कुमार विश्वास शायरी इन हिंदी

कुमार विश्वास शायरी इन हिंदी

Kumar Vishwas Shayari in Hindi: कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी 1 9 70 को पिलखुवा, ग़ाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था| वे पेशे से एक हिन्दी भाषा के कवि, भारतीय राजनीतिज्ञ और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी हैं|कुमार विश्वास शिक्षा को काफी महत्त्व देते हुए भी जाने जाते है| कुमार विश्वास के कवि सम्मेलन जब भी कहीं होते हैं वे व्यंग्यात्मक तोर पर देश में शिक्षा के स्तर पर भी कटाक्ष करते हुए दिखते हैं| कुमार को उनकी शायरी के लिए काफी सराहना मिली है| आइये उनके कुछ मशहूर शेर व शायरी से रूबरू होते हैं|इसके अलावा आप उनकी कुमार विश्वास mp3 व latest shayari 2017 भी देख सकते हैं|

डाॅ कुमार विश्वास की प्रेरणादायी शायरी

पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करना जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर से अधिकार क्या करना मोहब्बत का मज़ा तो, डूबने की कशमकश में है जो हो मालूम गहरायी, तो दरिया पार क्या करना|| Click To Tweet

अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी कुमार विस्वास कविता

स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी|| Click To Tweet
सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता। Click To Tweet
कुमार विश्वास के शेर

कुमार विश्वास शायरी

सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।| Click To Tweet
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।| Click To Tweet

कुमार विश्वास के शेर

Kumar Vishwas ke Sher कुछ इस प्रकार हैं|
कुमार विश्वास शायरी इन हिंदी Click To Tweet
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है। Click To Tweet

कुमार विश्वास के मुक्तक

Kumar Vishwas ke Muktak कुछ इस प्रकार हैं|
चंद चेहरे लगेंगे अपने से , खुद को पर बेक़रार मत करना , आख़िरश दिल्लगी लगी दिल पर? हम न कहते थे प्यार मत करना… Click To Tweet
क़लम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा, गिरेबां अपना आँसू में भिगोता हूँ तो हंगामा, नहीं मुझ पर भी जो खुद की ख़बर वो है ज़माने पर, मैं हँसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा… Click To Tweet
कुमार विस्वास लाइन्स
हिम्मत ए रौशनी बढ़ जाती है, हम चिरागों की इन हवाओं से, कोई तो जा के बता दे उस को, चैन बढता है बद्दुआओं से… Click To Tweet
उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहे वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा ये मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे Click To Tweet
घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे, देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा ? मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है, दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा…. Click To Tweet
फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है, ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है, अभी भी आते हैं आँसू मेरी कहानी में, कलम में शुक्र-ए- खुदा है कि ‘रौशनाई’ है….. Click To Tweet
उम्मीदों का फटा पैरहन, रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है, तुम से मिलने की कोशिश में, किस-किस से मिलना पड़ता है…. Click To Tweet
होली के अवसर  कृष्ण और राधा पर लिखी एक मुक्तक
सखियों संग रंगने की धमकी सुनकर क्या डर जाऊँगा? तेरी गली में क्या होगा ये मालूम है पर आऊँगा, भींग रही है काया सारी खजुराहो की मूरत सी, इस दर्शन का और प्रदर्शन मत करना, मर जाऊँगा! Click To Tweet

कुमार विश्वास शायरी इन हिंदी फ्री डाउनलोड

कुमार विश्वास शायरी के अलावा आप कुमार विश्वास की कविता डाउनलोड भी कर सकते हैं जिनमे उनकी बहुत सी मशहूर व व्यंग्यपूर्ण कविताएँ हैं|
उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे वो मिरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा ये मुसाफ़िर तो कोई और ठिकाना चाहे एक बनफूल था इस शहर में वो भी न रहा कोई अब किस के लिए लौट के आना चाहे ज़िंदगी हसरतों के साज़ पे सहमा-सहमा वो… Click To Tweet
दिल तो करता है ख़ैर करता है आप का ज़िक्र ग़ैर करता है क्यूँ न मैं दिल से दूँ दुआ उस को जबकि वो मुझ से बैर करता है आप तो हू-ब-हू वही हैं जो मेरे सपनों में सैर करता है इश्क़ क्यूँ आप से ये दिल मेरा मुझ से पूछे बग़ैर करता है एक ज़र्रा दुआएँ माँ की… Click To Tweet
फिर मेरी याद आ रही होगी फिर वो दीपक बुझा रही होगी फिर मिरे फेसबुक पे आ कर वो ख़ुद को बैनर बना रही होगी अपने बेटे का चूम कर माथा मुझ को टीका लगा रही होगी फिर उसी ने उसे छुआ होगा फिर उसी से निभा रही होगी जिस्म चादर सा बिछ गया होगा रूह सिलवट हटा रही… Click To Tweet

कुमार विश्वास शायरी लिरिक्स

kumar vishwas shayari lyrics: आप निचे दी हुई जानकारी से पा सकते हैं:
आबशारों की याद आती है फिर किनारों की याद आती है जो नहीं हैं मगर उन्हीं से हूँ उन नज़ारों की याद आती है ज़ख़्म पहले उभर के आते हैं फिर हज़ारों की याद आती है आइने में निहार कर ख़ुद को कुछ इशारों की याद आती है और तो मुझ को याद क्या आता उन पुकारों की याद… Click To Tweet
कुमार विश्वास की शायरी दीपावली
उन की ख़ैर-ओ-ख़बर नहीं मिलती हम को ही ख़ास कर नहीं मिलती शाएरी को नज़र नहीं मिलती मुझ को तू ही अगर नहीं मिलती रूह में दिल में जिस्म में दुनिया ढूँढता हूँ मगर नहीं मिलती लोग कहते हैं रूह बिकती है मैं जिधर हूँ उधर नहीं मिलती|| Click To Tweet
 

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