Kheti Par Kavita : कृषि यानी की खेती कई साल पहले शुरू हुई थी | यह भारत का प्रमुख कार्य है जिससे हमारे देश की कमाई चलती है| किसी भी देश में खेती एक बहुत बड़ी कड़ी है जिससे पूरा देश चलता है| आइये आज हम आपको बताएंगे की हिंदी कविता खेती के ऊपर|Poem on harvesting in Hindi.
Harvest Meaning in Hindi
हार्वेस्ट यानी की खेती. आज हम अपने देश के किसान जो की हमारे अन्नदाता हैं उनके लिए कुछ कविताएँ प्रस्तुत करने जा रहे हैं|
खेत पर कविता
कविता और फसल
ठंडे कमरों में बैठकर
पसीने पर लिखना कविता
ठीक वैसा ही है
जैसे राजधानी में उगाना फसल
कोरे कागजों पर
फसल हो या कविता
पसीने की पहचान है दोनों ही
बिना पसीने की फसल
या कविता
बेमानी है
आदमी के विरुद्ध
आदमी का षडयंत्र-
अंधे गहरे समंदर सरीखा
जिसकी तलहटी… Share on X
किसान पर स्टेटस
धब्बे : जिनका स्वर नहीं पहुंचता
वातानुकूलित कमरों तक
और न ही पहुंच पाती है
कविता ही
जो सुना सके पसीने का महाकाव्य
जिसे हरिया लिखता है
चिलचिलाती दुपहर में
धरती के सीने पर
फसल की शक्ल में
- ओमप्रकाश वाल्मीकि Share on X
किसानो पर कविता
बिके हुए खेत की मेड़ पर बैठे एक किसान का शोक गीत
कि सब बातें तय हो गई
कि सौदा-चिट्ठी हो गई
कि खेत नहीं, यह मौके की जमीन थी
कि मैंने तो लगाया था कपास खरीफ में,
कि मैंने रबी में बोया था गेहूँ
कि लहलहाती फसलें नहीं, कौन दबा धन दिखा ?
कि आखिरशः मैं टूट गया किसी तरह
कि धन से लकदक रहूँगा कुछ महीने साल
कि न… Share on X
किसान की मेहनत
किसान की मेहनत पर कविता इस प्रकार है| यह कविता ramdhari singh dinkar द्वारा लिखी गयी है|
खेतों- खलिहानों की, फ़सलों की खुशबू
लाते हैं बाबूजी गाँवों की खुशबू
गठरी में तिलवा है ,चिवड़ा है,गुड़ है
लिपटी है अम्मा के हाथों की खुशबू
मंगरू भी चाचा हैं, बुधिया भी चाची
गाँवों में ज़िन्दा है रिश्तों की खुशबू
बाहर हैं भइया की मीठी फटकारें
घर में है… Share on X
कृषक पर Kavita
अपने खेत में.... जनवरी का प्रथम सप्ताह खुशग़वार दुपहरी धूप में... इत्मीनान से बैठा हूँ..... अपने खेत में हल चला रहा हूँ इन दिनों बुआई चल रही है इर्द-गिर्द की घटनाएँ ही मेरे लिए बीज जुटाती हैं हाँ, बीज में घुन लगा हो तो अंकुर कैसे निकलेंगे ! जाहिर… Share on Xकिसान का दर्द कविता
Farmer’s pain poem in Hindi
बेटा पढ लिख कर गया, बन गया वो इंसान.
देख उजडती फसल को, रोता रहा किसान.
सारी उम्र चलाया हल, हर दिन जोते खेत.
बूढा हल चालक हुआ, सूने हो गए खेत.
दो बेटे थे खेलते इस आंगन की छांव.
अब नहीं आते यहां नन्हें नन्हें पांव.
बुढिया चूल्हा फूंकती सेक रही थी… Share on X
जब कोई बारिश नहीं होती है
किसान दर्द में बोले
और बिना बारिश के बारिश के साथ
वहाँ नालियों में बाढ़ का उत्पादन होता है
गंदगी में अपने जीवन के साथ
किसान संकट में हैं
और कोई फल फसल के साथ नहीं
बैंकरों को और अधिक दंड।
वे अंधेरे में दबाने
और सामना करने के… Share on X
किसानों के लिए शायरी >
एक बार आकर देख कैसा, ह्रदय विदारक मंजर हैं,
पसलियों से लग गयी हैं आंते, खेत अभी भी बंजर हैं. Share on X
कोई परेशान हैं सास-बहू के रिश्तो में,
किसान परेशान हैं कर्ज की किश्तों में Share on X
कृषि पर कविता
किसानो से अब कहाँ वो मुलाकात करते हैं,
बस ऱोज नये ख्वाबो की बात करते हैं. Share on X
शुक्र हैं कि बच्चे अब शर्म से नही मरेंगे,
चुल्लू भर पानी के लिए खुदा दे दुआँ करेंगे. Share on X