करवा चौथ व्रत की कहानी – करवा चौथ व्रत कथा व पूजन विधि एवं सामग्री

करवा चौथ व्रत की कहानी

Karva chauth vrat 2020: सुहागिन स्त्रियां करवा चौथ का व्रत अपने पति की लम्बी आयु और मंगल कामना के लिए रखती हैं | करवा चौथ का यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर आता है | यह दिन सुहागिन औरतों के लिए होता है | इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं और उनके सुख-समृद्धि के लिए कामना करती हैं | करवा चौथ के दिन माता पार्वती जी की पूजा करके अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त करने की कामना करतीं हैं | करवा चौथ के दिन महिलाएं उपवास रखतीं हैं और रात्रि के समय चंद्र दर्शन के बाद पूजा करके अपनी पति के हाथ से जल ग्रहण कर उपवास पूर्ण करतीं हैं |

करवा चौथ व्रत कथा – katha of karva chauth ki

Karva chauth 2020 date in india in hindi : इस साल करवा चौथ 27 अक्टूबर को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर शनिवार को है | आइये अब हम आपको करवा चौथ की कहानी, karwa chauth puja vidhi, karva chauth ki pooja vidhi, karwa chouth की कहानियां, करवा चौथ की कहानी सुनाइए, karwachauth pooja vidhi, pooja vidhi by karwa chauth, karwa chauth saman list, karwa chauth samagri in hindi, आदि| साथ ही आप करवा चौथ पर कविताकरवा चौथ शुभकामनाएं देख सकते हैं| अपनी पत्नी को इस Karaka Chaturthi क्या दें जान्ने के लिए पढ़ें करवा चौथ गिफ्ट फॉर वाइफ

बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।

शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो।

इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखती है, उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है। वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।

उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।

सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो’ ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।

इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूंकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह कर वह चली जाती है।सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।

अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है। हे श्री गणेश- मां गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला है, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले।

करवा चौथ व्रत की पूजन विधि

करवा चौथ पूजा बहुत ही श्रद्धा और मन से की जाती है | आइये ज्जान्ते हैं की करवा चौथ की सही पूजन विधि किस प्रकार है –

  • करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर ले और इस मंत्र का उच्चारण कर “मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।” व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन निर्जला रहें |
  • भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी का ध्यान दिन भर अपने मन में करतीं रहें |
  • अब दिवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों द्वारा करवा चित्रित करें |
  • आठ पूरियों की अठावरी व हलवा बनाएं और साथ ही पक्के पकवान भी बनाएं |
  • पीली मिटटी से माँ गौरी और उनकी गोद में बैठे हुए गणेश जी का स्वरुप बनाएं |
  • माँ गौरी को लकड़ी के आसान पर बिठायें और लाल रंग की चुनरी उड़ाएं, इसके बाद सुहाग व अन्य श्रृंगार सामिग्री अर्पित करें और उनके सामने जल से भरा कलश रखें |
  • भेंट देने के लिए मिटटी का टोंटीदार करवा लें जिसमे गेहूं और ढक्क्न में शकरर का बुरा भर दें और उसके ऊपर दक्षिणा रख कर रोली से कर्वे पर स्वस्तिक बना दें |
  • गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परम्परा अनुसार पूजा करें | पति की दीर्घ आयु की कामना करते हुए इस मन्त्र का उच्चारण करें “नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥”
  • अब करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें।
  • कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सास के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दें।
  • 13 दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें।
  • रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी से उसे देख कर चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
  • इसके बाद अपने पति से आशीर्वाद लें और उन्ही के हाथो से जल ग्रहण करें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें।

करवा चौथ की पूजा कैसे की जाती है: करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलायें अपने पति की मंगल कामना और लम्बी आयु के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखतीं हैं और रात्रि के समय माँ गौरी, भगवान शिव और गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा करतीं हैं और करवा चित्रित कर उनके सामने कथा सुनती व सुनती है और उसके बाद चन्द्रमा को अर्घ देने के बाद अपने पति द्वारा जल ग्रहण करने के बाद ही भोजन करतीं हैं |

करवा चौथ व्रत की पूजन सामग्री – karwa chauth saman

करवा चौथ व्रत की पूजा के लिए आवश्यक पूजन सामिग्री इस प्रकार है –

1 . चंदन
2. शहद
3. अगरबत्ती
4. पुष्प
5. कच्चा दूध
6. शक्कर
7. शुद्ध घी
8. दही
9. मिठाई
10. गंगाजल
11. कुंकू
12. अक्षत (चावल)13. सिंदूर
14. मेहंदी
15. महावर
16. कंघा
17. बिंदी
18. चुनरी
19. चूड़ी
20. बिछुआ
21. मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन
22. दीपक
23. रुई
24. कपूर25. गेहूं
26. शक्कर का बूरा
27. हल्दी
28. पानी का लोटा
29. गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी
30. लकड़ी का आसन
31. चलनी
32. आठ पूरियों की अठावरी
33. हलुआ
34. दक्षिणा (दान) के लिए पैसे, इ‍त्यादि।

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