आज के समय में हिन्दू समाज में कई ऐसे त्यौहार हैं जिससे उनकी सच्ची आस्था और विशवास जुड़ा हुआ हैं| हर त्योहारों में अलग अलग देवी देवता की पूजा की जाती हैं| हर पूजा का अपना अलग अलग महत्व हैं| इन्ही त्योहारों में से एक गुड़ी पड़वा का त्योहार होता हैं जिसका हिन्दू धर्म में बहुत महत्व हैं| इस दिन को हिन्दू धर्म के नए वर्ष की शुरुआत के दिन के रूप में मनाया जाता हैं| आज के इस आर्टिकल में हम आपको गुड़ी पड़वा व्रत, गुड़ी पड़वा महत्व, गुड़ी पड़वा पूजा विधि इन हिंदी, इंग्लिश, मराठी, तमिल, तेलगु, गुजरती, आदि की जानकारी देंगे|
2022 Gudi Padwa Festival Date & Time in India
गुड़ी पड़वा का यह पावन त्यौहार हर साल चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता हैं| सभी महीनो में चैत्र ही एक ऐसा महीना हैं जिसमे अधिक पावन व्रत और त्यौहार आते हैं| इस त्यौहार या पूजा को पूरे भारत के मारथी समाज में अथवा गोवा में ज्यादा मनाया जाता हैं| इस साल 2022 में यह पर्व 02 अप्रैल 2022 को है अथवा इस पूजा को पोराणिक समय से मनाया जाता हैं| इस दिन को हिन्दू समाज के नव वर्ष के रूप में मनाया जाता हैं| कहा जाता हैं की इस दिन भगवान् ब्रह्मा ने सृष्टि या इस दुनिया का निर्माण किया था| ब्रह्मा ने इसी दिन देवी देवता, नर और नारी, मनुष्य और राक्षस आदि जीव जंतु का निर्माण किया था|
गुडी पाडवा 2022
गुड़ी शब्द का मतलब विजय पताका हैं| इस त्यौहार को दो अलग दिनों में मनाया जाता हैं| इस दिन पर मराठी समाज पूजा करती हैं तब उसके अगले दिन बाकी धर्म के लोग इस त्यौहार को मनाते हैं| इस पावन त्योहार से बहुत सी प्राचिनिक और पोराणिक कथा जुडी हैं| कुछ लोगो का यह भी कहना हैं की इस दिन पर भगवान् श्री राम ने रावण का वध करा था और वापस अयोध्या आये थे| इस दिन को चैत्र नवरात्रि के नू दिनों में से एक दिन में मनाया जाता हैं|
Gudi Padwa Information In Marathi
![गुड़ी पड़वा की जानकारी](https://hindijaankaari.in/wp-content/uploads/2019/04/Gudi_padva_information.jpg)
गुड़ी पड़वा 2020
हिन्दू धर्म में इस त्यौहार का बहुत महत्व हैं| इस पर्व को बहुत शुभ माना जाता हैं| कहा जाता हैं की इसी दिन भगवान् राम आयोध्या वापस आये थे| हिन्दू पुराणों में यह भी बताया हैं की इस दिन पर ही भगवान् राम और महाभारत के काल में युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ था| कहा जाता हैं की इसी दिन से सतयुग की शुरुवात भी हुई थी| इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुवात होती हैं और इसी दिन के बाद राते बड़ी हो जाती हैं| कहा जाता हैं की इसी दिन भगवान् विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था| इन्ही सब कारणों की वजह से इस दिन को बहुत ही पावन माना जाता हैं|
गुडी पाडवा महत्व मराठी
भारत में अलग अलग प्रांतो में नव वर्ष अलग अलग दिन पर मनाया जाता हैं| हर धर्म में नववर्ष को अलग अलग तिथि पर मनाया जाता है| इसके अलावा भी पूर्ण भारत देश चैत्र माह में ही नवरात्रि मनाता हैं| इस दिन को नवसंवत्सर नाम से भी जाना जाता हैं क्युकी कश्मीरी, वैशाखी, नवरेह, चेटीचंड, उगाड़ी, गुड़ी पड़वा, होला मोहल्ला, युगादि, विशु, चित्रेय तिरुविजा आदि सारे दिनों की तिथि अप्रैल या मार्च के महीने पर नवसंवत्सर पर आती हैं|