँव और नगर गूँज उठते हैं ।

अनेक प्रकार के मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित होते हैं और भजन-कीर्तन तथा विभिन्न प्रकार के वाद्यों के मधुर स्वर से सारा बंगाल निनादित हो उठता है । दिन-रात दर्शकों और उपासकों की भीड़ लगी रहती है । नए-नए रंग-बिरंगे वस्त्रों में बंगाली स्त्री-पुरुष तथा बाल-वृद्ध प्रफुल्लित दिखाई देते हैं । वे एक-दूसरे से मिलकर अपनी शुभकामनाएं प्रकट करते हैं ।

कोलकाता में स्थित महाकाली मंदिर की मनावट विशेष दर्शनीय होती है । श्रद्धालु बड़ी दूर-दूर से आकर महाकाली का दर्शन करते हैं । आठ दिनों नक प्रत्येक बंगाली दुर्गा-पूजा के कार्यक्रमों में इतना तन्मय रहता है कि उसे बाहरी दुनिया की कुछ खबर ही नहीं रहती । अष्टमी के दिन हवन होता है । दशमी के दिन दुर्गाजी की बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ बाजे-गाजे के साथ समारोहपूर्वक निकाली जाती हैं और पवित्र जल में उनका विसर्जन किया जाता है ।

नवरात्र का पर्व हमें सिखाता है- ‘प्रयत्न करो, पुरुषार्थ करो, परिश्रम करो, तप करो और तुम्हारे भीतर शक्ति का जो भंडार है, उसे खोल दो । तुम्हारे अंदर एक ऐसी शक्ति मौजूद है कि तुम उसकी सहायता से अपनी इच्छानुसार सबकुछ कर सकते हो ।

Essay on Navratri in Hindi

भारत में नवरात्रि का त्यौहार 9 दिनों तक बहुत ही बड़े तौर पर मनाया जाता है। नवरात्रि त्यौहार के आख़िरी दिन विजयदशमी या दशहरा का उत्सव मनाया जाता है। रामायण के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। इस कारण सभी मोहल्लों और बड़े मैदानों में लोग रावण के बड़े पुतलों को जला कर (रावण दहन) करके खुशियों के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।

नवरात्रि त्यौहार के दौरान पूरे पारंपरिक तथा रीति रिवाज के साथ देवी दुर्गा मां के 9 अवतारों की पूजा की जाती है। माता दुर्गा के 9 रूपों के नाम हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।

नवरात्रि का त्यौहार प्रतिवर्ष 5 बार मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने में नवरात्रि त्यौहार को ‘वसंत नवरात्रि’ के रुप में मनाया जाता है जो आधुनिक युग के कैलेंडर के अनुसार मार्च के महीने में पड़ता है। वसंत नवरात्रि के नौवें दिन को राम नवमी के रुप में मनाया जाता है।

उसी प्रकार जून जुलाई के महीने में ‘गुप्त नवरात्रि’ मनाया जाता है। इस दिन को ‘गायत्री नवरात्रि’ के रूप में भी जाना जाता है। अक्टूबर और नवंबर के महीने में ‘शरद नवरात्रि’ मनाया जाता है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन महीने के रूप में जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के पौष महीने में ‘पौष नवरात्रि’ मनाया जाता है जो हो दिसंबर और जनवरी महीने में पड़ता है। अंत में जनवरी और फरवरी महीने के दौरान माघ महीने में माघ नवरात्रि मनाया जाता है।

गुजरात के बड़ोदरा में नवरात्री के उत्सव सबसे भव्य और सुन्दर रूप देखने को मिलता है। इसमें त्यौहार के दौरान प्रतिदिन 4-5लाख लोग गरबा नाचने के लिए एक ही स्थान पर इक्कठा होते हैं। गरबा सिर्फ नृत्य के रूप में नहीं इस दिन प्रतियोगिता के रूप में यहाँ किया जाता है जहा बेहतर गरबा करने वालों को पुरस्कृत किया जाता है। ‘माँ शक्ति नवरात्री महोत्सव’ को लिम्का बुक्स ऑफ़ रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है सबसे बड़े गरबा नृत्य एक साथ होने के कारण।

नवरात्रि त्यौहार के दौरान भक्त दिन में एक बार भोजन करके या कुछ लोग फल या मात्र पानी पीकर उपवास करते हैं या व्रत रखते हैं। भारत में अलग अलग नवरात्रि के कई रंग और रूप देखने को मिलते हैं। नवरात्रि पर कुछ जगह में है दशहरा पर्व का शुरुआत भी माना जाता है।

उत्तर भारत में कई जगहों पर नवरात्रि के नौवें दिन ‘कन्यापूजन’ भी नवरात्रि के दौरान लोग करते हैं। इस पूजा में 9 छोटी लड़कियों को देवी मां के नौ रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और साथ ही उन्हें हलवा, पूरी, मिठाईयां, खाने को दिया जाता है।

उसी प्रकार भारत के पूर्वी राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल में जगह-जगह दुर्गा मां के पंडाल बनाए जाते हैं जहां भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। वहां पर माता दुर्गा की पूजा करते हैं और उनसे सुख शांति की कामना करते हैं। कई जगहों पर पारंपरिक नृत्य और गीत के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जहां हजारों की तादाद में लोग पहुंचते हैं। दसवें दिन पश्चिम बंगाल के लोग मां दुर्गा की मिट्टी के मूर्तियों को पानी में विसर्जन कर देते हैं।

भारत के पश्चिमी राज्यों मैं नवरात्रि का एक अलग ही रंग दिखता है जहां शाम के समय लोग दांडिया खेलते हैं। अगर हम आसान शब्दों में नवरात्री का महान पर्व का उल्लेख करें तो यह एक ऐसा त्यौहार है जो भारत के हर एक कोने में मनाया जाने वाला एक मुख्य त्यौहार है।

Essay on Navratri in English

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India is a land of cultures and diversity. A land where people of different caste and culture unite together and celebrate it with joy and happiness. Several festivals are celebrated among several societies in India. And what is unique about those festivals? Well, in India, especially in the Hindu culture there are different festivals occurring in different part of months which creates more opportunity for holidays in India to be celebrated more vibrantly.

Navratri is also known as Durga Puja in West Bengal. People over there especially women play with colors. Navratri is one of those festivals. It is a nine day festival in India and on the tenth day, the concluding ceremony is done. During these nine days, we worship Goddess Durga and her other idols. From the very first day, all the idols of goddess Durga are being designed and decorated in such a way that they look immensely beautiful and it absolutely seems like they have come to life again.

The actual purpose of celebrating Navratri is to precede the belief of the good ending or overcoming the bad or good over evil. On all the 9 days different worshiping books are being read and the temples and houses are decorated with flowers and lights and prayers are being enchanted on the loud speakers all the time. A proper dress-up with accessories is being done for the idol. Each day is a day for a different idol. Every morning and evening devoted to prayers about the goddess. Different tents are being created those days to place the idol so that people could come and worship. Many families go out in the evening to attend the prayers happening in those tents where the idol is being placed.

In some part of the country, some devotees also are on a fast for those nine days to impress the goddess with the devotion they pay and for the love and affection, they have for the goddess and others feast. And during this period the food which is prepared for the devotees or the people on fast is totally different and they are cooked without salt in it. During the period of these nine days people don’t eat non-veg food as according to them this may get the goddess angry but for some, this is just not in their rituals and some people slaughter goats as an offering to the goddess

Navratri is a festival which is mostly celebrated in the northeast and eastern part of India. Kids in schools have a holiday on the 7th, 8th and the 9th day. As those are the last days of the festival. The tenth day is also known as the Vijayadashami or Dussehra. On this day all the idols are being immersed in the water bodies. Different programs are being done on the tenth day such as Raam-Leela. In this event Raam-Leela, artists perform different stories and chapters of Lord Rama and entertain and acknowledge people. People take time out especially for the event, as they are very entertaining as well as knowledgeable about Hindu culture

People in Bihar and other rural areas take this festival way too seriously and make it as a grand festival. Navratri generally comes in the autumn season. In Gujarat, people celebrate it playing Dandiya and Garba amongst themselves making a circle and dancing. During those nine days, it feels like someone from our family has come to meet us and after the tenth day, an absence is being felt when the idols are being immersed.

Navratri is one of the most vibrant and long festivals in Hindu and Indian culture. People all around the world come to attend Navratri in India. If you still haven’t experienced Navratri in India, you must. You won’t regret

Short Essay on Navratri in Hindi

नवरात्रि त्यौहार के दौरान भक्त दिन में एक बार भोजन करके या कुछ लोग फल या मात्र पानी पीकर उपवास करते हैं या व्रत रखते हैं। भारत में अलग अलग नवरात्रि के कई रंग और रूप देखने को मिलते हैं। नवरात्रि पर कुछ जगह में है दशहरा पर्व का शुरुआत भी माना जाता है।

उत्तर भारत में कई जगहों पर नवरात्रि के नौवें दिन ‘कन्यापूजन’ भी नवरात्रि के दौरान लोग करते हैं। इस पूजा में 9 छोटी लड़कियों को देवी मां के नौ रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और साथ ही उन्हें हलवा, पूरी, मिठाईयां, खाने को दिया जाता है। उसी प्रकार भारत के पूर्वी राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल में जगह-जगह दुर्गा मां के पंडाल बनाए जाते हैं जहां भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। वहां पर माता दुर्गा की पूजा करते हैं और उनसे सुख शांति की कामना करते हैं। कई जगहों पर पारंपरिक नृत्य और गीत के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जहां हजारों की तादाद में लोग पहुंचते हैं। दसवें दिन पश्चिम बंगाल के लोग मां दुर्गा की मिट्टी के मूर्तियों को पानी में विसर्जन कर देते हैं।

भारत के पश्चिमी राज्यों मैं नवरात्रि का एक अलग ही रंग दिखता है जहां शाम के समय लोग दांडिया खेलते हैं। अगर हम आसान शब्दों में नवरात्री का महान पर्व का उल्लेख करें तो यह एक ऐसा त्यौहार है जो भारत के हर एक कोने में मनाया जाता है।

इस त्यौहार का अपना इतिहास और कथाएं है । एक कथा में राम जी का वर्णन है जिसमे यह कहा जाता है की लंका पे विजय प्राप्त करने से पहले राम जी ने समुन्दर तट पे नौ दिन इसकी पूजा की और दसवें दिन वो युद्ध के लिए प्रस्थान कर गए थे और विजय प्राप्त कर ली थी। दूसरी कथा में माता रानी का एक महिषासुर का वध करने का वर्णन है।

Navratri Festival Essay

हमारे देश में नवरात्रि पूजा अपना एक खास स्थान रखता है. यह साल में 4 बार पौष, चैत्र, आषाढ और आश्विन माह में आता है. यह एक हिन्दू पर्व है जो संस्कृत शब्द से मिलकर बना है. नवरात्र को हिंदी में नौ रातें कहा जाता है. नवरात्री के नौ दिनों में देवी शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है और इसके अगले दिन दशहरा आता है |

नवरात्रि के नौं रातों में 3 देवियों महालक्ष्मी, महासरस्वती और दुर्गा के नौं रूपों की पूजा की जाती हैं. जिसे नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता हैं. दुर्गा का मतलब है – जीवन के दुःख को दूर करने वाला. नवरात्रि पुरे भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता हैं |

शक्ति और उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक नौं तिथि नौं नक्षत्र नौं शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जाता हैं. सबसे पहले श्री राम जी ने नवरात्रि पूजा समुद्र तट पर की थी और उसके बाद उन्होंने 10वें दिन लंका पर चढ़ाई शुरू की थी. तब से नवरात्री असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाने लगा |

माता दुर्गा के नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं, नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती हैं. ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली होती है. नवदुर्गा और दस महाविधाओं में काली माता ही प्रथम हैं. भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दश्महविदिया अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं |

देवता, मानव सभी इनकी पूजा कृपा के बिना पंगु हैं इसलिये आगम-निगम दोनों में इसकी उपासना समान रूप से वर्णित हैं. सभी देव, राक्षस, मनुष्य और गंधर्व इनकी कृपा प्रसाद के लिये लालायित रहते हैं |

भारत में नवरात्रि अनेक राज्यों में अलग-अलग ढंगों से मनाई जाती हैं. गुजरात में इस उत्सव को बड़े समारोह नवरात्रि डांडिया और गरबा के रूपों में मनाई जाती हैं. वहां पूरी रात कार्यक्रम चलता हैं. आरती से पहले देवी के सम्मान में गरबा और आरती के बाद डांडिया समारोह किया जाता हैं बंगाल में दुर्गा पूजा की खूब धूम रहती हैं और साउथ इंडिया में राजसी कवाटर को पुरे महीने में प्रकाशित करके मनाया जाता हैं |

नवरात्री के पीछे अलग-अलग कथाएं और कहानियां भी हैं. लंका युद्ध में श्री राम ने रावण का वध के लिये व्हंदी देवी का पूजन भी किया था और देवी चंडी को खुश भी किया था. चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ 108 नीलकमल का इंतजाम किया जाता हैं. वही रावण ने भी अमरता के लोभ में जीत के लिये चंडी पाठ शुरू किया था यह बात इन्द्र देव ने पवन देव के माध्यम से श्रीराम के पास पहुंचाई और उधर नीलकमल रावण के पूजा सामग्री से गायब हो गया था |

नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और राम का संकल्प टूटता नजर आने लगा था. भय सिर्फ इस बात का था कि देवी माँ रुष्ठ ना हो जाये, दुर्लभ नीलकमल का इंतजाम तत्काल नहीं हो पाया था. तन देवी ने प्रकट होकर हाथ पकड़कर कहा राम मै प्रसन्न हु और देवी ने राम को विजयश्री का आर्शीवाद दिया था. बाद में रावण का सर्वनाश हुआ और हनुमानजी महाराज ने श्लोक में ” ह की जगह ” क करवाकर रावण के हवन की दिशा को बदल दिया था |

आप सभी को नवरात्री की शुभकामनायें. इस पावन त्यौहार को पूरी निष्ठा से निभाये, खुशियाँ ले और खुशियाँ बांटे. हर त्यौहार अपना यही मकसद होता है की वह आपको सुख, समृधि और शांति दे. हमारी मनोकामना है की आपको यह सबकुछ प्राप्त हो |

Navratri Essay in marathi

नवरात्र कोणाला आवडत नाही, नऊ दिवस खूप धमाल असते. पण आजकाल नवरात्र म्हणजे एक पार्टी नाईट झाली आहे. नव्या पिढीला नवरात्र का साजरी करतात, याचे महत्व, माहात्म्य काय आहे याची तसूभरही कप्लना नाही. आम्ही या लेखामध्ये नवरात्री बद्दल थोडी धार्मिक माहिती देण्याचा प्रयत्न केला आहे. आशा करतो कि आमचा प्रयत्न तुम्हाला आवडेल. इथे दिलेली माहिती तुम्ही नवरात्री विषयावरच्या निबंध, भाषणासाठी सुद्धा करू शकता

नवरात्र / नवरात्री काय आहे, कधी आहे?

आपल्या भारतीय संस्कृतीमध्ये अनेक सण उत्सव मोठया उत्साहात आनंदात साजरे केले जातात. त्यापैकीच नवरात्र हा देवीचा उत्सव भारतात सर्वत्र मोठ्या उत्साहात साजरा होतो. गणपती बाप्पांच्या विसर्जनानंतर वेध लागतात ते नवरात्रीचे. त्यावेळी मधील पितृपंधरवडा कधी संपतो ते कळतच नाही. अश्विन महिन्याच्या पहिल्याच दिवशी नवरात्र उत्सवाला सुरुवात होते. या नवरात्र उत्सवाला शारदीय नवरात्र असेही म्हणतात. नवरात्रीच्या पहिल्याच दिवशी घटस्थापना केली जाते. तसेच सार्वजनिक मंडळामध्ये देवीच्या मूर्तीची स्थापना करतात. यावर्षी म्हणजेच 2023 मध्ये येणारा हा नवरात्र उत्सव १० ऑक्टोबर पासून चालू होणार आहे आणि १८ ऑक्टोबर रोजी दसरा आहे.

नवरात्रीचे नऊ दिवस देवीची मनोभावे पूजा, आरती तसेच सेवा केली जाते. घटस्थापना करताना देवीसमोर घट उभारला जातो. यामध्ये एका टोपलीमध्ये काळी माती घेऊन त्या मातीमध्ये नऊ धान्य पेरली जातात. त्या मातीमध्ये एक पाण्याने भरलेले मडके ठेवले जाते. त्या मडक्यावर विड्याची पाने ठेऊन त्यावर नारळ ठेवला जातो. घटाच्यावर पाच फळे बांधली जातात. नवरात्रीच्या पहिल्या दिवशी घटाला विड्याच्या पानांची माळ घालतात. त्यानंतर घटाला तिळाच्या फुलांची किंवा झेंडूच्या फुलांची माळ घालतात.

नवरात्रातील नऊ दिवस देवीसमोर अखंड दिवा तेवत ठेवला जातो. सर्वजण मनोभावे देवीची पूजा आरती करतात. बरेच लोक नऊ दिवस उपवास करून अनवाणी राहून हे देवीचे व्रत पूर्ण करतात. तर काही जण उठता-बसता म्हणजेच घट बसण्याच्या दिवशी आणि दसऱ्याच्या दिवशी उपवास करतात. दसऱ्याच्या आदल्या दिवशी देवीसमोर होमहवन केले जाते. काही सार्वजनिक मंडळे भजन, कीर्तनाचे सुद्धा आयोजन यावेळी करतात. तसेच नवरात्रीच्या सातव्या दिवशी घटाला कडाकण्या बांधतात. या कडकण्यांसोबतच घटाला पिठाची वेणी, फणी, कंगवा, विऱोध्या, मंगळसूत्र, जोडाव्या असा स्त्रीचा संपूर्ण साज बांधला जातो.

नवरात्रीच्या पाचव्या दिवसाला ललिता पंचमी, आठव्या दिवसाला महाअष्टमी, तर नवव्या दिवसाला महानवमी असे म्हणतात. नवरात्रीचे नऊ दिवस देवीला वेगवेगळ्या रंगाच्या साड्या नेसवल्या जातात. देवीप्रमाणेच सर्व स्त्रियाही नऊ दिवस वेगवेगळ्या रंगाच्या साड्या परिधान करून देवीची मनोभावे पूजा करतात. दरवर्षी हे नऊ दिवसाचे नऊ रंग धर्मशास्त्रज्ञांनी ठरविलेले असतात. त्यानुसार देवीला त्या त्या रंगाच्या साड्या नेसवल्या जातात.

देवीने नऊ दिवस भीषण युद्ध करून अनेक दैत्यांचा वध केला तसेच महिषासुराचा वध केला, म्हणूनच तर देवीला महिषासुरमर्दिनी असे सुद्धा म्हटले जाते. नवरात्रीमध्ये जागोजागी देवीसाठी मंडप उभे केले जातात. सजावट केली जाते. तसेच या सर्व मंडळांतर्फे विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमांचेही आयोजन केले जाते. गरबा, दांडिया यांचे आयोजन केले जाते. त्यामध्ये लहान मुली, स्त्रिया आणि पुरुषही सहभागी होताना दिसतात. अशाप्रकारे सगळीकडेच नऊ दिवस उत्साहाचे वातावरण असते.

नवरात्रीच्या नऊ दिवसांमध्ये मंडळांमध्ये, काही सार्वजनिक ठिकाणी तसेच सोसायटीमध्ये भोंडल्याचे आयोजन केले जाते. एका पाटावर हत्ती काढून तो मधोमध ठेवतात आणि त्याच्याभोवती फेर धरून सर्वजण भोंडल्याची गाणी म्हणतात. सर्वजण आपापल्या घरून भोंडल्याची खिरापत आणतात. आणि भोंडला झाल्यानंतर ती एकमेकांना ओळखायला सांगतात. त्यानंतर सर्वजण मिळून खिरापत खातात.

नवरात्रीचे नऊ दिवस सर्व देवीच्या मंदिरांमध्ये गर्दी पाहायला मिळते. सर्व महिला पहाटे लवकर उठून जवळच्या देवीच्या मंदिरामध्ये जातात. बऱ्याच ठिकाणी मंदिरांमध्ये महिलांच्या हस्ते महाआरतीचे आयोजन केले जाते.काही ठिकाणी तर देवीच्या मंदिराजवळ नऊ दिवस यात्रा असते. त्यामुळे मोठ्यांसोबतच लहान मुलांचीही खूप गर्दी पाहायला मिळते.

जोगवा

देवीचे भक्त याकाळात जोगवा मागतात. किमान पाच घरी जाऊन मूठभर तांदूळ आणि पीठ मागणे यालाच जोगवा मागणे म्हणतात. मंगळवार, शुक्रवार, पौर्णिमा आणि नवरात्रामध्ये नऊ दिवस हा जोगवा मागितला जातो. देवीचे भक्त गळ्यात कवड्याची माळ घालून देवीचा जोगवा मागण्यासाठी जातात.

विजयादशमी अश्विन शुद्ध दशमीलाच ‘विजयादशमी’ असे म्हणतात. नवरात्रीच्या शेवटच्या दिवशी येते ती विजयादशमी. विजयादशमीलाच दसरा असेही म्हणतात. दसरा हा साडेतीन मुहूर्तांपैकी एक मुहूर्त आहे. दसऱ्याला पौराणिक व ऐतिहासिक महत्वही आहे. दसऱ्याला नवरात्रीच्या समाप्तीचा दिवस असेही म्हणतात. दसरा हा सण विजयाचे प्रतीक आहे म्हणूनच याला विजयदशमी असे म्हणतात. रामाने नऊ दिवस उपवास करून आदिमायेची म्हणजेच देवीची उपासना केली आणि या देवीच्याच कृपेने रामाने रावणाचा वध केला. म्हणूनच या सणाला ‘विजयादशमी’ असे म्हटले जाते.

या दिवशी भारतात बऱ्याच ठिकाणी रावणाच्या पुतळ्याचे दहन केले जाते आणि आनंदोत्सव साजरा केला जातो. या दिवशी शुभमुहूर्तावर नवीन कामे हाती घेतली जातात. यादिवशी पाटीवर सरस्वती काढून तिची पूजा केली जाते. सरस्वतीला गूळ खोबऱ्याचा नैवेद्य दाखविला जातो. यादिवशी आपट्याच्या पानांची पूजा केली जाते. मित्र मंडळींना, गुरूंना, मोठ्या माणसांना आपट्याची पाने देऊन यादिवशी आशीर्वाद घेतात. तसेच यादिवशी व्यापारी, कामगार आपल्या शस्त्रात्रांची पूजा करतात. अशाप्रकारे हा नवरात्रीचा सण भारतात सर्वत्र मोठ्या उत्साहात साजरा केला जातो.

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