Dahej par Shayari: जैसा की हम सब जानते ही है की पुराने समय में महिलाओ पर बहुत से अत्याचार होते थे| कुछ ऐसी कुरित्या थी जिसके चलते महिलाओ को बहुत से अत्याचारों का सामना करना पड़ता था| आज के समय में भी कुछ ऐसी कुरीति या प्रथा है जिसके चलते महिलाओ का हक़ छिन सा जाता है| दहेज प्रथा इन्ही प्रथा में से एक है जिसके चलते स्त्री शक्ति का हमारा नारा धरा का धरा रह जाता है| आज के इस पोस्ट में हम आपको दहेज प्रथा पर हिंदी शायरिया, दहेज प्रथा हिंदी शेर, आदि की जानकारी देंगे|
दहेज प्रथा शायरी
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जबसे पैदा होती है बेटी, तो एक ही बात होती है जमाने में;
एक बाप लग जाता है तब से दिन रात कमाने में।
कि जैसे भी हो पर दहेज तो कैसे न कैसे जुटाना है;
और अपनी प्यारी बिटिया को उस दहेज से विदा कराना है।
तब बड़ा मुश्किल हो जाता है खुद को संभालना;
और दहेज के असहनीय दर्द से खुद को निकालना।
जब लड़के का बाप कहता है लड़की के बाप से;
कि कुछ शादी के बारे में बातें हो जायें आप से ।
Dahej Pratha Par Shayari
इस समाज का यह झूठा, वि”वास बदलना ही होगा
हम सब को आगे आकर, इतिहास बदलना ही होगा
कब तक अदभुत यह कुरीती, मानवता को तडपाएगी
कब तक नारी यूं दहेज की बली चढ़ाई जाएगी
Dahej Pratha Shayari
स्वार्थों के खूनी दलदल हैं, नैतिकता भी लाशा बनी
पीड़ित शोषित और सिसकती, नारी टूटी स्वास बनी
धन लोलुपता सुरसा मुख सी, बढती ही जाती प्रतिक्षण
ये सचमुच ही है समाज के, आदर्षों का चीरहरण
खुलेआम लेना दहेज, ये चलन हुआ व्यापारों सा
अब विवाह का पावन मंडप, लगता है बाजारों सा
Dahej Pratha Shayari In Hindi
लडकों पर बरसी हैं खुशियां, लडकी पर क्यूं हुआ विलाप
प्रेम और करुणा की मूरत, बन बैठी देखो अभिशाप
कब तक उसके अरमानों की, चिता जलाई जाएगी
कब तक नारी यूं दहेज की, बली चढाई जाएगी
इस दहेज के दावनल में, झुलसे हैं कितने श्रृंगार
कितनी लाशें दफन हुई हैं, कितने उजड़े हैं संसार
दहेज प्रथा पर शायरी
एक रीति यदि हो कुरीति, तो सब फैलें फिर अपने आप
इस दहेज से ही जन्मा है, आज भ्रूण हत्या सा पाप
वो घर आंगन को महकाती, रचती सपनों का संसार
पर निष्ठुर समाज नें उसको, दिया जन्म से पहले मार
कोई पूछो उनसे जाकर, कैसे वंश चलाएंगे
जब लडकी ही नहीं रहेंगी, बहू कहां से लाएंगे
Dowry System Shayari
कब तक यूं खूनी दलदल में, धंसा रहेगा मनुज समाज
कब तक औरत को रौंदेगा, ये दहेज का कुटिल रिवाज
कब तक इस समाज में अंधी, रीत चलाई जाएगी
कब तक नारी यूं दहेज की, बली चढाई जाएगी
नारी पूजा, नारी करुणा, नारी ममता, नारी ज्ञान
नारी आदर्शों का बंधन, नारी रूप रंग रस खान
Dowry Shayari In Hindi
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नारी ही आभा समाज की, नारी ही युग का अभिमान
वर्षों से वर्णित ग्रंथों में, नारी की महिमा का गान
नारी ने ही प्यार लुटाया, दिया सभी को नूतन ज्ञान
लेकिन इस दानव दहेज ने, छीना नारी का सम्मान
उसके मीठे सपनों पर ही, हर पल हुआ तुषारापात
आदर्षों पर चलती अबला, झेले कदम कदम आघात
दहेज एक अभिशाप पर शायरी
चीखें उठती उठकर घुटती, उनका क्रंदन होता मौन
मूक बना है मानव, नारी का अस्तित्व बचाए कौन
कब तक वो यूं अबला बनकर, चीखेगी चिल्लाएगी
कब तक नारी यूं दहेज की, बली चढ़ाई जाएगी
इस समाज में अब लडकी का, बोझ हुआ देखो जीवन
नहीं जन्म पर खुशी मनाते, होता नहीं मृत्यु का गम